अकाली दल में बगावत, बीबी जगीर कौर को पार्टी से निकाला

06:14 pm Nov 08, 2022 | पवन उप्रेती

शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने पार्टी की वरिष्ठ नेता बीबी जगीर कौर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बीबी जगीर कौर ने ऐलान किया था कि वह सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी एसजीपीसी का चुनाव लड़ेंगी लेकिन पार्टी इसके लिए तैयार नहीं थी। बीबी जगीर कौर के चुनाव मैदान में डटे रहने के कारण अकाली दल ने अनुशासनहीनता के आरोप में उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। 

पार्टी से बाहर निकाले जाने के बाद बीबी जगीर कौर ने कहा है कि उन्हें कोई भी पार्टी से नहीं निकाल सकता। उन्होंने कहा है कि पार्टी के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने अपने आंख और कान बंद किए हुए हैं और वह गुमराह हो गए हैं। बीबी जगीर कौर ने कहा है कि शिरोमणि अकाली दल किसी एक परिवार की संपत्ति नहीं है। 

वरिष्ठ नेता हैं जगीर कौर 

बीबी जगीर कौर 1995 में शिरोमणि अकाली दल में शामिल हुई थीं और वह तीन बार कपूरथला जिले की भुलत्थ विधानसभा सीट से विधायक रह चुकी हैं। वह बादल सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रही हैं। बीबी जगीर कौर तीन बार एसजीपीसी की अध्यक्ष रह चुकी हैं। उन्होंने अकाली नेताओं से 9 नवंबर को होने जा रहे एसजीपीसी के चुनाव में उनका समर्थन करने की अपील की है। 

बीबी जगीर कौर अकाली दल की सियासत में एक मजबूत नेता रही हैं। वह पंजाब में अकेली ऐसी महिला नेता हैं जिन्होंने एसजीपीसी के अध्यक्ष का पदभार संभाला है। एसजीपीसी के चुनाव में बीबी जगीर कौर और हरजिंदर सिंह धामी आमने-सामने हैं।

अकाली दल के आरोप 

बीबी जगीर कौर को पार्टी से निकाले जाने के बाद अकाली दल के नेताओं ने कहा कि वह बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के संपर्क में थीं। इस मौके पर एक ऑडियो भी जारी किया गया जिसे लेकर अकाली दल के नेताओं ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेता और अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा और सरचंद सिंह एसजीपीसी के सदस्यों से जगीर कौर के पक्ष में वोट डालने के लिए कह रहे थे। सरचंद सिंह शिरोमणि अकाली दल के बड़े नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के मीडिया एडवाइजर रहे हैं। कुछ महीने पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए थे। 

एसजीपीसी का चुनाव

अकाली दल ने एसजीपीसी के चुनाव में वर्तमान अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी को उम्मीदवार बनाया है। गुरुद्वारा एक्ट 1925 के मुताबिक, एसजीपीसी के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव वोट के जरिए किया जाता है। एसजीपीसी हरियाणा, पंजाब के साथ ही कई राज्यों के गुरुद्वारों का प्रबंधन देखती है। एसजीपीसी में वर्तमान में 157 सदस्य हैं और इसमें पंजाब के साथ ही देश के अन्य राज्यों से भी सिख समुदाय के सदस्यों को चुना जाता है। लंबे वक्त तक शिरोमणि अकाली दल का एसजीपीसी के अध्यक्ष पद पर कब्जा रहा है। 

लेकिन विधानसभा चुनाव में लगातार हार के बाद शिरोमणि अकाली दल की सियासी ताकत घटती जा रही है। 

कमजोर होता अकाली दल

बताना होगा कि एक वक्त पंजाब की सियासत में बेहद ताकतवर रहे प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर बादल की अगुवाई वाले शिरोमणि अकाली दल की हालत बेहद खराब है। विधानसभा चुनाव 2022 में अकाली दल को सिर्फ 3 सीटों पर जीत मिली और उसके सबसे बड़े नेता प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल भी चुनाव हार गए।

2017 के विधानसभा चुनाव में भी अकाली दल को सिर्फ 17 सीटों पर ही जीत मिली थी। यह माना जा रहा है कि पार्टी के अंदर बड़ी टूट हो सकती है। 

इस साल जुलाई में एसजीपीसी के महासचिव करनैल सिंह पंजोली ने संगरूर के उपचुनाव में अकाली दल के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद सुखबीर सिंह बादल से इस्तीफा देने के लिए कहा था।

संगरूर के उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान को जीत मिली थी जबकि अकाली दल (बादल) की उम्मीदवार कमलदीप कौर राजोआना पांचवे नंबर पर आई और वह अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं। एसजीपीसी के महासचिव के द्वारा इस्तीफ़ा मांगे जाने को बादलों के लिए चुनौती माना गया था। 

एक परिवार एक टिकट 

राष्ट्रपति के चुनाव में पार्टी के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने मतदान का बहिष्कार कर दिया था। उन्होंने कई मुद्दों को उठाते हुए झुंडा कमेटी की सिफारिशों पर अमल किए जाने और पार्टी नेतृत्व में बदलाव की मांग की थी। झुंडा कमेटी ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि अकाली दल में एक परिवार एक टिकट का नियम लागू होना चाहिए।

इसे बादल परिवार पर निशाना माना गया था क्योंकि अकाली दल में परिवारवाद का गहरा असर है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल लंबे वक्त तक राज्य के मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान रहे हैं। उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल शिरोमणि अकाली दल के प्रधान हैं, राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे हैं और बहू हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय मंत्री रही हैं और वर्तमान में सांसद हैं।

जिस तरह बादलों के नेतृत्व को चुनौती मिल रही है उससे साफ दिख रहा है कि पार्टी के अंदर बेचैनी है। 

पंजाब की सियासत में पिछले 3 दशक में एसजीपीसी और शिरोमणि अकाली दल पर बादल परिवार की मजबूत पकड़ रही है और आज तक ऐसा नहीं दिखा कि बादलों को कहीं से चुनौती दी जा सकती है। लेकिन अब लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी के अंदर से बादलों के नेतृत्व को चुनौती मिलनी शुरू हुई है और इससे सुखबीर सिंह बादल पर दबाव साफ दिखाई दे रहा है। 

पंजाब में पंथक मामलों की राजनीति करने वाला शिरोमणि अकाली दल क्या इस बार एसजीपीसी के चुनाव में जीत हासिल कर पाएगा और क्या वह तमाम सियासी चुनौतियों का मुकाबला कर पाएगा, इस पर सभी की नजर है।