पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया। कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया था। इसके बाद पंजाब विधानसभा ने उनके प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। विश्वास मत जीतने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, 'पंजाब में ऑपरेशन लोटस हार गया।'
यह विश्वास मत तब पारित किया गया है जब कुछ दिन पहले ही पंजाब में आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेताओं ने उसके विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की और इस दौरान उसके विधायकों को बीजेपी के साथ आने के लिए 25-25 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया था। पंजाब सरकार के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, उच्च शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हायर, शहरी विकास मंत्री अमन अरोड़ा, दिल्ली के विधायक सौरभ भारद्वाज, आतिशी मार्लेना ने ऑपरेशन लोटस को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेन्स की थी और बीजेपी पर हमला बोला था। हालाँकि बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया था।
इसी बीच पंजाब सरकार ने 22 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था और राज्यपाल ने 20 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की इजाजत भी दे दी थी। लेकिन सत्र से एक दिन पहले एक पत्र जारी कर उन्होंने इसे वापस ले लिया। इस सत्र में मान सरकार बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाने जा रही थी।
इसके बाद राज्य सरकार ने 27 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने का प्रस्ताव राजभवन को फिर से भेजा तो राज्यपाल ने इसका एजेंडा मांग लिया था। राज्य सरकार ने इसका विरोध किया था। हालांकि उसने राजभवन को बताया था कि इस सत्र में पराली जलाने और ऊर्जा विभाग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। लेकिन यह कहा जा रहा था कि मान सरकार इस सत्र में बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव ला सकती है। हुआ भी ऐसा ही।
आम आदमी पार्टी सरकार 27 सितंबर को आखिरकार विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास प्रस्ताव ले आई। विधानसभा ने प्रस्ताव पर चर्चा की थी, जिसमें आप विधायकों ने 'ऑपरेशन लोटस' को लेकर भाजपा पर निशाना साधा था। उसने आरोप लगाया था कि छह महीने पुरानी सरकार को गिराने का एक कथित प्रयास किया गया। तब तीन अक्टूबर को वोटिंग होना तय हुआ था।
सोमवार को विश्वास मत पर चर्चा के बाद अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने इसे मतदान के लिए रखा। उन्होंने विधायकों से समर्थन में हाथ उठाने को कहा और फिर जो विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ थे उनसे हाथ उठाने को कहा।
चर्चा शुरू होते ही कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने वाकआउट किया। वे मांग कर रहे थे कि अध्यक्ष उन्हें बोलने और शून्यकाल के दौरान मुद्दों को उठाने का समय दें।
बता दें कि आप के 91 विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि शिअद के तीन विधायकों में से एक जो सदन में मौजूद थे और एक बसपा विधायक ने प्रस्ताव का विरोध नहीं किया। इसके बाद अध्यक्ष ने कहा, 'इसलिए 93 विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया है और कोई भी इसके खिलाफ नहीं है। इस प्रकार प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया जाता है।'
दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेताओं ने उसके विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की और विधायकों को पाला बदलने के लिए 20-20 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया। इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने सड़क से लेकर विधानसभा तक जोरदार प्रदर्शन किया था और उसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अपनी सरकार का बहुमत साबित किया था। केजरीवाल ने कहा था कि बीजेपी आम आदमी पार्टी के एक भी विधायक को नहीं तोड़ सकी।