राहुल गाँधी पर सस्पेंस ख़त्म, बने रहेंगे कांग्रेस अध्यक्ष
राहुल गाँधी कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे या नहीं, इसे लेकर लोकसभा चुनाव के बाद से ही चल रहा सस्पेंस ख़त्म हो गया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि राहुल गाँधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे, हैं और बने रहेंगे। बता दें कि कांग्रेस 2014 के मुक़ाबले इस लोकसभा चुनाव में सिर्फ़ 8 सीटें ज़्यादा जीत पाई है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 44 सीट जीती थीं जबकि इस बार उसे 52 सीटों पर जीत मिली है। राहुल गाँधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी से भी चुनाव हार गए हैं हालाँकि उन्हें केरल की वायनाड सीट पर भारी मतों से जीत मिली है।
लोकसभा चुनाव में मिली क़रारी हार के बाद राहुल ने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में पद से इस्तीफ़ा देने की पेशकश की थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की ओर से मनाने के बाद भी राहुल गाँधी मानने के लिए तैयार नहीं थे। सूत्रों के मुताबिक़, राहुल की माँ और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी और उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए समझाया था।
सूत्रों के मुताबिक़, कार्यसमिति की बैठक से पहले राहुल ने जब इन दोनों के सामने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने का अपना फ़ैसला सुनाया था तो सोनिया गाँधी अवाक रह गईं थीं। प्रियंका ने राहुल से कहा था कि पार्टी के इतने मुश्किल दौर में उन्हें ज़िम्मेदारी से भागना नहीं चाहिए बल्कि डट कर मुश्किलों का सामना करना चाहिए। लेकिन राहुल अपने फ़ैसले पर अड़े रहे थे।
राहुल के न मानने की सूरत में पार्टी में वैकल्पिक व्यवस्था में दो या तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी बाँटने को लेकर भी चर्चा हुई थी। कहा जा रहा था कि अगर राहुल इस पर भी राज़ी नहीं हुए तो फिर उनके परिवार के बाहर से किसी व्यक्ति को पार्टी का नया अध्यक्ष बनाने के सिवा कोई चारा नहीं रहेगा।क्योंकि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गाँधी ने इस्तीफ़े की पेशकश के साथ ही यह भी कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उनकी माँ सोनिया गाँधी और बहन प्रियंका का नाम भी आगे न बढ़ाया जाए। उन्होंने पार्टी नेताओं से साफ़ कहा था कि पार्टी हमारे परिवार के बाहर से किसी नेता को पार्टी का अध्यक्ष चुने।
दरअसल, दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के लगातार ख़राब प्रदर्शन के बाद से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला तो यह कि क्या कांग्रेस धीरे-धीरे ख़त्म होती जा रही है? और दूसरा यह कि क्या राहुल गाँधी को अब भी पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए? सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या कांग्रेस बीजेपी के मजबूत सांगठनिक नेटवर्क और मोदी-शाह की जोड़ी के आगे ख़ुद को खड़ी कर पाएगी। कांग्रेस नेताओं ने हाल ही में होने वाले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव और पार्टी को हताशा की स्थिति से उबारने के लिए उनसे यह निवेदन किया था कि वह पार्टी की कमान संभाले रहें और अब राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरजेवाला के बयान के बाद यह माना जा रहा है कि राहुल अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। लेकिन राहुल गाँधी के सामने ढेरों चुनौतियाँ हैं और अगर उन्हें पार्टी को फिर से खड़ा करना है तो इन चुनौतियों का डटकर मुक़ाबला करना होगा और पार्टी कार्यकर्ताओं को विश्वास दिलाना होगा कि कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सकती है।