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अमरिंदर : बीजेपी के प्रचार के सामने झुक गए राज्यपाल 

अमरिंदर : बीजेपी के प्रचार के सामने झुक गए राज्यपाल 

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल वी. पी. सिंह वडनोर ने बीजेपी के प्रचार से प्रभावित होकर दूरसंचार के टॉवरों से तोड़फोड़ के मामले में राज्य के आला अफ़सरों को तलब किया है।

पश्चिम बंगाल के बाद अब पंजाब में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच की लड़ाई खुल कर सामने आ गई है और मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के इशारे पर राज्य सरकार को निशाने पर लेने का आरोप लगाया है।

आला अफ़सरों को तलब

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल वी. पी. सिंह वडनोर ने बीजेपी के प्रचार से प्रभावित होकर दूरसंचार के टॉवरों से तोड़फोड़ के मामले में राज्य के आला अफ़सरों को तलब किया है।

उन्होंने बीजेपी के प्रचार के सामने झुकने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल से कहा है, "यदि आपको कोई स्पष्टीकरण चाहिए तो मुझे तलब करें, मेरे अधिकारियों को नहीं।"

'बीजेपी  की ओछी राजनीति'

उन्होंने एक बयान में कहा है, "हालांकि बीजेपी ने राज्य में क़ानून व्यवस्था का मुद्दा सिर्फ कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन से ध्यान बँटाने के लिए उठाया है, यदि राज्यपाल इस पर चिंतित हैं तो उन्हें इस मुद्दे पर सीधे मुझसे बात करनी चाहिए क्योंकि गृह मंत्रालय मेरे पास है।"कैप्टन सिंह ने कहा,

"ऐसे समय जब पंजाब के किसानों का अस्तित्व ही दाँव पर लगा है, बीजेपी ओछी राजनीति में लगी हुई है और अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए राज्यपाल के संवैधानिक पद को भी खींच कर इसमें ला रही है।"


कैप्टन अमरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री, पंजाब

 - Satya Hindi

दूरसंचार टॉवर के साथ तोड़फोड़

बता दें कि कृषि क़ानून 2020 के ख़िलाफ़ किसान आन्दोलन में लगे संगठनों ने रिलायंस जियो का बॉयकॉट करने की अपील की थी। इसके बाद पंजाब में रिलायंस जियो के लगभग 1,500 दूरसंचार टॉवर के साथ तोड़फोड़ की गई। ख़ुद मुख्यमंत्री ने इसका संज्ञान लेते हुए इसकी आलोचना की थी और पुलिस से कहा था कि ऐसा करने वालों के कड़ी कार्रवाई करे।

लेकिन ताज़ा बयान में उन्होंने कहा है कि "बीजेपी शांतिपूर्ण किसान आन्दोलन को कमज़ोर कर रही है औ कुछ मोबाइल टॉवरों को नुक़सान पहुँचाने की छोटी-मोटी घटनाओं को क़ानून व्यवस्था की समस्या बता रही है।"

मुख्यमंत्री ने कहा, 

"इन टॉवरों की मरम्मत की जा सकती है और की जा रही है, पर बीजेपी सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ अपने अधिकारों के लिए दिल्ली सीमा पर ठिठुरती ठंड में जिन किसानों की जान चली गई, उनका क्या होगा?"


कैप्टन अमरिंदर सिंह, मुख्यमंत्री, पंजाब

रिलायंस जियो का बॉयकॉट

बता दें कि किसानों की अपील के बाद सोशल मीडिया पर हैशटैग #BoycottJioSIM चला जिसमें कहा गया था कि अगर आप किसानों के समर्थक हैं तो अडानी-अंबानी के किसी भी उत्पाद का इस्तेमाल न करें। रिलायंस ने अपने कारोबारी प्रतिद्वंद्वियों वोडाफ़ोन-आइडिया (वीआई) और भारतीय एयरटेल के ख़िलाफ़ टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (ट्राई) में शिकायत की थी।

रिलायंस ने कहा था कि ये कंपनियां ओछी हरक़त कर रही हैं और उसके ख़िलाफ़ अफ़वाह फैला रही हैं कि उसे नए कृषि क़ानूनों से फ़ायदा होगा। रिलायंस ने इनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की माँग की थी।

इधर, दिल्ली के टिकरी-सिंघु के साथ ही ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी किसानों का धरना जारी है। कड़ाके की ठंड में भी इस आंदोलन में बड़ी संख्या में किसान जुड़ते जा रहे हैं। रेवाड़ी बॉर्डर पर भी बड़ी संख्या में किसान जमा हैं।

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