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चिंतन शिविर से होगी राहुल की री-लॉन्चिंग, फिर बनेंगे अध्यक्ष?

चिंतन शिविर से होगी राहुल की री-लॉन्चिंग, फिर बनेंगे अध्यक्ष?

कांग्रेस में लंबे वक्त से चिंतन शिविर की जरूरत बताई जा रही थी। अब जब चिंतन शिविर नजदीक है तो देखना होगा कि क्या पार्टी को इस शिविर से कुछ ऑक्सीजन मिलेगी जिससे वह बीजेपी से लड़ सके। 

पांच राज्यों में मिली करारी चुनाव हार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ना के बाद कांग्रेस अब खुद को फिर से खड़ा करने की कोशिशों में जुटी है। पार्टी अगले महीने होने जा रहे चिंतन शिविर के जरिए निराश और हताश कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश करेगी।

इस चिंतन शिविर में सबसे अहम बात यह होगी कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को री-लांच किया जाएगा और उन्हें एक बार फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने का रास्ता इस चिंतन शिविर से निकलेगा।

राजस्थान चूंकि कांग्रेस शासित राज्य है और राजस्थान में ही पार्टी का चिंतन शिविर होने वाला है इसलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसकी विशेष तैयारियों में जुटे हुए हैं। कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत ही राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव चिंतन शिविर में रखेंगे। 

गहलोत इन दिनों इस काम में जोर-शोर से जुटे हुए हैं और पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। चिंतन शिविर 13 से 15 मई तक उदयपुर में होना है।

साल 2013 में जब राहुल गांधी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने थे तब भी यह फैसला राजस्थान में आयोजित चिंतन शिविर में ही हुआ था। और उस वक्त भी इस काम में अशोक गहलोत की अहम भूमिका रही थी।

 - Satya Hindi

साल 2019 के आम चुनाव में मिली करारी हार के बाद सोनिया गांधी ही अध्यक्ष पद संभाल रही हैं। कांग्रेस की हालत बेहद पतली है और 2022 व 2023 के चुनावी राज्यों व 2024 के आम चुनाव के लिए पार्टी को पूरी ताकत झोंकनी होगी वरना उसके लिए यूपीए का नेतृत्व करना बेहद मुश्किल हो जाएगा।

ममता, केसीआर की चुनौती

कांग्रेस को जितनी बड़ी चुनौती बीजेपी से मिल रही है इससे ज्यादा बड़ी चुनौती ममता बनर्जी और केसीआर उसके लिए खड़ी कर रहे हैं। ममता बनर्जी और केसीआर 2024 के चुनाव के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन की कयादत करना चाहते हैं और यह निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए गंभीर विषय है।

करो या मरो का वक्त

बीते 2 सालों में अध्यक्ष पद संभालने से पीछे हटते रहे राहुल गांधी के लिए अब करो या मरो का वक्त है। लोकसभा चुनाव में 2 साल का वक्त है और कांग्रेस की जैसी हालत है उसमें यह वक्त बहुत कम है। इसलिए ऐसी उम्मीद की जा रही है कि राहुल गांधी अब उहापोह की हालत से निकलकर अध्यक्ष पद संभालेंगे और पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं, फ्रंटल संगठनों को बीजेपी और एनडीए से लड़ने के लिए तैयार करने के काम में जुटेंगे।

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