रफ़ाल के मद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी और मोदी सरकार के बीच तनातनी आज भी जारी रही। आज पहला हमला वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किया। जेटली ने ट्विटर पर लिखा - “आपातकाल की तानाशाह का पोता अपने डीएनए का प्रदर्शन कर रहा है - हमला करो और स्वतंत्र संपादक को डराओ।”
उधर, राहुल गाँधी भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी ट्विटर का सहारा लिया। राहुल ने लिखा, “ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री संसद और रफ़ाल परीक्षा की खुली किताब छोड़ कर भाग गए। उलटे वह पंजाब के लवली विश्वविद्यालय में छात्रों को भाषण दे रहे हैं। मैं छात्रों से गुज़ारिश करता हूँ कि उनसे सम्मानपूर्वक रफ़ाल के मुद्दे पर कल मेरे द्वारा पूछे गए चारों सवालों का जवाब देने को कहें"।
जेटली का बयान राहुल की उस टिप्पणी का उत्तर है जो राहुल ने पीएम मोदी के इंटरव्यू के बारे में की थी। राहुल ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था, “मोदी के पास हिम्मत नहीं है कि वह आपके सामने बैठें। मैं यहाँ आता हूँ, आप मुझसे कोई भी सवाल कर सकते हैं। आप ने कल प्रधानमंत्री का इंटरव्यू देखा। मतलब वह एक ऐसी पत्रकार हैं जिसको मनमुताबिक़ साधा जा सके। वह सवाल पूछ रही थीं और जवाब भी दे रही थीं।”
राहुल ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में यह भी कहा था कि देश यह सवाल कर रहा है कि पहले से प्रायोजित डेढ़ घंटे के इंटरव्यू में वह बोल रहे थे और रफ़ाल के असली सवालों के जवाब नहीं दे रहे थे। यह इंटरव्यू एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश ने किया था। राहुल ने ये सवाल पूछे थे।
स्मिता प्रकाश ने भी राहुल पर जवाबी टिप्पणी की। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “राहुल गाँधी, आपने प्रेस कांफ्रेंस में सस्ती टिप्पणी की थी कि मैं सवाल नहीं पूछ रही थी बल्कि जवाब दे रही थी। आप मोदी जी पर हमला करना चाहते हैं, आप करें। लेकिन मुझे अपमानित न करें। देश की सबसे पुरानी पार्टी के अध्यक्ष को यह शोभा नहीं देता”।
ज़ाहिर है कि रफ़ाल पर जमकर नोकझोंक हो रही है और निजी टिप्पणियों से भी परहेज़ नहीं किया जा रहा है।