राहुल के नेतृत्व में हुई विपक्ष की बैठक; पेगासस मुद्दे पर घिरी सरकार
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं की बुधवार सुबह बैठक हुई। इसमें संसद के मॉनसून सत्र में आगे की रणनीति के लिए तैयारी की गई। दूसरी ओर, संसद के दोनों सदनों में पेगासस स्पाइवेयर से जासूसी के मामले को लेकर हंगामा हुआ और विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा। बैठक के बाद राहुल गांधी ने कहा कि हम पेगासस जासूसी मामले, महंगाई और किसानों के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करना चाहते और इस पर सदन में चर्चा चाहते हैं। विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस पार्टी, शिवसेना, सीपीआई और सीपीएम, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, मुसलिम लीग और तमिलनाडु के डीएमके के नेता शामिल हुए हैं। यह बैठक तब हो रही है जब प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिन पहले ही आरोप लगाया है कि विपक्ष संसद को नहीं चलने दे रहा है।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में संयुक्त स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देने पर मंलगवार की बैठक में विचार किया गया था। स्थगन प्रस्ताव लोकसभा में तत्काल सार्वजनिक महत्व के किसी मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है। इसे एक असाधारण उपाय के रूप में माना जाता है क्योंकि यह सदन के सामान्य कार्य को बाधित करता है। इस प्रस्ताव पर चर्चा कम से कम ढाई घंटे तक चलनी चाहिए।
इस मामले में मंगलवार को जो बैठक हुई उसमें राहुल के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और पार्टी के फ्लोर मैनेजर, डीएमके के टीआर बालू और कनिमोई, राकांपा की सुप्रिया सुले, शिवसेना के अरविंद सावंत, केरल कांग्रेस (एम) के थॉमस चाझिकादान, नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, मुस्लिम लीग के ईटी मोहम्मद बशीर और सीपीएम के एस वेंकटेशन और एएम आरिफ शामिल हुए।
यह बैठक तब हुई है जब अलग-अलग मसलों पर संसद की कार्यवाही में लगातार बाधा पहुँच रही है। इनमें से एक मामला तो पेगासस स्पाइवेयर से जासूसी कराने से जुड़ा हुआ ही है। विपक्षी दल लगातार इस मामले में जाँच कराने की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और मणिकम टैगोर ने मंगलवार को लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था और प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में पेगासस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग की थी।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विपक्षी खेमे के सूत्रों ने दावा किया है कि सरकार की ओर से संकेत दिया गया था कि वह पेगासस खुलासे को छोड़कर किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। बैठक के दौरान विपक्ष के कुछ नेताओं ने तर्क दिया कि बीजेपी को जो संदेश देने की ज़रूरत है वह यह कि विपक्षी दलों में एकता है और उनके बीच कोई विभाजन या गलतफहमी नहीं है।
इस मामले में सरकार ने अभी तक साफ़ प्रतिक्रिया नहीं दी है कि पेगासस स्पाइवेयर को उसकी एजेंसियों द्वारा खरीदा और इस्तेमाल किया गया था या नहीं। सरकार ने एक बयान में पहले ही कहा है कि उसकी एजेंसियों द्वारा कोई अनधिकृत रूप से इन्टरसेप्ट नहीं किया गया है और ख़ास लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।
इस मामले में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'हम चर्चा और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जाँच चाहते हैं। कई देशों ने जाँच के आदेश दिए हैं। फ्रांस ने जाँच के आदेश दिए हैं, मुझे बताया गया है कि हंगरी और जर्मनी ने भी जाँच के आदेश दे दिए हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि हमारी सरकार क्यों छिपाने की कोशिश कर रही है। हमारी सरकार कह रही है कि खुलासे में कुछ नहीं है। अगर इसमें कुछ भी नहीं है तो छुप क्यों रहे हो? आप अन्य देशों की तरह जांच क्यों नहीं करते।'
बता दें कि इजराइली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि इसके माध्यम से दुनिया भर में लोगों पर जासूसी कराई गई। 'द गार्डियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'द वायर' सहित दुनिया भर के 17 मीडिया संस्थानों ने पेगासस स्पाइवेयर के बारे में खुलासा किया है। एक लीक हुए डेटाबेस के अनुसार इजरायली निगरानी प्रौद्योगिकी फर्म एनएसओ के कई सरकारी ग्राहकों द्वारा हज़ारों टेलीफोन नंबरों को सूचीबद्ध किया गया था। 'द वायर' के अनुसार इसमें 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल टेलीफोन नंबर शामिल हैं। ये नंबर विपक्ष के नेता, मंत्री, पत्रकार, क़ानूनी पेशे से जुड़े, व्यवसायी, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, अधिकार कार्यकर्ता और अन्य से जुड़े हैं।