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जब तक सिद्धू माफ़ी नहीं मांगते, उनसे नहीं मिलेंगे अमरिंदर

जब तक सिद्धू माफ़ी नहीं मांगते, उनसे नहीं मिलेंगे अमरिंदर

कांग्रेस हाईकमान ने भले ही नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया हो लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनकी सियासी अदावत इतनी जल्दी ख़त्म होती नहीं दिखती।

कांग्रेस हाईकमान ने भले ही नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया हो लेकिन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनकी सियासी अदावत इतनी जल्दी ख़त्म होती नहीं दिखती। अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने मंगलवार रात को एक के बाद एक दो ट्वीट कर हाईकमान तक यह संदेश पहुंचा दिया है कि कैप्टन झुकने वाले नहीं हैं। 

दोनों ही ट्वीट में एक ही बात लिखी है लेकिन दूसरे ट्वीट में जो फ़ोटो अमरिंदर सिंह का लगा है, वह उनके तेवरों को दिखाता है। ट्वीट में ठुकराल ने लिखा है- इस तरह की ख़बरें ग़लत हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिलने का वक़्त मांगा है, सिद्धू की ओर से कोई समय नहीं मांगा गया है। 

ठुकराल ने आगे कहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने स्टैंड में कोई बदलाव नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तब तक सिद्धू से नहीं मिलेंगे जब तक वह उन्हें लेकर सोशल मीडिया पर किए गए हमलों के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी नहीं मांग लेते। याद दिला दें कि सिद्धू ने बीते तीन महीनों में ट्विटर और अपने बयानों के जरिये कैप्टन पर जोरदार हमला बोला था। 

इससे पहले भी यह ख़बर आई थी कि कैप्टन ने कहा है कि कांग्रेस हाईकमान जो फ़ैसला करेगा, वह उन्हें मंजूर है लेकिन वह सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे, जब तक वह सार्वजनिक रूप से उनसे माफ़ी नहीं मांग लेते। 

इसके अलावा पंजाब के कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने भी कहा है कि जब तक सिद्धू मुख्यमंत्री से मिलकर अपने मामले को नहीं सुलझा लेते, वह उनसे नहीं मिलेंगे। 

सोमवार को पहले यह ख़बर आई थी कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 21 जुलाई को पंजाब कांग्रेस के सांसदों और विधायकों को लंच पर बुलाया है। ये बात भी सामने आई कि नवजोत सिंह सिद्धू को इसमें शामिल होने का न्यौता नहीं दिया गया है। कहा गया था कि पंचकुला में यह लंच रखा गया है। 

लेकिन रवीन ठुकराल ने ट्वीट कर कहा था कि मीडिया में चल रही इस तरह की ख़बरें ग़लत हैं और मुख्यमंत्री ने ऐसे किसी कार्यक्रम के लिए किसी को न्यौता नहीं दिया है।  

कैप्टन की हुई अनदेखी!

बता दें कि सिद्धू और अमरिंदर के बीच लंबे वक़्त तक चली जंग के बाद हाईकमान ने सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है जबकि कैप्टन कई बार कह चुके थे कि सिद्धू को अध्यक्ष नहीं बनाया जाना चाहिए। नवजोत सिंह सिद्धू को रोकने के लिए कैप्टन ने आख़िरी वक़्त में अपने सियासी विरोधी प्रताप सिंह बाजवा का भी नाम आगे बढ़ाया लेकिन हाईकमान इस पद पर सिद्धू को ही चाहता था। 

इसके अलावा पार्टी ने जो चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं, उनमें भी अमरिंदर सिंह की पसंद को नज़रअंदाज कर दिया गया है। अमरिंदर ने हिंदू अध्यक्ष का दांव चलते हुए वरिष्ठ नेताओं मनीष तिवारी और विजय इंदर सिंगला का नाम आगे बढ़ाया था जबकि दलित वर्ग से राजकुमार वेरका और संतोष चौधरी को वह कार्यकारी अध्यक्ष बनवाना चाहते थे। लेकिन पार्टी ने इनमें से किसी को संगठन में कोई जिम्मेदारी नहीं दी। 

हाईकमान ने जो चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए हैं, उनमें सुखविंदर सिंह डैनी दलित वर्ग से आते हैं जबकि संगत सिंह गिलजियां पिछड़े वर्ग से। इसी तरह पवन गोयल को हिंदू सवर्ण और कुलजीत सिंह नागरा को सिख चेहरे के तौर पर जगह दी गई है। 

कांग्रेस को होगा नुक़सान 

पंजाब में सात महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। सिद्धू और अमरिंदर के सियासी रिश्ते जगजाहिर हैं। देखना होगा कि सिद्धू सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगते हैं या नहीं और अगर माफ़ी मांगते भी हैं तो भी इन दोनों के रिश्ते क्या साथ काम करने वाले बनेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो पंजाब में कांग्रेस को नुक़सान होना तय है। 

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