ओडिशा के पुरी में 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का खजाना रत्न भंडार रविवार को 46 साल बाद दोपहर को फिर से खोला गया। ओडिशा सरकार द्वारा गठित 11 सदस्यीय समिति के सदस्यों ने अपने प्रतिष्ठित खजाने को फिर से खोलने के लिए रविवार दोपहर को जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश किया। राजकोष में प्रवेश करने वालों में उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस बिश्वनाथ रथ, जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, एएसआई अधीक्षक डीबी गडनायक और पुरी के नामधारी राजा 'गजपति महाराजा' के एक प्रतिनिधि शामिल हैं। रत्न भंडार में प्रवेश करने वाले लोगों में मंदिर के चार सेवक - पाटजोशी महापात्र, भंडार मेकप, चाधौकरण और देउलिकरन भी शामिल थे।
रत्न भंडार में सदियों से भक्तों और पूर्व राजाओं द्वारा दान किए गए सहोदर देवताओं--जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र--के बहुमूल्य आभूषण रखे हुए हैं। इसे बाहरी कक्ष (बहारा भंडार) और आंतरिक कक्ष (भीतर भंडार) में बांटा गया है।
कमेटी के सदस्य जब खजाने के अंदर गए तो सांप पकड़ने वालों की दो टीमें भी मंदिर में मौजूद थीं। ताकि सांप निकलने पर उनकी सेवाएं ली सकें। तमाम हिन्दू शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि भगवान के खजाने की रक्षा सांप करते हैं। इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक किसी सांप के निकलने की सूचना नहीं है। रत्न भंडार और इसके प्रबंधन में पारदर्शिता 2024 के ओडिशा विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रमुख चुनावी मुद्दा था। 14 जुलाई को जब इसे अंदर रखे कीमती सामानों की जांच के लिए खोला गया तो भाजपा ने अपने चुनावी वादे की याद दिलाई।
रत्न भंडार की चाबियां गायब होने को पीएम मोदी ने अपनी ओडिशा की रैलियों में मुद्दा बनाया था। मोदी ने कहा था कि चाबियां गुम होने के लिए बीजेडी जिम्मेदार है। भाजपा ने नवीन पटनायक की पिछली बीजू जनता दल (बीजेडी) सरकार पर इस मुद्दे को गलत तरीके से संभालने का आरोप लगाया था और गड़बड़ी का संदेह जताया था। भाजपा ने कहा था कि खजाना खोलकर वह राज्य में ईश्वर-प्रेमी लोगों का विश्वास बहाल करेगी और रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष में बंद मंदिर के मूल्यवान सामानों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
2018 में, जब सरकारी टीम के 16 सदस्यों ने रत्न भंडार की जांच करने के लिए गुप्त कक्षों में प्रवेश करने की कोशिश की। उन्होंने फ्लैशलाइट का इस्तेमाल करके बाहर से इसकी जांच की थी। 2018 में उस दिन जिला कलेक्टर ने गुप्त कक्षों की चाबियां कमेटी को नहीं दी थीं। तभी से यह प्रचार जोर पकड़ता रहा कि गुप्त खजाने की चाबियां गायब हैं। इस पर ओ़डिशा के हिन्दुओं में काफी नाराजगी फैलती रही। उनका कहना था कि भगवान जगन्नाथ ही पुरी और भारत की रक्षा कर रहे हैं। ऐसे में अगर खजाने से कुछ गायब हुआ तो भगवान नाराज हो जाएंगे।
14 जुलाई 1985 पुरी के जगन्नाथ मंदिर के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आखिरी बार था जब रहस्यमय रत्न भंडार को पूरी तरह से खोला गया था।
भगवान जन्ननाथ और पुरी के राजाओं को दान और उपहार में दिए गए 'दुर्लभतम आभूषण', रत्न भंडार के बाहरी और आंतरिक कक्षों में रखे गए हैं। ओडिशा रिव्यू पत्रिका के 2022 के एक अंश के अनुसार, 12वीं शताब्दी के मंदिर के रिकॉर्ड-ऑफ-राइट्स के अनुसार, आमतौर पर देवताओं के लिए नियमित रूप से उपयोग नहीं किए जाने वाले गहने और गहने आंतरिक रत्न भंडार में रखे जाते हैं। पत्रिका के लेख के मुताबिक "भीतर भंडार में 180 प्रकार के आभूषण मौजूद हैं, जिनमें 74 प्रकार के शुद्ध सोने के जेवरात शामिल हैं। कुछ डेवरात का वजन 100 तोला (1.2 किलोग्राम) से अधिक है।" .
हीरे, माणिक, नीलम, पन्ना, मोती और कई अन्य दुर्लभ डायमंड के अलावा, आंतरिक कक्ष में सोने, चांदी के जेवरात भी हैं। 14 जुलाई 1985 को कमेटी के जिन लोगों ने रत्न भंडार को देखा था, उनके मुताबिक सोने, चांदी, हीरे, नीलमणि, मोती, रूबी और अन्य दुर्लभ रत्न जैसे कीमती पत्थरों से भरे कम से कम 15 लकड़ी के बक्से देखे, जो सुरक्षित रूप से रखे गए थे। रत्न भंडार का भीतर भंडार बाहरी हिस्से की तुलना में बहुत बड़ा है जिसे कभी-कभी खोला जाता है, जैसे वार्षिक जगन्नाथ यात्रा और अन्य त्योहारों के दौरान। हर बक्सा लगभग 9 फीट लंबा और 3 फीट ऊंचा था।
मौजूदा ओडिशा सरकार का कहना है कि चाहे चाबियाँ मिले या नहीं, हम उन्हें खोल देंगे। इससे रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष के आसपास के कई रहस्यों को सुलझाया जा सकता है। लगता है कि रत्न भंडार के कई रहस्य सामने नहीं आ पाएंगे। क्योंकि अधिकारियों का कहना है कि "इन्वेंट्री बनाने का काम रविवार से शुरू नहीं होगा। सरकार सुनारों और अन्य विशेषज्ञों की नियुक्ति करेगी, फिर सरकार जब मंजूरी देगी तो सभी सामानों की सूची बनाने का काम होगा।"