पंजाब: क्या सिद्धू की बयानबाजी के कारण हारी कांग्रेस?

12:53 pm Mar 16, 2022 | सत्य ब्यूरो

पंजाब में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी के नेताओं ने खुलकर नाराजगी जताई है। हार के बाद हुई समीक्षा बैठक में मंगलवार को मालवा क्षेत्र में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को बुलाया गया था। खबरों के मुताबिक, अधिकतर कांग्रेस नेताओं ने हार के लिए चरणजीत सिंह चन्नी, नवजोत सिंह सिद्धू और सुनील जाखड़ को जिम्मेदार ठहराया है। बता दें कि सिद्धू और चन्नी खुद भी विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं।

पांच चुनावी राज्यों में हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इन सभी राज्यों के कांग्रेस अध्यक्षों से इस्तीफा ले लिया है और सिद्धू ने भी अपना इस्तीफ़ा हाईकमान को भेज दिया है।

सिद्धू को लेकर कांग्रेस नेताओं में नाराज़गी ज्यादा दिखाई दे रही है। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने भी हार के लिए सिद्धू को जिम्मेदार बताया है।

मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिश 

सिद्धू ने पहले अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला और उनके जाने के बाद जब चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री बने तो सिद्धू उन पर हमलावर हो गए। 

सिद्धू की ख्वाहिश पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है और वह चाहते थे कि चुनाव में पार्टी उन्हें चेहरा बनाए। लेकिन पार्टी ने चरणजीत सिंह चन्नी को चेहरा बनाया। इसे लेकर सिद्धू के परिवार ने खुलकर नाराजगी भी जताई।

सिद्धू 5 साल पहले कांग्रेस पार्टी में आए थे। इस दौरान पार्टी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री से लेकर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष तक बनाया लेकिन बावजूद इसके नवजोत सिंह सिद्धू की नजर मुख्यमंत्री के पद पर ही थी।

चन्नी सरकार पर हमलावर

चुनाव से पहले सिद्धू ने कई बार सार्वजनिक मंच से इस्तीफा देने की धमकी दी और अपनी सरकार के खिलाफ हड़ताल पर बैठने का एलान किया। सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी के द्वारा आखिरी महीनों में लिए गए कई फैसलों को लेकर भी सवाल उठाए और हाईकमान को इस बात के लिए मजबूर किया कि वह मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर चुनाव प्रचार में जाए।

सिद्धू कांग्रेस की सरकार के कामकाज पर बात करने के बजाए अपने पंजाब मॉडल का ही जिक्र करते रहे और खुद को पार्टी का सबसे बड़ा नेता प्रोजेक्ट करने में लगे रहे। 

सिद्धू ने अपनी जिद के कारण पंजाब में एडवोकेट जनरल और पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति को लेकर पार्टी को मुसीबत में डाल दिया था और अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन चन्नी सरकार को सिद्धू के आगे झुकना पड़ा और उनकी बातों को मानना पड़ा।

इससे निश्चित रूप से पंजाब की आवाम के बीच का संदेश गया कि पंजाब कांग्रेस के अंदर गुटबाजी बहुत ज्यादा है और कांग्रेस यहां स्थाई सरकार नहीं चला सकती। ऐसे में पंजाब की आवाम ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को मौका दे दिया।

बीते कुछ दिनों में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी काफी मुखर रहे हैं और वह चन्नी पर हमलावर रहे हैं।