कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 1 साल जेल की सजा सुनाई है। सिद्धू को यह सजा 1988 के रोड रेज के एक मामले में सुनाई गई है। इस मामले में 65 साल के शख्स की मौत हो गई थी। इस शख्स का नाम गुरनाम सिंह था और वह पटियाला के रहने वाले थे।
इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू को इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 1000 रुपए का जुर्माना देकर छोड़ दिया था।
इस मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने पिछले महीने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरनाम सिंह के परिवार की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
सितंबर, 1999 में इस मामले में सिद्धू को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था गया था लेकिन दिसंबर 2006 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें और उनके साथी को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया था और दोनों पर 1-1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
लेकिन 15 मई, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया था।
इस मामले को लेकर पंजाब में सियासत भी हुई है और नवजोत सिंह सिद्धू के परिवार ने आरोप लगाया था कि शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया के इशारे पर फिर से इस मुकदमे को जिंदा किया जा रहा है।
क्या हुआ था 1988 में?
27 दिसंबर, 1988 को नवजोत सिंह सिद्धू और रूपिंदर सिंह संधू ने पटियाला में शेरावाला गेट क्रॉसिंग के नजदीक सड़क के बीच में अपनी जिप्सी खड़ी कर दी थी। जब गुरनाम सिंह वहां अपनी कार से पहुंचे तो उन्होंने इसे हटाने के लिए कहा था। इसके बाद सिद्धू ने गुरनाम सिंह के साथ मारपीेट की थी। यह भी आरोप है कि उन्होंने गुरनाम सिंह की कार की चाबियां छीन ली थीं जिससे वह अस्पताल नहीं पहुंच सके थे।