दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनने से हिचक रहे हैं राहुल गांधी?
कांग्रेस ख़ेमे से ख़बर आ रही है कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने से हिचक रहे हैं। लिहाज़ा पार्टी में प्लान बी तैयार किया जा रहा है। राहुल के कांग्रेस के स्थापना दिवस से ठीक एक दिन पहले विदेश चले जाने से इस तरह की अटकलों ने ज़ोर पकड़ा है। राहुल के अचानक विदेश चले जाने के इस फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनका जमकर मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है। इसे लेकर वो बीजेपी नेताओं के निशाने पर हैं।
तीन दिन पहले ही ‘सत्य हिंदी’ ने अपने पाठकों को बताया था कि राहुल गांधी ने जानबूझकर कांग्रेस के स्थापना दिवस से ठीक एक दिन पहले का दिन विदेश जाने के लिए चुना ताकि स्थापना दिवस के मौक़े पर पार्टी नेता पार्टी मुख्यालय में उनसे झंडा फहरवाकर ये संदेश न दें कि वो ही अध्यक्ष पद की कमान संभालने जा रहे हैं।
अब राहुल के क़रीबी सूत्रों ने दावा किया है कि राहुल ने जानबूझकर ख़ुद को कांग्रेस के स्थापना दिवस के कार्यक्रम से दूर रखा। सोनिया गांधी भी इसमें शामिल नहीं हुईं।
कांग्रेस के अंदर से ख़बरें आ रही हैं कि राहुल अपनी ज़िद पर क़ायम हैं। वो चाहते हैं कि उनके परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को ही अध्यक्ष बनाया जाए।
असमंजस में हैं राहुल
इस बारे में कांग्रेस के नेता खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे लेकिन दबी ज़ुबान में यह ज़रूर कहते हैं कि राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं की भावना को देखते हुए पार्टी की तरफ़ से दी जाने वाली कोई भी ज़िम्मेदारी निभाने की बात भले ही कह दी हो लेकिन सच यह है कि वो अध्यक्ष पद पर लौटने का मन नहीं बना पाए हैं।
कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक़, सोनिया गांधी चाहती हैं कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद पर वापस लौटें और मोदी सरकार के ख़िलाफ़ देश भर में अभियान छेड़ें। कांग्रेस को देश भर में मज़बूत करें। अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस में चला आ रहा गतिरोध तोड़ने के मक़सद से क़रीब दो हफ़्ते पहले हुई बैठक में सभी नेताओं ने एकसुर में राहुल गांधी से अध्यक्ष पद संभालने की अपील की थी।
इस पर राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी देगी वो उसे उठाने को तैयार हैं। इसका यही मतलब लगाया गया था कि राहुल अध्यक्ष पद संभालने को राज़ी हो गए हैं।
ख़त्म नहीं हुआ विवाद
पार्टी की तरफ़ से भी इस बात को खूब बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया था कि बैठक में राहुल की तरफ़ से कोई भी ज़िम्मेदारी संभालने की बात कहने के बाद सभी नेताओं ने मेज़ें थपथपाकर उनका स्वागत किया था। इस बैठक से पहले ही कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा कर दिया था कि पार्टी के 99.9 फ़ीसदी नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी ही पार्टी के अध्यक्ष बनें। पांच घंटे चली बैठक के बाद दावा किया जा रहा था कि पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर गतिरोध ख़त्म हो गया है और सभी विवाद निपटा लिए गए हैं।
कांग्रेस के सियासी संकट पर देखिए वीडियो-
आज़ाद का तंज़
बैठक के दो हफ़्ते बाद ही तमाम दावे हवा-हवाई लगने लगे हैं। बता दें कि बैठक के आख़िर में राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस महासचिव ग़ुलाम नबी आज़ाद ने रणदीप सुरजेवाला के बयान पर एतराज़ जताया था। उन्होंने तंज़ किया था कि अगर बैठक से पहले ही सभी विवादों को निपटाने का दावा कर दिया गया है तो फिर बैठक में पांच घंटे चर्चा करने की क्या ज़रूरत थी। आज़ाद का ये तंज़ साफ़ तौर पर इशारा कर गया था कि पार्टी में अभी सबकुछ ठीक-ठाक नहीं हुआ है।
2019 लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। लाख मान-मनौव्वल के बाद भी वह इस्तीफ़ा वापस लेने को राज़ी नहीं हुए थे और फिर पिछले साल अगस्त में पार्टी ने सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुना था।
लोकसभा चुनाव के डेढ़ साल बाद भी कांग्रेस को स्थायी अध्यक्ष नहीं मिला है। हालांकि पार्टी में सभी नेता राहुल को ही अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। ख़बर थी कि वो मान भी गए हैं। लेकिन अब यह बात सामने आ रही है कि राहुल गांधी खुद ही अध्यक्ष बनने से पीछे हट रहे हैं।
सोनिया ही संभालेंगी अध्यक्ष पद
कांग्रेस में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष नहीं बनने की सूरत में सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अध्यक्ष बनी रहेंगी लेकिन पार्टी को सुचारू रूप से चलाने के लिए वो पार्टी में चार उपाध्यक्ष नियुक्त करेंगी। इन चारों को देश के चार हिस्सों की ज़िम्मेदारी दी जाएगी। हर उपाध्यक्ष के अधीन तीन महासचिव होंगे।
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस प्लान बी की बात दबी ज़ुबान में स्वीकारी है। लेकिन वे खुद आश्वस्त नहीं हैं कि क्या कांग्रेस में इस तरह की व्यवस्था को लागू किया जा सकता है या इससे पार्टी को मज़बूती मिल सकती है।
ज़्यादातर नेता प्लान बी को दूर की कौड़ी मानते हैं। एक वरिष्ठ नेता ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस के पास अध्यक्ष पद के लिए फिलहाल राहुल गांधी के अलावा कोई विकल्प नहीं है। देर-सबेर राहुल ही अध्यक्ष होंगे।
प्लान बी के सवाल पर उन्होंने कहा कि पार्टी के कुछ नेता कांग्रेस में ए, बी, सी से लेकर ज़ेड तक के प्लान लेकर घूमते रहते हैं लेकिन इन्हें पार्टी आलाकमान कभी गंभीरता से नहीं लेता। कुछ नेता चर्चा में बने रहने के लिए ही ऐसा करते हैं। आख़िर ख़ाली समय भी तो काटना है, सो कुछ प्लान ही बना लिया जाए।
सोनिया को लिखी थी चिट्ठी
ग़ौरतलब है कि सोनिया गांधी के ख़राब स्वास्थ्य की वजह से पार्टी नेता एक सक्रिय नेतृत्व की मांग कर रहे हैं। बीते साल अगस्त में कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया को चिट्ठी लिखकर पार्टी की कार्यशैली में बदलाव किए जाने की मांग की थी। इस चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों में राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद, उपनेता आनंद शर्मा, सांसद शशि थरूर और मनीष तिवारी, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण सहित कई नेता शामिल थे। इस चिट्ठी से उठा तूफ़ान अभी तक शांत नहीं हुआ है।
ग़ौरतलब है कि राहुल गांधी दिसंबर, 2017 में पांच साल के लिए अध्यक्ष बने थे। लिहाज़ा उनका कार्यकाल 2022 में ख़त्म होना चाहिए था। लेकिन लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने साल 2019 में ही इस्तीफ़ा दे दिया था। सोनिया गांधी तभी तक पार्टी अध्यक्ष रह सकती हैं जब तक पार्टी अगला अध्यक्ष न चुन ले।
मुश्किल में है पार्टी
अब सवाल फिर वही कि क्या राहुल गांधी वाक़ई दोबारा अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी संभालने से हिचक रहे हैं? ये सवाल बहुत अहम है। पिछले साल भर में कांग्रेस में हुई नियुक्तियों को देखकर तो ऐसा नहीं लगता। राहुल के क़रीबी और भरोसेमंद लोगों को अहम पदों पर बैठाकर उन्हें अहम ज़िम्मेदारियां दी गई हैं।
पिछले छह महीने से पार्टी में यह चर्चा है कि राहुल दोबारा अध्यक्ष बनने से पहले अपने ख़ास सिपहसालारों को सही जगह तैनात कर रहे हैं। फिर भला वो क्यों हिचकेंगे? क्या पार्टी में असंतुष्ट धड़ा राहुल के ख़िलाफ़ कोई कोई साज़िश कर रहा है। कुछ भी हो राहुल की कभी हां कभी ना ने पार्टी का पसोपेश बढ़ा दिया है।