पंजाब की भगवंत मान सरकार ने कहा है कि वह राज्य में राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना को शुरू करेगी। इस योजना को लेकर पहले काफी विवाद रहा है क्योंकि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार ने इसे लागू करने की कोशिश की थी और तब इसे लेकर उसकी दिल्ली के उप राज्यपाल और केंद्र सरकार ने खूब तनातनी हुई थी और आखिरकार यह योजना लागू नहीं हो सकी थी।
क्या कहा मान ने?
योजना का एलान करते हुए भगवंत मान ने कहा कि आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी गरीब लोगों को अपने हिस्से का राशन लेने के लिए राशन की दुकानों पर लाइन में लगना पड़ता है जबकि दूसरी ओर दुनिया इस कदर डिजिटल हो चुकी है कि एक फोन पर कोई भी चीज ऑर्डर की जा सकती है।
मान ने कहा कि अच्छा आटा या गेहूं या दाल अच्छी पैकिंग में आपके घर पर पहुंचेगी और लोगों को किसी लाइन में नहीं लगना पड़ेगा और अनाज को साफ करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार के अफसर लोगों से पूछेंगे कि वे किस वक्त घर पर मिलेंगे और उस वक्त उन्हें उनके हिस्से का राशन घर पर मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह वैकल्पिक है यानी लोग इस योजना का फ़ायदा लेना चाहते हैं या नहीं, यह उन्हें ही तय करना है।
केजरीवाल आए आगे
भगवंत मान सरकार के इस एलान पर आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सामने आए और उन्होंने कहा कि एक दिन देश के सभी राज्य राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना को लागू करने की मांग करेंगे। आइए, जानते हैं कि राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना क्या है और इसे लेकर क्या विवाद हुआ था।
दिल्ली-केंद्र में टकराव
दिल्ली सरकार ने बीते साल इस योजना की अधिसूचना भी जारी कर दी थी और इसे 25 मार्च से शुरू किया जाना था। लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर यह कहकर रोक लगा दी थी कि केंद्र सरकार राज्यों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन देती है ऐसे में दिल्ली सरकार इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं कर सकती।
केंद्र सरकार ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि यह योजना केंद्र की योजना नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आती है, जिसमें कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है न कि राज्य।
इसलिए दिल्ली सरकार इस योजना का न तो नाम बदल सकती है और न ही इसको किसी और योजना के साथ जोड़ सकती है।
जबकि दिल्ली सरकार इस योजना को लागू करने की पूरी तैयारी कर चुकी थी और संबंधित विभाग के अफसरों को निर्देश दे दिए जा चुके थे कि इस योजना के तहत जो भी लाभार्थी हैं उनसे जुड़ी सारी तैयारियां कर ली जाए।
दिल्ली में राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना के लागू होने पर 72 लाख राशन कार्ड धारकों को राशन दिया जाना था। इन लोगों को सब्सिडी की दरों पर हर महीने गेहूं, चीनी और चावल मिलना था। दिल्ली सरकार की योजना इन्हें उनके घर पर पहुंचाने की थी। इन लोगों को राशन लेने के लिए नजदीक की फेयर प्राइस शॉप में जाना पड़ता था। योजना लागू न होने के कारण अभी भी इन्हें राशन फेयर प्राइस शॉप से ही मिलता है।
केजरीवाल का तर्क
अरविंद केजरीवाल का तर्क है कि जब इस देश में पिज़्ज़ा, बर्गर, कपड़ों, खाने की होम डिलीवरी हो सकती है तो गरीब लोगों के घर में राशन की होम डिलीवरी क्यों नहीं होनी चाहिए।
बीजेपी का इस मामले में तर्क था कि राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना में यह प्रावधान था कि राशन को दिल्ली की कुछ एजेंसी उठा लेंगी और गेहूं को आटा बनाने या चावल की सफाई करने के लिए कुछ एक्स्ट्रा चार्ज दिल्ली की सरकार लेगी और यह केंद्र सरकार के नियम के पूरी तरह खिलाफ है।
केजरीवाल सरकार ने इस योजना का नाम 'मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना' रखा था। लेकिन केंद्र की आपत्ति के बाद केजरीवाल सरकार ने इसका नाम बदल कर डोर स्टेप राशन डिलीवरी कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी यह योजना लागू नहीं हो सकी।