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पंजाबः आखिर विपक्ष के ही नेता क्यों हैं आप के निशाने पर

पंजाबः आखिर विपक्ष के ही नेता क्यों हैं आप के निशाने पर

पंजाब में एक-एक कर विपक्षी नेताओं को पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां टारगेट कर रही है। गुरुवार 28 सितंबर को कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा की गिरफ्तारी इसी सिलसिले की कड़ी है। लेकिन अचानक खैरा को क्यों निशाने पर लिया गया, इससे पहले भी कांग्रेस के ही तमाम नेताओं को निशाने पर लिया गया। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी कांग्रेस से राष्ट्रीय स्तर पर चुनावी समझौते का ख्वाब देख रही है।

सुखपाल सिंह खैरा पंजाब के उन नेताओं में शुमार हैं जो अपने दम पर चुनाव लड़ते औऱ जीतते हैं। अकालियों के राज में जब पंजाब से कांग्रेस पूरी तरह साफ हो गई थी तो उस समय भी खैरा चुनाव जीतते रहे। आखिर 28 सितंबर को ऐसा क्या हुआ जो जलालाबाद पुलिस उनके चंडीगढ़ आवास पर उन्हें गिरफ्तार करने पहुंच गई। इसका जवाब खैरा के बेटे महताब सिंह ने दिया - मेरे पिता ने भगवंत मान और उनकी पार्टी का नशे में धुत चेहरा उजागर किया। जब कोई पंजाब में AAP सरकार के खिलाफ बोलता है तो यही होता है। 

महताब सिंह ने कहा- "गिरफ्तारी के लिए 2015 की एफआईआर का इस्तेमाल किया गया। उस एफआईआर पर अदालत ने हमें बुलाया और हमने उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश को रद्द कर दिया था।" कांग्रेस ने भी खैरा की गिरफ्तारी की निन्दा करते हुए कहा है कि हम अपने विधायक के साथ खड़े हैं। पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजा वारिंग ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को इस तरह डराया नहीं जा सकता।

पंजाब के पूर्व मंत्री मनप्रीत बादल को गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालतों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। पंजाब सरकार ने सत्ता में आने के बाद मनप्रीत के खिलाफ आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज कराए हैं। अभी पिछले हफ्ते पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया तो एक लोकल कोर्ट ने मनप्रीत की गिरफ्तारी का वॉरन्ट जारी कर दिया। मनप्रीत पहले तो कांग्रेस में थे। कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई तो जनवरी में वो भाजपा में शामिल हो गए। आप को उम्मीद थी कि मनप्रीत आप में आएंगे। लेकिन मनप्रीत ने ज्यादा बड़ी पार्टी को चुना। जनवरी से ही मनप्रीत के खिलाफ शिकायतों की बाढ़ हो गई और पंजाब सरकार हाथ धोकर पीछे पड़ गई। 

पंजाब में आप पिछले साल मार्च में सत्ता में आई थी और तब से कम से कम 18 प्रमुख कांग्रेस नेता डीए मामलों और कथित भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों को लेकर विजिलेंस ब्यूरो की जांच के दायरे में आ चुके हैं। पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की नजर तो थी ही, पंजाब सरकार की एजेंसियां और पुलिस भी हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गई।

चन्नी के अलावा, विजिलेंस ब्यूरो ने पूर्व उपमुख्यमंत्री ओ.पी. सोनी, पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु; साधु सिंह धर्मसोत; विजय इंदर सिंगला; ब्रह्म मोहिंदरा; संगत सिंह गिलजियां; बलबीर सिंह सिद्धू; गुरप्रीत सिंह कांगड़ और शाम सुंदर अरोड़ा के खिलाफ केस दर्ज किए। इनमें से सिद्धू, अरोड़ा और कांगड़ अब भाजपा में हैं। 

पंजाब की आप सरकार अपने विरोधियों को किस तरह परेशान कर रही है, उसका एक नमूना भारत भूषण आशु हैं। आशु पिछली सरकार में खाद्य मंत्री थे। उन्हें कथित खाद्यान्न परिवहन टेंडर घोटाले के सिलसिले में पिछले साल विजिलेंस ने गिरफ्तार किया था। विजिलेंस उनकी संपत्ति की भी जांच कर रही है। लगभग सात महीने तक जेल में रहने के बाद आशु को इस साल की शुरुआत में जमानत मिल गई। पूर्व वन मंत्री धर्मसोत को पिछले साल जून में भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और सितंबर में उन्हें जमानत मिल गई थी। उन्हें डीए मामले में इस साल फरवरी में फिर से गिरफ्तार किया गया था और अभी भी जेल में हैं।

पूर्व उद्योग मंत्री श्याम सुंदर अरोड़ा को डीए मामले की जांच के दौरान एक विजिलेंस अधिकारी को रिश्वत की पेशकश करने के आरोप में पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किया गया था। इस साल जनवरी में विजिलेंस ने एक औद्योगिक प्लॉट ट्रांसफर में कथित अनियमितताओं को लेकर उनके खिलाफ एक और मामला दर्ज किया। पिछले साल जून में भाजपा में शामिल हुए अरोड़ा अंतरिम जमानत पर बाहर हैं।

चन्नी के मंत्रिमंडल में वन मंत्री रहे संगत सिंह गिलजियां अपने कार्यकाल के दौरान पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर विजिलेंस जांच का सामना कर रहे हैं। उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। इसी तरह पूर्व मंत्री सिद्धू, मोहिंदरा और कांगड़, सोनी, पूर्व कांग्रेस विधायक जोगिंदर पाल और कुशलदीप सिंह ढिल्लों सभी विजिलेंस जांच का सामना कर रहे हैं। पाल को पिछले साल जून में अवैध रेत खनन मामले में भी गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।

विजिलेंस जांच के दायरे में अन्य प्रमुख कांग्रेस नेताओं में विजय इंदर सिंगला, बरिंदरमीत सिंह पाहरा, कुलदीप सिंह वैद, मदन लाल जलालपुर और हरदियाल कंबोज शामिल हैं। विजिलेंस जांच का सामना कर रहे नेताओं में से एक नेता की टिप्पणी है कि “इन जांचों का मकसद कांग्रेस नेताओं को डराना है। अधिकांश डीए मामले हैं, जो स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का प्रयास है, क्योंकि सरकार को कोई भ्रष्टाचार नहीं मिला है।

राजनीतिक नेताओं को परेशान करने के अलावा पंजाब की भगवंत मान सरकार पर उन पत्रकारों को भी परेशान करने का आरोप है, जो सरकार के कारनामों को उजागर करते हैं। पंजाब के एक प्रमुख पंजाबी अखबार के संपादक को जालंधर में सम्मन भेजे गए। एक चैनल की महिला पत्रकार के खिलाफ मामले दर्ज कराए गए। उन्हें पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है।

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