प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को लोकसभा में जब सांसद के रूप में शपथ ले रहे थे तो विपक्षी सांसद हाथों में संविधान की कॉपी लहरा रहे थे। विपक्षी सांसदों द्वारा ऐसा किए जाने के पीछे क्या वजह थी, इसका जवाब राहुल गांधी ने दिया है।
संसद से बाहर निकले राहुल गांधी से जब पत्रकारों ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संविधान पर हमला कर रहे हैं। राहुल ने कहा कि यह विपक्ष के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा नहीं होने देंगे, इसलिए हमने शपथ लेते समय संविधान को हाथ में लिया। उन्होंने कहा कि कोई भी शक्ति संविधान को नहीं छू सकती।
राहुल 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत के दिन पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संविधान को लेकर उनका संदेश सभी तक पहुँच रहा है। इसके बाद राहुल ने मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के पहले 15 दिन में हुई घटनाओं को दिखाकर विफल क़रार देने की कोशिश की गई है। राहुल ने कहा है-
- भीषण ट्रेन दुर्घटना
- कश्मीर में आतंकवादी हमले
- ट्रेनों में यात्रियों की दुर्दशा
- नीट घोटाला
- नीट पीजी निरस्त
- यूजीसी नेट का पेपर लीक
- दूध, दाल, गैस, टोल और महंगे
- आग से धधकते जंगल
- जल संकट
- हीट वेव में इंतजाम न होने से मौतें
राहुल ने कहा है, 'साइकोलॉजिकली बैकफुट पर नरेंद्र मोदी बस अपनी सरकार बचाने में व्यस्त हैं। नरेंद्र मोदी जी और उनकी सरकार का संविधान पर आक्रमण हमारे लिए स्वीकार्य नहीं है - और ये हम किसी हाल में होने नहीं देंगे। इंडिया का मज़बूत विपक्ष अपना दबाव जारी रखेगा, लोगों की आवाज़ उठाएगा और प्रधानमंत्री को बिना जवाबदेही बच कर निकलने नहीं देगा।'
राहुल गांधी की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल को लेकर कांग्रेस पर कटाक्ष करने के बाद आई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सत्र शुरू होने से पहले संसद के बाहर पहले से चली आ रही प्रथा के तौर पर बयान दिया। इसमें उन्होंने आपातकाल को लोकतंत्र पर एक 'काला धब्बा' बताया। उन्होंने कहा, 'कल 25 जून है, जो भारत के लोकतंत्र पर लगाए गए उस कलंक के 50 साल पूरे होने का प्रतीक है। भारत की नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, संविधान के हर हिस्से को टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया था, देश को जेल में बदल दिया गया था और लोकतंत्र को पूरी तरह से दबा दिया गया था।'
बता दें कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था, नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया था, विपक्षी नेताओं और असंतुष्टों को जेल में डाल दिया था और प्रेस सेंसरशिप लागू कर दी थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'अपने संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए, देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में फिर कोई ऐसा काम करने की हिम्मत न करे जो 50 साल पहले किया गया था।' उन्होंने आगे कहा, 'हम जीवंत लोकतंत्र का संकल्प लेंगे। हम भारत के संविधान के निर्देशों के अनुसार सामान्य लोगों के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेंगे।'