कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कोरोना रोकथाम के मामले में भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'गुजरात मॉडल की पोल खुली'।
राहुल गाँधी ने 'गुजरात मॉडल एक्सपोज़्ड' ट्वीट किया। उसके साथ ही उन्होंने गुजरात और कुछ ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों में कोरोना से होने वाली मौतों का प्रतिशत लिखा है।
कांग्रेस के इस पूर्व अध्यक्ष ने इसके साथ ही बीबीसी न्यूज़ की एक ख़बर भी टैग की है, जिसमें कहा गया है कि गुजरात में कोरोना मृत्यु दर सबसे ज़्यादा है।
गुजरात की नाकामियाँ
याद दिला दें कि इसके पहले भी कोरोना रोकथाम में गुजरात सरकार की नाकामियों और वहाँ की बदतर स्वास्थ्य सेवाओं व स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी की ख़बरें लगातार आती रही हैं।गुजरात हाई कोर्ट ने एक बेहद तल्ख़ टिप्पणी में यहाँ तक कह दिया था कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल की स्थिति काल कोठरी से भी बदतर है।
हाई कोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी
कोरोना से जुड़ी कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए जस्टिस जे. बी. परडीवाला और जस्टिस इलेश वोरा के खंडपीठ ने राज्य सरकार को कई तरह के दिशा निर्देश दिए थे।अदालत ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना ‘डूबते हुए टाइटनिक जहाज़’ से करते हुए कहा, यह बहुत ही परेशान करने वाला और दुखद है कि आज की स्थिति में अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की स्थिति बहुत ही दयनीय है।
“
'अस्पताल रोग के इलाज के लिए होता है, पर ऐसा लगता है कि आज की तारीख़ में अहमदाबाद सिविल अस्पताल की स्थिति काल कोठरी जैसी है, शायद उससे भी बदतर है।’
गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणी
कम टेस्ट
इतना ही नहीं, गुजरात सरकार ने जान बूझ कर कम कोरोना टेस्ट किए। उसका तर्क था कि अधिक लोगों के कोरोना टेस्ट होने से लोगों में डर फैल जाएगा।अदालत ने इस पर राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि वह कृत्रिम तरीके से कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करना चाहती है। उसके कहने का मतलब यह था कि राज्य सरकार जानबूझ कर कोरोना के कम मामले बता रही है, वह जाँच नहीं कर रही है ताकि कोरोना संक्रमण की बड़ी तादाद सामने नहीं आए। अदालत ने साफ़ शब्दों में कहा,
“
‘सरकार का यह तर्क ग़लत है कि ज़्यादा जाँच होने से राज्य की 70 प्रतिशत आबादी के इसकी चपेट में आने की बात सामने आएगी, जिससे लोगों में भय फैलेगा। इस आधार पर कोरोना जाँच से इनकार नहीं किया जा सकता है।’
गुजरात हाई कोर्ट की टिप्पणी
क्या कहा था रेज़िडेन्ट डॉक्टर ने?
हाई कोर्ट की इस तीखी टिप्पणी के पहले ही गुजरात सरकार की नाकामियों की ख़बरें सामने आ रही थीं।अहमदाबाद सिविल अस्पताल के एक युवा रेज़ीडेन्ट डॉक्टर ने एक गुप्त चिट्ठी लिख कर पूरी बदइंतजामी के मामले को लीक कर दिया। उस चिट्ठी में बेहद गंभीर आरोप लगाए गए थे।
उस चिट्ठी में आरोप लगाया गया था कि ‘अस्पताल प्रशासन ने पूरा बोझ जूनियर डॉक्टरों और रेज़ीडेन्ट डॉक्टरों पर डाल रखा है। सीनियर डॉक्टर गायब हैं, वे न तो इलाज करते हैं न ही राउंड पर जाते हैं। सारा काम करने के बावजूद रेज़ीडेंट डॉक्टरों को सामान्य सुविधाएँ भी नहीं दी जा रही हैं।’ गुजरात हाईकोर्ट ने इस चिठ्ठी की स्वत: संज्ञान लिया और सरकार को तगड़ी फटकार लगायी।
ख़त में आरोप लगाया गया था, ‘हमें न तो पीपीई किट दिया जाता है न ही एन 95 मास्क। प्रसूति विभाग में सामान्य डेलीवरी के दौरान डॉक्टरो को ग्लव्स तक नहीं दिया जाता है। इसके लिए बहाने बनाए जाते हैं।’
वेंटीलेटर लेने में घपला?
पिछले महीने गुजरात में बने वेंटिलेटर्स की चर्चा पूरे देश में हुई थी। इन वेंटिलेटर का उद्घाटन करने के लिए ख़ुद राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी 4 अप्रैल को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल आए थे और उन्होंने कहा था कि ये वेंटिलेटर अच्छा काम कर रहे हैं।लेकिन ‘अहमदाबाद मिरर’ के मुताबिक़, अब पता चला है कि ये वेंटिलेटर नहीं हैं बल्कि सिर्फ़ सांस देने वाले उपकरण हैं।
इन वेंटिलेटर्स को गुजरात के राजकोट की कंपनी ज्योति सीएनसी ने बनाया है। सच्चाई सामने आने के बाद राज्य सरकार को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच इन मशीनों को राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में लगाया जा चुका है।
वेंटिलेटर्स को धमण -1 नाम दिया गया था और इसे बनाने वाले मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के दोस्त हैं। तब रूपाणी ने कहा था कि ज्योति सीएनसी ने 10 दिन में ही वेंटिलेटर बना दिया है। उन्होंने कहा था कि गुजरात के ही उद्यमी पराक्रम सिंह जडेजा और उनकी टीम ने इस ‘मेक इन इंडिया’वेंटिलेटर को बनाया है।