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मोदी सरकार के ‘पॉजिटिविटी’ राग को राहुल, पीके ने बताया प्रोपेगेंडा

मोदी सरकार के ‘पॉजिटिविटी’ राग को राहुल, पीके ने बताया प्रोपेगेंडा

कोरोना की दूसरी लहर से पस्त हो चुके हिंदुस्तान के लोगों से मोदी सरकार कह रही है कि वे पॉजिटिव रहें यानी सकारात्मक बातें सोचें। 

कोरोना की दूसरी लहर से पस्त हो चुके हिंदुस्तान के लोगों से मोदी सरकार कह रही है कि वे पॉजिटिव रहें यानी सकारात्मक बातें सोचें। इसमें कुछ ग़लत भी नहीं है लेकिन जिनके परिजनों ने ऑक्सीजन, दवाइयों, बेड्स की कमी के कारण अस्पतालों में तड़प-तड़प कर दम तोड़ा है और फिर श्मशान घाटों में नरक जैसे हालात देखे हैं, उनसे आप पॉजिटिव रहने की उम्मीद करेंगे? 

मोदी सरकार ने वैज्ञानिकों, विपक्षी नेताओं के लाख चेताने के बाद भी कोरोना की दूसरी लहर के लिए तैयारी क्यों नहीं की, इसलिए क्योंकि उसका पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल का चुनाव जीतने पर था। जब हज़ारों लोग मर गए तब जाकर ऑक्सीजन प्लांट लगाने की याद आई। इतने अनर्थ कर चुकी सरकार लोगों को पॉजिटिव रहने का भाषण कैसे दे सकती है। 

बहरहाल, इन ख़बरों के बीच कि मोदी सरकार और बीजेपी सकारात्मक बातें करने पर जोर देंगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मोदी सरकार को घेर लिया है। 

राहुल ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, “सकारात्मक सोच की झूठी तसल्ली स्वास्थ्य कर्मचारियों व उन परिवारों के साथ मज़ाक़ है जिन्होंने अपनों को खोया है और ऑक्सीजन-अस्पताल-दवा की कमी झेल रहे हैं।” राहुल ने आगे कहा कि रेत में सिर डालना सकारात्मक नहीं, देशवासियों के साथ धोखा है।

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा है कि ऐसे वक़्त में जब पूरा देश दुख और त्रासदी से जूझ रहा है, 'पॉजिटिविटी' फैलाने के नाम पर झूठ और प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है। किशोर ने कहा है कि पॉजिटिव रहने के लिए हमें सरकार के अंधे प्रोपेगेंडा की ज़रूरत नहीं है। 

बीजेपी, संघ बचाव में उतरे

कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में बुरी तरह फेल हो चुकी मोदी सरकार के बचाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बीजेपी और दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़े लोगों ने ये ‘पॉजिटिविटी’ वाला राग छेड़ दिया है। 

साथ ही वॉट्सऐप और सोशल मीडिया के बाक़ी प्लेटफ़ॉर्म पर बताया जा रहा है कि कोरोना महामारी की आड़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम किया जा रहा है और वह दिन-रात कोरोना से लड़ाई लड़ने में जुटे हैं। 

लेकिन जो हालात हैं, उसमें अपने आस-पास के घरों से उठती लाशों, निराश होते लोगों से कैसे पॉजिटिव बातें की जा सकती हैं, जब आपने सरकार में रहने की अपनी जिम्मेदारी को निभाया ही नहीं।

जनवरी, 2021 से 25 अप्रैल तक पूरी मोदी सरकार बंगाल चुनाव में व्यस्त रही और उसके बाद जब सुध आई तब तक देश तबाह हो चुका था। अब जब दुनिया भर में फजीहत हो चुकी है तो ‘पॉजिटिविटी’ के फंडे को लाया गया है। लेकिन यह देश के लोगों को तय करना है कि वे इस ‘पॉजिटिविटी’ के फंडे को कैसे लेते हैं। क्योंकि पूरा संघ परिवार आने वाले कुछ महीनों में ये साबित करने की कोशिश करेगा कि मोदी ने देश को संभाल लिया है। 

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