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संविधान को 'लाल किताब' और राहुल को 'अर्बन नक्सल' बताकर क्या भाजपा फंसी?

संविधान को 'लाल किताब' और राहुल को 'अर्बन नक्सल' बताकर क्या भाजपा फंसी?

भाजपा नेताओं और खासकर महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने नेता विपक्ष राहुल गांधी को लाल किताब (संविधान) दिखाने से लेकर अर्बन नक्सल तक बताने की कोशिश की। लेकिन राहुल ने पलटकर उन्हीं से सवाल कर दिया कि क्या संविधान दिखाना नक्सली विचार है। कांग्रेस ने वो फोटो शेयर किये, जिसमें पीएम मोदी और अमित शाह यही लाल किताब यानी संविधान भेंट करते नजर आ रहे हैं। जानिए पूरा मामलाः

राहुल गांधी 'लाल किताब' (संविधान) का इस्तेमाल करते हैं, फिर शहरी नक्सलियों से मदद मांगते हैं।


-भाजपा 7 नवंबर 2024 सोर्सः भाजपा एक्स हैंडल

संविधान को लेकर कांग्रेस खासकर राहुल गांधी और भाजपा फिर आमने-सामने हैं। राहुल गांधी बुधवार को नागपुर में थे। वहां उन्होंने संविधान की बात की। भाजपा ने आरोप लगाया कि उस कार्यक्रम में बांटी गई लाल किताब (संविधान) की प्रतियों में खाली पन्ने थे। महाराष्ट्र भाजपा के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राहुल पर सीधा हमला करते हुए उनके लिए अराजकतावादी और अर्बन नक्सल शब्द इस्तेमाल किये। राहुल गांधी ने गुरुवार को इसका तीखा जवाब दिया। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का प्रचार जोर पकड़ रहा है। राज्य में मतदान 20 नवंबर को है।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की 'लाल किताब' टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि भाजपा ने दलित आइकन और विद्वान डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान किया है।

राहुल ने फडणवीस को जवाब देते हुए गुरुवार शाम को एक्स पर लिखा है- महाराष्ट्र में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री के अनुसार बाबा साहेब के संविधान को दिखाना और जाति जनगणना के लिए आवाज़ उठाना नक्सली विचार है! भाजपा की ये सोच संविधान निर्माता महाराष्ट्र के सपूत डॉ भीमराव आंबेडकर का अपमान है। लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र की जनता ने संविधान की लड़ाई लड़ी और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) को बड़ी जीत दिलाई। भाजपा द्वारा बाबा साहेब का अपमान महाराष्ट्र की जनता कतई बर्दाश्त नहीं करेगी - वो कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी के साथ मिल कर हमारे संविधान पर किए गए हर हमले का पूरी ताकत से जवाब देकर उसकी रक्षा करेगी। और, भाजपा की ऐसी तमाम शर्मनाक कोशिशें नाकाम होंगी - लिख कर ले लो, जाति जनगणना हो कर रहेगी।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी हाथ में "लाल किताब" (संविधान) लेकर "शहरी नक्सलियों और अराजकतावादियों" से समर्थन लेने की कोशिश कर रहे हैं। यहां बताना जरूरी है कि राहुल गांधी अपनी रैलियों के दौरान लाल कवर में संविधान का संक्षिप्त संस्करण प्रदर्शित करते रहे हैं। उन्होंने बुधवार को नागपुर में भी संविधान की प्रति दिखाई थी।

फडणवीस ने कहा, "राहुल गांधी के खिलाफ दो दिन पहले लगाए गए मेरे आरोप 'शहरी नक्सलियों' के प्रति उनके झुकाव के बारे में सच साबित हुए हैं। उन्होंने लाल किताब (संविधान) दिखाई और शहरी नक्सलियों और अराजकतावादियों से (राजनीतिक रूप से) मदद मांगने की कोशिश की।"

फडणवीस का झूठ पकड़ा गया?

फडणवीस और बाकी भाजपा नेता बार-बार संविधान को लाल किताब कह रहे हैं। जबकि सोशल मीडिया पर लोगों ने पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विभिन्न हस्तियों को अलग-अलग अवसरों पर संविधान की प्रतियां भेंट कर रहे हैं जो लाल कवर में हैं। कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी इस तरह के फोटो शेयर किये और फडणवीस पर सीधा हमला किया। नीचे ट्वीट में वो फोटो देखिये- 

जयराम रमेश ने एक्स पर फोटो शेयर करते हुए लिखा है-  देवेन्द्र फडणवीस हताश हो रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी पर तथाकथित "शहरी नक्सलियों" से समर्थन लेने के लिए "लाल किताब" दिखाने का आरोप लगाया।

जयराम रमेश ने लिखा है- फडणवीस जिस पुस्तक पर आपत्ति जता रहे हैं वह भारत का संविधान है, जिसके मुख्य वास्तुकार डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर थे। यह भारत का वही संविधान है जिसे मनुस्मृति से प्रेरित न बताकर आरएसएस ने नवंबर 1949 में हमला किया था। यह भारत का वही संविधान है जिसे गैर-जैविक प्रधानमंत्री बदलना चाहते हैं।

जयराम ने लिखा है-  जहां तक ​​"लाल किताब" का सवाल है, फडणवीस को पता होना चाहिए कि इसमें भारत के सबसे प्रतिष्ठित कानूनी व्यक्तित्वों में से एक, के.के. वेणुगोपाल की लिखी प्रस्तावना है। वेणुगोपाल, जो 2017-2022 के दौरान भारत के अटॉर्नी जनरल थे। गैर-जैविक देवत्व (मोदी) और स्वयंभू चाणक्य (अमित शाह) ने भी लाल किताब पेश की हैं।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने फडणवीस को नसीहत देते हुए अंत में कहा है-  जहां तक ​​"शहरी नक्सली" का सवाल है, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 9 फरवरी, 2022 और 11 मार्च, 2020 को संसद को बताया कि भारत सरकार इस शब्द का उपयोग नहीं करती है! फडणवीस को पहले सोचना चाहिए और फिर बोलना चाहिए।

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