पंजाब के हालिया विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त खाने वाले शिरोमणि अकाली दल के संगठन में कुछ बड़े सुधार हो सकते हैं।
अकाली दल की ओर से बनाई गई एक कमेटी ने सुझाव दिया है कि पार्टी में एक परिवार एक टिकट का नियम लागू किया जाना चाहिए। इसमें हालांकि बादल परिवार का नाम लेकर जिक्र नहीं किया गया है।
कमेटी ने कहा है कि विधानसभा से लेकर लोकसभा और ब्लॉक समिति से लेकर स्थानीय निकाय और जिला परिषद के चुनाव में भी इसे लागू किया जाना चाहिए।
परिवारवाद का असर
बता दें कि अकाली दल में भी परिवारवाद का गहरा असर है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल लंबे वक्त तक राज्य के मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान रहे हैं।
उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल शिरोमणि अकाली दल के प्रधान हैं, राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे हैं और बहू हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय मंत्री रही हैं और वर्तमान में सांसद हैं।
इसके अलावा सुखबीर सिंह बादल के साले बिक्रम सिंह मजीठिया और उनकी पत्नी भी चुनावी राजनीति में सक्रिय हैं।
अब तक अकाली दल में एक परिवार एक टिकट जैसी आवाज नहीं उठी थी लेकिन इस विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद पार्टी को शायद इस बात पर मंथन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी को सिर्फ 3 सीटों पर जीत मिली और उसके सबसे बड़े नेता प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल भी चुनाव हार गए।
उठाने होंगे कदम
2017 के विधानसभा चुनाव में भी अकाली दल को सिर्फ 17 सीटों पर ही जीत मिली थी। यह माना जा रहा है कि पार्टी का भविष्य अंधकार में है और ऐसे में बड़े कदम उठाने ही होंगे जिससे पार्टी फिर से खड़ी हो सके।
अगर एक परिवार एक टिकट का नियम लागू हुआ तो निश्चित रूप से इससे सबसे बड़ी परेशानी बादल परिवार के लिए ही होगी।
शिरोमणि अकाली दल का अब बीजेपी के साथ भी गठबंधन टूट चुका है वरना उसे थोड़ा-बहुत हिंदू मतों का समर्थन पंजाब में मिलता था। पंजाब के बाहर पार्टी का कोई आधार नहीं है।
पार्टी की ओर से बनाई गई कमेटी ने कहा है कि शिरोमणि अकाली दल की अगुवाई वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सिखों के धार्मिक परिवर्तन को रोकने में फेल रही है और इसके गंभीर राजनीतिक नतीजे हो सकते हैं।
पंजाब में पंथक मामलों की राजनीति करने वाला शिरोमणि अकाली दल क्या पार्टी के द्वारा दिए गए इस अहम सुझाव को मानेगा और अगर ऐसा होता है तो पार्टी की चुनावी राजनीति पर इसका बड़ा असर होगा।
यहां याद दिला दें कि कुछ दिन पहले उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में कांग्रेस में भी एक परिवार एक टिकट के नियम को लागू करने की सिफारिश की गई थी।