पंजाब कांग्रेस में चल रही कलह के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस आलाकमान के दरबार में हाज़िरी लगाई। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हुई मुलाक़ात के बाद जब कैप्टन बाहर आए तो उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उन्हें आलाकमान का हर फ़ैसला मंजूर है।
अमरिंदर ने कहा कि सोनिया गांधी से पंजाब के विकास और पार्टी के आंतरिक व राजनीतिक मामलों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि पंजाब को लेकर सोनिया जो भी फ़ैसला करेंगी, वह हम सभी को मंजूर होगा। क्या नवजोत सिंह सिद्धू को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है, इस सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सिद्धू के बारे में कुछ नहीं जानते।
कैप्टन ने यह भी कहा कि पार्टी पंजाब में चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। पंजाब में फरवरी-मार्च, 2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं।
‘हिंदू अध्यक्ष’ का दांव खेला
पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की जब राहुल और प्रियंका गांधी से कुछ दिन पहले दिल्ली में मुलाक़ात हुई तो कैप्टन ने भी नया दांव चला और पंजाब कांग्रेस में अपने समर्थक हिंदू नेताओं को लंच पर बुला लिया था।
इस लंच से एक बात यह निकली कि पंजाब में कांग्रेस का अध्यक्ष किसी हिंदू चेहरे को ही बनाया जाना चाहिए। हालांकि ताज़ा वक़्त में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी हिंदू ही हैं लेकिन उनका कार्यकाल ख़त्म हो चुका है और किसी नए चेहरे की तलाश की जा रही है।
पंजाब के झगड़े को ख़त्म करने के लिए आलाकमान ने जो तीन सदस्यों का पैनल बनाया था, उसने अपनी सिफ़ारिश में कहा था कि नवजोत सिंह सिद्धू को कोई अहम पद दिया जाना चाहिए।
इसके बाद चर्चा हुई कि सिद्धू को क्या अमरिंदर कैबिनेट में डिप्टी सीएम बनाया जाएगा या फिर प्रदेश अध्यक्ष का पद दिया जाएगा। डिप्टी सीएम को लेकर ख़बर आई कि सिद्धू ने ख़ुद ही मना कर दिया कि वे अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में काम नहीं करेंगे, बचा प्रदेश अध्यक्ष का पद। कहा जा रहा था कि सिद्धू की भी ख़्वाहिश इस पद को संभालने की है।
सिद्धू को अध्यक्ष बनाने का विरोध
लेकिन कैप्टन सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने का पुरजोर विरोध कर चुके हैं। कैप्टन के लंच से जो ‘हिंदू अध्यक्ष’ का तीर निकला है, उससे साफ है कि अमरिंदर सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनने देंगे। क्योंकि ऐसा होने पर टिकटों के बंटवारे में सिद्धू की भी चलेगी और कैप्टन समर्थकों के लिए ख़तरा पैदा हो जाएगा।
अमरिंदर सिंह का यह कहना कि उन्हें हाईकमान का हर फ़ैसला मंजूर है, इससे लगता है कि वह किसी भी फ़ैसले को स्वीकार करेंगे और शायद आलाकमान ने भी फ़ैसला लेने से पहले अपने इस वरिष्ठ नेता को भरोसे में लिया हो जिससे कैप्टन नाराज़ न हों।
भारी पड़ेगा झगड़ा?
बहरहाल, पंजाब कांग्रेस में चल रहा झगड़ा कब ख़त्म होगा, नहीं कहा जा सकता हालांकि पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने कहा है कि जुलाई के पहले-दूसरे हफ़्ते में इस झगड़े को सुलझा लिया जाएगा। कुछ भी हो कांग्रेस आलाकमान को चुनाव से 8 महीने पहले शुरू हुए इस सत्ता संघर्ष को थामना ही होगा, वरना यह झगड़ा पार्टी को भारी पड़ेगा, यह लगभग तय माना जाना चाहिए।