पंजाब: बरगाड़ी बेअदबी मामले के आरोपी की गोली मारकर हत्या 

01:40 pm Nov 10, 2022 | पवन उप्रेती

पंजाब के फरीदकोट में बरगाड़ी बेअदबी मामले के आरोपी की गुरुवार सुबह गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपी का नाम प्रदीप सिंह था और वह डेरे से जुड़ा था। प्रदीप सिंह गुरूवार सुबह अपनी दुकान में बैठा था तभी दो बाइकों में सवार होकर वहां पहुंचे बदमाशों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी। उसे पुलिस सुरक्षा मिली हुई थी। उसके सुरक्षाकर्मी को भी गोलियां मारी गई हैं और वह अस्पताल में भर्ती है। 

प्रदीप सिंह के पड़ोसी दुकानदार को भी गोलियां लगी हैं। बेअदबी मामले में दर्ज की गई एफआईआर में प्रदीप सिंह का नाम शामिल है। बता दें कि बरगाड़ी के बेअदबी कांड को लेकर पंजाब की सियासत में तूफ़ान खड़ा हो गया था। 

वारदात के तुरंत बाद पुलिस मौके पर पहुंची और घायल सुरक्षाकर्मी और पड़ोसी दुकानदार को अस्पताल में भर्ती कराया। हत्या की जिम्मेदारी गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने ली है। 

सुधीर सूरी की हत्या

पंजाब में हफ्ते भर के भीतर यह हत्या की दूसरी वारदात है। 4 नवंबर को पंजाब के बड़े हिंदू नेता सुधीर सूरी की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या की इस ताजा वारदात के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि पंजाब में अमन-चैन और भाईचारे को भंग करने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। 

क्या है बेअदबी कांड?

अक्टूबर, 2015 में फरीदकोट जिले के गांव बरगाड़ी के गुरुद्वारा साहिब के बाहर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अंग बिखरे हुए मिले थे। इस घटना के बाद सिख समाज ने पूरे पंजाब में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। साथ ही विदेशों में रहने वाले सिखों ने भी इस घटना को लेकर रोष का इजहार किया था। 

इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे सिखों पर पुलिस ने कोटकपुरा में लाठीचार्ज कर दिया था और गोली भी चलाई थी। इससे कोटकपुरा में दो लोगों की मौत हो गई थी और इसके बाद यह मामला तूल पकड़ गया था। पंजाब के अंदर आगजनी और हिंसा की कई घटनाएं हुई थीं। 

चली गई थी सरकार 

2017 के विधानसभा चुनाव में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला बड़ा मुद्दा बना था और इस घटना को लेकर सिख समुदाय तब की शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी सरकार से ख़ासा नाराज़ था। इसी वजह से 2017 में अकाली दल-बीजेपी गठबंधन को क़रारी हार मिली थी और वह मुख्य विपक्षी दल भी नहीं बन पाया था। 

कांग्रेस में रहा घमासान 

इस मुद्दे को लेकर पंजाब कांग्रेस में भी जबरदस्त घमासान रहा था और नवजोत सिंह सिद्धू, उस वक्त कांग्रेस में रहे सुनील जाखड़, प्रताप सिंह बाजवा सहित कांग्रेस के कई नेताओं ने इस कांड के दोषियों को सजा न मिलने को लेकर अपनी ही सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था। 

वाई श्रेणी के बाद भी हत्या

सुधीर सूरी को पंजाब पुलिस ने वाई श्रेणी की सुरक्षा दी थी लेकिन बावजूद इसके संदीप सिंह नाम के हमलावर ने उनकी हत्या कर दी। हमलावर संदीप सिंह एक सफेद रंग की स्विफ्ट कार में सवार होकर वहां पहुंचा था और उसने उन पर गोलियां चला दी। सूरी को पांच गोलियां मारी गई थीं। सुधीर सूरी की हत्या के बाद पंजाब बंद बुलाया गया था। 

अमृतपाल सिंह की बयानबाजी

हमलावर संदीप सिंह की स्विफ्ट कार पर वारिस पंजाब दे संगठन के स्टीकर लगे हुए थे। इस संगठन के नए-नए चेहरे अमृतपाल सिंह की बयानबाजियों के कारण इन दिनों पंजाब का माहौल बेहद गर्म है। अमृतपाल सिंह की बयानबाजियों के खिलाफ पंजाब में कई जगहों पर ईसाई समुदाय के लोग प्रदर्शन कर चुके हैं। इस गाड़ी से कुछ कागज मिले हैं जिन पर हिंदू नेताओं और पादरियों के फोटो छपे हैं। अमृतपाल सिंह को खालिस्तान का समर्थक माना जाता है। 

पंजाब में पिछले कुछ महीनों के अंदर कई ऐसे वाकये हुए हैं जो आतंकवाद का दंश झेल चुके इस सरहदी सूबे के लिए कतई ठीक नहीं हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या पंजाब फिर से अशांत हो रहा है। 

बिगड़ रहा माहौल

पंजाब एक सरहदी सूबा है और इसकी 550 किलोमीटर लंबी सीमा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से लगती है। आईएसआई लगातार भारतीय सिख नौजवानों को खालिस्तान के नाम पर भड़काने के काम में जुटी रहती है। इसके अलावा विदेशों में बैठे खालिस्तानी आतंकी भी पंजाब के नौजवानों को भारत के खिलाफ बरगलाने और भड़काने वाले वीडियो जारी करते रहते हैं।

बता दें कि पंजाब लंबे समय तक उग्रवाद की चपेट में रहा और इस दौरान खालिस्तान के मुद्दे पर हजारों निर्दोष हिंदुओं-सिखों को अपनी जान गंवानी पड़ी। 

कानून व्यवस्था पर सवाल

सत्ता संभालने के आठ महीने के कार्यकाल में ही आम आदमी पार्टी की सरकार को कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है। नशे के कारण लगातार हो रही रही मौतों, पाकिस्तान से आ रही नशे और हथियार-बारूद की खेप, हिंदू-सिख संगठनों के बीच झड़प, पंजाब में खुफिया विभाग के दफ्तर पर हमला और सिद्धू मूसेवाला की हत्या के कारण पंजाब में माहौल बेहद संवेदनशील है। 

खालिस्तान जिंदाबाद के नारे

6 जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार की भर्ती पर स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे। नारेबाजी करने वालों ने हाथों में अलगाववादी खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर लिए थे और भिंडरावाले के समर्थन में नारे भी लगाए थे। इसके बाद उन्होंने खालिस्तान के समर्थन में एक मार्च भी निकाला था।

इस वजह से भगवंत मान सरकार आलोचकों के निशाने पर है। जज के घर की दीवार के अलावा कई जगहों पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखे जा चुके हैं।