सीडब्ल्यूसी सदस्यों की सलाह- गहलोत को रेस से हटा लें सोनिया
राजस्थान को लेकर कांग्रेस का संकट गहराता जा रहा है। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कहा है कि वो अशोक गहलोत को अब कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से हटा लें। यह खबर एएनआई ने सीडब्ल्यूसी सदस्यों के हवाले से दी है, लेकिन एएनआई ने उन सदस्यों के नाम नहीं बताए कि किन लोगों ने सोनिया से यह मांग रखी है। सीडब्ल्यूसी के इन सदस्यों ने सोनिया से कहा है कि बेहतर होगा कि गहलोत की जगह अब किसी और को इस पद के लिए लाया जाए।
सीडब्ल्यूसी के कुछ सदस्यों ने सोनिया गांधी से कहा कि राजस्थान में गहलोत समर्थक विधायकों की अपने नेता के पक्ष में की गई बगावत पर ऐतराज किया। उन लोगों ने सोनिया से कहा कि अब अशोक गहलोत पर विश्वास करना और अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देना मुश्किल होगा। बेहतर होगा कि पार्टी आलाकमान अब किसी और नाम पर विचार करे। आलाकमान को अब ऐसा प्रत्याशी चुनना पड़ेगा जो बहुत वरिष्ठ हो और गांधी परिवार का भी वफादार हो।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान संकट को हल करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी के राजस्थान इंचार्ज अजय माकन को रविवार को जयपुर भेजा था। वहां रविवार शाम को विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। लेकिन उससे पहले गहलोत और सचिन पायलट समर्थक विधायकों में बयानबाजी शुरू कर दी। गहलोत समर्थक विधायकों ने कथित तौर पर इस्तीफे दे दिया। विधायक दल की बैठक नहीं हो सकी। मल्लिकार्जुन खड़गे से गहलोत समर्थक विधायक मिलने नहीं पहुंचे। गहलोत ने सोमवार 26 सितंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की। अजय माकन ने इस सारे मामले में विधायकों को अनुशासनहीन करार दिया है।
राजस्थान का संकट बढ़ाने में गहलोत खेमे का ज्यादा बड़ा हाथ है। रविवार शाम 7 बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक गहलोत के आवास पर तय थी। उसमें मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को मौजूद रहना था। पायलट समर्थक विधायक इस बैठक में पहुंचे। लेकिन गहलोत समर्थक विधायक शांति धारीवाल ने गहलोत गुट के विधायकों की अलग से बैठक बुलाई। कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ भाषणबाजी हुई और उसके बाद करीब 90 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को जाकर इस्तीफा सौंप दिया।
कांग्रेस नेतृत्व यह चाह रहा था कि विधायक दल की बैठक में सारे विधायक अपनी राय रखते और उस राय के बाद फैसला कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी पर छोड़ दिया जाता। बाद में कांग्रेस अध्यक्ष जिसे राजस्थान के सीएम की कमान सौंपतीं वो मुख्यमंत्री बन जाता। कांग्रेस में अभी तक ऐसी ही प्रक्रिया का पालन होता रहा है। लेकिन इस बार कांग्रेस आलाकमान से यह चूक हो गई कि वो गहलोत से बात करके उन्हें पहले इसके लिए तैयार नहीं कर पाया। कहा जा रहा है कि सचिन पायलट दरअसल प्रियंका गांधी की पसंद हैं, इसलिए पार्टी भी इसी नाम पर राजी थी। लेकिन कांग्रेस आलाकमान गहलोत के इरादे नहीं भांप सकी। गहलोत अपने वफादार को जयपुर में सीएम की कुर्सी पर बैठाना चाहती है।
बहरहाल, बीजेपी की भी गिद्ध दृष्टि राजस्थान के घटनाक्रम पर बनी हुई है। वो इस बात के लिए तैयार नजर आ रही है कि अगर राजस्थान कांग्रेस के विधायकों में बगावत होती है तो वो कुछ विधायकों को अपने खेमे में लाकर अपने नेतृत्व में राजस्थान विधानसभा का चुनाव कराए। राजस्थान विधानसभा के चुनाव अगले चंद महीनों में कभी भी हो सकते हैं।
तो कौन हो सकता है प्रत्याशी
बहुत मुमकिन है कि सोनिया गांधी अब गहलोत का नाम वापस ले लें। ऐसे में सवाल है कि और कौन अध्यक्ष पद की दौड़ में हो सकता है। एएनआई के मुताबिक सीडब्ल्यूसी सदस्यों में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और मुकुल वासनिक सबसे आगे हैं और सबसे वरिष्ठ हैं। इसमें मुकुल वासनिक पर सबसे ज्यादा दांव गांधी परिवार लगा सकता है। शशि थरूर पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वो कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे। वो 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करने वाले हैं। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव 17 अक्टूबर को प्रस्तावित है।