पंजाब: ज़हरीली शराब से 86 की मौत, 7 आबकारी अधिकारी, 6 पुलिसकर्मी निलंबित
पंजाब में ज़हरीली शराब ने कम से कम 86 लोगों की जान ले ली है और इस घटना के बाद शनिवार देर शाम को कार्रवाई की गई है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 7 आबकारी अधिकारियों और 6 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया है। निलंबित किए गए अधिकारियों में दो डीएसपी और 4 थानाधिकारी हैं। यह घटना यह सिद्ध करती है कि प्रदेश में अवैध तरीक़े से ज़हरीली शराब बनाई जा रही थी और सरकार इस पर नियंत्रण नहीं कर पाई।
ज़हरीली शराब से सिर्फ़ तरनतारन में ही 63 मौतें हो चुकी हैं। अमृतसर में 12 और गुरदासपुर के बटाला में 11 मौतें हुईं। राज्य में बुधवार रात से जारी त्रासदी से शुक्रवार की रात तक 39 लोगों की मौत हो गई थी। बाक़ी मौतें शनिवार को हुईं। इस घटना के बाद कम से कम 25 लोगों की गिरफ़्तारी हुई है।
इस घटना को लेकर सरकार और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने आरोप लगाया है कि यह घटना कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के अपने नेताओं, मंत्रियों और विधायकों के अवैध शराब के क़ारोबार को अंजाम देने का नतीजा है। उन्होंने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के इस्तीफ़े की माँग की।
सुखबीर सिंह बादल ने इस घटना को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, 'हम अवैध शराब त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार सभी कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी की माँग करते हैं। अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि सी.एम. अमरिंदर सिंह की उनके साथ मिलीभगत है। SAD शोक संतप्त परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करता है और प्रत्येक परिवार को 25 लाख का मुआवजा और सरकारी नौकरी दिए जाने की माँग करता है।'
We demand arrest of all Cong leaders responsible for the #Hooch tragedy. If this is not done it will be clear that CM @capt_amarinder is hand in glove with them. SAD expresses condolences with bereaved families & demands each family be given Rs 25 L compensation & a govt job. 4/4 pic.twitter.com/Lw0NlSpHZH
— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) August 1, 2020
एक अन्य ट्वीट में बादल ने कहा, 'मुख्यमंत्री द्वारा मजिस्ट्रेट जाँच एक मज़ाक़ है। एक आयुक्त से कांग्रेसी मंत्रियों और विधायकों को दोषी साबित किए जाने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।' उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस-पुलिस-शराब माफिया सांठगांठ को केवल पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज की अगुवाई वाली न्यायिक जाँच से उजागर किया जा सकता है।
इन आरोपों पर मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि वे त्रासदी का राजनीतिकरण न करें। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले अकाली दल-भाजपा के शासन में हुए थे। उन्होंने 2012 और 2016 में गुरदासपुर और बटाला में इसी तरह की त्रासदियों का ज़िक्र किया।
मुख्यमंत्री के आदेश में अवैध शराब के उत्पादन और बिक्री की जाँच में पुलिस और आबकारी विभाग की विफलता बताई गई है और कहा गया है किसी भी लोक सेवक या अन्य के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने मृतकों के प्रत्येक परिवार के लिए 2 लाख रुपये के मुआवजे की भी घोषणा की है।