MSP की मांग ने जोर पकड़ा, यूपी में किसान धरने का ऐलान, चंडीगढ़ में वार्ता आज
चंडीगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों के साथ रविवार को प्रस्तावित चौथे दौर की वार्ता से पहले, आंदोलन का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ किसान नेताओं ने कहा कि इस गतिरोध का समाधान निकालने का एकमात्र तरीका "न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के संबंध में कानूनी गारंटी पर अध्यादेश" है। किसान नेताओं ने सरकार से फसलों के लिए” और केंद्र से मामले में देरी करने के लिए “राजनीति खेलना बंद करने” का आग्रह किया।
शंभू बॉर्डर पर स्थिति शांत बनी हुई है। किसान कार्यकर्ताओं ने कड़ी निगरानी रखी हुई है और किसी को भी बैरिकेड के पास नहीं जाने दिया जा रहा। क्योंकि दूसरी तरफ हरियाणा पुलिस कार्रवाई के लिए तैयार बैठी है। पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि केंद्र को इस मुद्दे को हल करने के प्रति गंभीरता दिखानी चाहिए और एमएसपी के संबंध में कानूनी गारंटी देने पर "तुरंत एक अध्यादेश लाना चाहिए"। उन्होंने कहा कि रविवार की बैठक के नतीजे के बाद ही वे अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे।
बीकेयू (एकता सिधुपुर) के प्रमुख जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार को वास्तविक इरादे से एक अध्यादेश लाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह छह महीने के बाद कानून बन जाए। रविवार शाम को तीन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय और किसान यूनियन नेता चौथे दौर की वार्ता के लिए मिलेंगे।
किसानों का शांतिपूर्ण आंदोलन जारी है। बीकेयू (चढ़ूनी) ने शनिवार को हरियाणा में ट्रैक्टर मार्च निकाला, जबकि बीकेयू (एकता उगराहां) ने पटियाला में कैप्टन अमरिंदर सहित भाजपा नेताओं के आवासों के बाहर धरना दिया। पंजाब के 13 जिलों में किसानों के धरने के कारण कम से कम 21 टोल प्लाजा कुछ देर बंद रहे।
टिकैत का ऐलान
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने पंजाब और हरियाणा के किसानों का समर्थन करने के लिए 21 फरवरी को उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में धरने की घोषणा की। टिकैत ने कहा, “ये लड़ाई फसल और नसल बचाने की है।
मुजफ्फरनगर के सिसौली में एक महापंचायत में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, टिकैत ने कहा कि एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से कहा गया है कि अगर सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती है तो फरवरी के आखिरी सप्ताह में दिल्ली तक ट्रैक्टर मार्च शुरू करेंगे।
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा द्वारा बुलाए गए किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च के पांचवें दिन में प्रवेश करने पर यह महापंचायत आयोजित की गई।
टिकैत ने कहा- 21 फरवरी को जिला मुख्यालय पर कोई काम नहीं होगा। हम ट्रैक्टरों के साथ मार्च करेंगे। उसके बाद हमने 26 और 27 फरवरी को दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। हम अपने ट्रैक्टर एसकेएम के समर्थन में उतारेंगे। हरिद्वार से लेकर गाजियाबाद बॉर्डर तक हमारे ट्रैक्टरों की कतार लगी रहेगी। हर जिले और तहसील के लोग अपने ट्रैक्टरों के साथ सड़क पर खड़े होंगे।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक उनके संगठन की दिल्ली जाने की कोई योजना नहीं है। बीकेयू एसकेएम का हिस्सा है, जो 'दिल्ली चलो' मार्च कॉल का हिस्सा नहीं है। बल्कि अपना समर्थन बढ़ाया है। पंजाब के किसानों ने मंगलवार को दिल्ली की ओर मार्च शुरू किया था, जिन्हें सुरक्षा बलों ने हरियाणा के साथ राज्य की सीमा के शंभू और खनौरी बैरियर पर रोक दिया। वे तब से दोनों बॉर्डर पर बैठे हुए हैं।
चौथे दौर की वार्ता से पहले राकेश टिकैत ने कहा- “हरियाणा के मुख्यमंत्री कहते हैं कि वह ट्रैक्टरों को अनुमति नहीं देंगे। अब ये ट्रैक्टर आपकी (सरकार की) छाती पर चलेगा।)।” उन्होंने कहा- “जब सरकार हमला करती है, तो वह गांवों पर भी हमला करती है। अगर हमें जीवित रहना है तो हमें आंदोलन करना होगा।''