बीएसएफ़ के अधिकार क्षेत्र बढ़ाने पर पंजाब पहुँचा सुप्रीम कोर्ट- 'संघीय ढांचे पर हमला'
पंजाब ने तीन राज्यों में बीएसएफ़ के अधिकार क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी से 50 किमी तक बढ़ाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इन तीनों राज्यों में पंजाब ऐसा करने वाला पहला राज्य है। इसने केंद्र के इस फ़ैसलो को संघीय ढांचे पर हमला क़रार दिया है। संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के क़दम को शनिवार को चुनौती देते हुए पंजाब सरकार ने कहा है कि बीएसएफ़ के अधिकार क्षेत्र के विस्तार ने संबंधित राज्यों के संवैधानिक अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है।
पंजाब सरकार के इस फ़ैसले का पंजाब कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने स्वागत किया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं पंजाब और उसकी क़ानूनी टीम को बधाई देता हूं कि वह बीएसएफ़ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने वाली अधिसूचना को चुनौती देते हुए एक मूल मुक़दमा दायर करके माननीय सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाला पहला राज्य बना।'
The fight to retain the principles embodied in the constitution i.e. to retain the federal structure and autonomy of the states has begun … Notice issued to the centre to respond.
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) December 11, 2021
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा है, 'संविधान में निहित सिद्धांतों यानी संघीय ढांचे और राज्यों की स्वायत्तता को बनाए रखने की लड़ाई शुरू हो गई है... केंद्र को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया गया है।'
सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ़ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने के बाद से ही पंजाब और पश्चिम बंगाल विरोध कर रहे हैं। पिछले महीने ही पंजाब की विधानसभा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के नए आदेश के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास किया था।
प्रस्ताव में कहा गया था, 'पंजाब शहीदों की धरती है और राज्य ने देश की आज़ादी के लिए बहुत कुर्बानियां दी हैं। भारत के संविधान के मुताबिक़, क़ानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है और इसमें राज्य की सरकार पूरी तरह सक्षम है।' विधानसभा में पास प्रस्ताव में कहा गया था कि यह राज्य का अपमान है और इसे वापस लिया जाए। प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हुआ।
जबकि इससे पहले गृह मंत्रालय ने जब बीएसएफ़ के अधिकार क्षेत्र को 15 किमी. से बढ़ाकर 50 किमी. कर दिया था तब कहा गया था कि इससे तस्करी पर रोक लगेगी और सुरक्षा बलों का ऑपरेशन बेहतर होगा।
गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया था कि केंद्रीय बलों के जवान अब देश के तीन राज्यों- असम, पंजाब और बंगाल के ज़्यादा इलाक़े में गिरफ़्तारी, तलाशी अभियान और जब्त करने की कार्रवाई कर सकेंगे।
केंद्र सरकार के इसी फ़ैसले को पंजाब ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसने कहा है, "केंद्र के फ़ैसले का असर पाकिस्तान से सटे ज़िलों के 80 फ़ीसदी हिस्से पर पड़ेगा... जबकि संविधान ने क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने का अधिकार और पुलिस को 'राज्य सूची' में रखा है। यह अधिकार राज्य सरकार को दिया गया है। लेकिन यहां, इस अधिसूचना के माध्यम से, राज्यों के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया गया है।"
चुनौती देने वाली याचिका में आगे कहा गया है कि केंद्र ने अपना आदेश जारी करने से पहले राज्य से परामर्श नहीं किया था। इस मामले में केंद्र को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया है। रजिस्ट्रार ने अटॉर्नी-जनरल के माध्यम से 28 दिनों में जवाब दाखिल करने के लिए एक नोटिस जारी किया। इसके बाद मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा।