अडानी समूह पर राहुल गांधी ने गुरुवार को फिर से बड़ा हमला तब किया जब आज ही समूह में कथित गड़बड़ी की रिपोर्ट सामने आई। विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक में शामिल होने मुंबई पहुँचे राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यह सरकार अडानी समूह की जाँच क्यों नहीं करा रही है। कांग्रेस नेता ने ओसीसीआरपी रिपोर्ट को लेकर अडानी समूह पर निशाना साधा और गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी की भूमिका पर सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंडनबर्ग रिसर्च के मामले में जो जाँच चल रही है उसकी 'जिस सज्जन ने (सेबी में) जांच की है, वह अडानी के कर्मचारी हैं'।
गुरुवार को प्रकाशित ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसके द्वारा प्राप्त विशेष दस्तावेज बताते हैं कि कम से कम दो मामलों में... 'निवेशकों का समूह के बहुसंख्यक शेयरधारकों, अडानी परिवार के साथ कथित संबंध है' और अडानी की कंपनियों के शेयर की कीमतों में हेरफेर करने में मदद की।
द गार्जियन अखबार ने अपनी उस रिपोर्ट के हवाले से आरोप लगाया है कि उसने विदेश में कुछ ऐसे वित्तीय रेकॉर्ड के दस्तावेज देखे हैं, जिसमें इस अरबपति भारतीय परिवार ने गुप्त रूप से खुद की कंपनियों के शेयर खरीदे।
इसी रिपोर्ट को लेकर राहुल गांधी ने अडानी समूह पर निशाना साधते हुए कहा, 'यहां गंभीर सवाल उठाए गए हैं। पहला, ये पैसा किसका है? क्या ये अडानी का है या किसी और का? इसमें गौतम अडानी के भाई विनोद के साथ दो विदेशी नागरिक भी शामिल हैं।'
राहुल ने कहा, 'दूसरा सवाल यह है कि इन दोनों विदेशी नागरिकों को भारत के बुनियादी ढांचे के साथ खेलने की अनुमति क्यों दी जा रही है?'
राहुल ने अडानी मामले में सेबी की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा, 'सेबी ने इसकी जांच की थी और क्लीन चिट दी थी। जिस आदमी ने क्लीनचिट दी थी वह अब एनडीटीवी में निदेशक है।'
कांग्रेस नेता ने कहा, 'यह एक संस्थागत नेटवर्क की तरह दिखता है जहां भारत के बंदरगाहों और हवाई अड्डों को खरीदने में विदेशी धन लगाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में चुप क्यों हैं? कोई समस्या क्यों नहीं है? सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियां इसकी जांच क्यों नहीं कर रही हैं?'
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक संयुक्त संसदीय समिति की घोषणा करने और मामले की गहन जांच करने को कहा।
अडानी मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी की मांग पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार की अलग राय के बारे में पूछे जाने पर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि इंडिया के भीतर जेपीसी के बारे में कोई मतभेद नहीं है क्योंकि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है।
उन्होंने कहा, 'जी-20 के समय हम दुनिया और व्यवसाय जगत को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारे पास समान अवसर हैं, हमारे पास कोई भ्रष्टाचार नहीं है। वे सभी देश देख रहे हैं कि अरबों डॉलर कैसे बाहर जा रहे हैं। इससे भारत की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री को इसमें जेपीसी की घोषणा करनी चाहिए।'
राहुल ने कहा, 'जिस सज्जन ने (सेबी में) जांच की है, वह अडानी के कर्मचारी हैं। इससे साबित होता है कि कोई जांच नहीं हुई। इसका मतलब यह भी है कि पीएम जांच नहीं चाहते थे।' उन्होंने कहा, 'भारत में अब समान अवसर नहीं हैं। सभी अनुबंध और परियोजनाएं एक ही व्यक्ति को दी गई हैं। एक ही व्यक्ति देश की सभी संपत्तियां खरीद रहा है। यह स्पष्ट है कि उस एक व्यक्ति ने कुछ गलत किया है।'
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जी20 शिखर सम्मेलन के कुछ दिनों बाद संसद के विशेष सत्र के केंद्र के आह्वान को 'थोड़ी घबराहट का संकेत' बताया। उन्होंने आगे कहा, 'उसी तरह की घबराहट जो तब हुई थी जब मैंने संसद भवन में बोला था, घबराहट की वजह से अचानक उन्हें मेरी संसद सदस्यता रद्द करनी पड़ी। इसलिए, मुझे लगता है कि यह घबराहट है क्योंकि ये मामले पीएम के बहुत करीब हैं। जब भी आप अडानी मामले को छूते हैं, पीएम बहुत असहज हो जाते हैं और बहुत घबरा जाते हैं।'
बता दें कि संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना यानी OCCRP द्वारा सामने लाए गए दस्वाजों में आरोप लगाया गया है कि अडानी परिवार ने गुप्त रूप से खुद की कंपनियों के शेयर खरीदकर भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर की। हालाँकि अडानी समूह ने इन आरोपों को खारिज किया है। ओसीसीआरपी की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 2014 की शुरुआत में ही अडानी समूह की कथित संदिग्ध शेयर बाजार हेराफेरी के सबूत भारत सरकार को सौंपे थे। लेकिन कुछ महीनों बाद नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता में आ गए और सेबी की दिलचस्पी अडानी समूह के शेयर बाजार हेराफेरी की जांच में खत्म हो गई। 2015 से अडानी समूह की संपत्ति बढ़ती चली गई।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में भी आरोप लगाया गया कि अडानी समूह ने खुद के शेयरों को खरीदने के लिए ऑफशोर कंपनियों का इस्तेमाल किया था।
इससे समूह का बाजार मूल्यांकन 2022 में 288 बिलियन डॉलर के टॉप पर पहुंच गया। हालांकि अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के दावों का खंडन किया। लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का असर यह हुआ कि अडानी समूह का बाजार मूल्य 100 बिलियन डॉलर तक गिर गया। गौतम अडानी का नाम दुनिया के टॉप 10 अमीरों की सूची से हट गया। अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत की संप्रभुता पर खतरा बताया था।