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राहुल ने चन्नी, सिद्धू और जाखड़ को किया तलब, कहा- चुनाव में जुटें

राहुल ने चन्नी, सिद्धू और जाखड़ को किया तलब, कहा- चुनाव में जुटें

पंजाब कांग्रेस में लंबे वक़्त से चल रहे घमासान को देखते हुए हाईकमान ने दख़ल दिया है। लेकिन देखना होगा कि क्या बड़े नेता चुनाव में मिलकर काम करेंगे। 

विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान को लेकर हाईकमान सक्रिय हो गया है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार शाम को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ को दिल्ली बुलाया और चुनावी तैयारियों में जुटने का निर्देश दिया। फरवरी-मार्च में होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही पंजाब में भी चुनाव होने हैं। 

पंजाब उन गिने-चुने राज्यों में है, जहां कांग्रेस अपने दम पर सत्ता में है। लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू की बयानबाजियों और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बग़ावत के कारण पार्टी बेहद मुश्किल में है। 

सिद्धू के चन्नी के साथ खुलकर भिड़ने, अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ भूख हड़ताल पर बैठने का एलान करने और सुनील जाखड़ को लेकर टिप्पणी करने से भी कांग्रेस हाईकमान परेशान है। राहुल गांधी के साथ तीनों नेताओं की यह बैठक करीब छह घंटे तक चली और इस दौरान राहुल ने तीनों से एक-एक करके और साथ बैठकर भी बात की।  

बताया जा रहा है कि सिद्धू की नाराज़गी इस बात को लेकर है कि उन्हें भरोसे में लिए बिना पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी और मुख्यमंत्री चन्नी ने ब्लॉक अध्यक्षों की बैठक बुला ली। 

जबकि दूसरी ओर, सिद्धू के हर जिले में अध्यक्ष के अलावा दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाने को लेकर राज्य कांग्रेस के नेताओं में आम राय नहीं है। 

सुनील जाखड़ सिद्धू से तो नाराज़ हैं ही, वह पार्टी से भी दूरी बनाकर चल रहे हैं। जाखड़ ने कुछ दिन पहले इशारों-इशारों में सिद्धू के कामकाज के तरीक़े को बंदर डांस बताया था। 

लंबे वक़्त से सिद्धू के बाक़ी नेताओं के साथ चल रहे घमासान को देखते हुए हाईकमान ने दख़ल दिया है। लेकिन देखना होगा कि क्या ये तीनों नेता पंजाब के चुनाव में मिलकर काम करेंगे। अगर सिद्धू सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करते रहे तो पार्टी के लिए पंजाब में फिर से सरकार बनाना बेहद मुश्किल हो सकता है। 

कांग्रेस की चिंता इस बात को लेकर भी है कि क्या उसके कुछ विधायक, मंत्री अमरिंदर सिंह के साथ जा सकते हैं। ऐसा हुआ तो पार्टी को चुनाव में नुक़सान हो सकता है। 

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