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पंजाब का अजनाला प्रकरण, किसकी साजिश, केंद्र चुप क्यों?

पंजाब का अजनाला प्रकरण, किसकी साजिश, केंद्र चुप क्यों?

पंजाब के अजनाला में पुलिस दफ्तर पर कब्जा मामूली घटना नहीं है। इस सारे मामले में अमृतपाल सिंह खालसा को लेकर तमाम सवाल पूछे जा रहे हैं। किसी समय बीजेपी के साथ अकाली दल ने केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका को लेकर सवाल किए हैं। पंजाब के घटनाक्रम पर पत्रकार अमरीक की नजर बनी हुई है। पेश है उनकी एक और रिपोर्टः

अब यह शीशे की मानिंद साफ है कि पंजाब के जिले अमृतसर के तहत आते कस्बेनुमा शहर अजनाला में जो कुछ हुआ वह किसी 'गहरी साजिश' के तहत अंजाम दिया गया। जिस तरीके से 'वारिस पंजाब दे' के तथाकथित मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा ने श्री गुरुग्रंथ साहब की आड़ में इसे सिर चढ़ाया, उसने कई सरगोशियों को दरपेश किया है। थाने पर कब्जा मामूली बात नहीं। गौरतलब है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को रोका जा सकता था। 'दुर्भाग्यपूर्ण' शब्द इसलिए कि अल्पसंख्यकों और धर्मनिरपेक्ष सिखों के बीच पूरे प्रकरण की बाबत निहायत गलत संदेश गया है।   

अमृतपाल सिंह खालसा और उसके समर्थकों ने अजनाला के जिस थाने पर कब्जा किया, वह भारत-पाकिस्तान सीमा से महज बीस किलोमीटर की दूरी पर है। गौरतलब है कि पंजाब के तमाम सरहदी जिलों में बीएसएफ तैनात है और उसका दायरा 150 किलोमीटर तक कार्रवाई का है। पहले यह दायरा न्यूनतम था लेकिन जब बढ़ाया गया तो राज्य में इसका खूब विरोध हुआ था। अब पूछा जा रहा है कि अगर पंजाब पुलिस नाकाम रही तो बीएसएफ वहां क्यों नहीं गई? जबकि वह तमाम घटनाक्रम पर निगाह रखे हुए थी। पंजाब पुलिस राज्य शासन-व्यवस्थ के तहत काम करती है और बीएसएफ यानी केंद्रीय सुरक्षा बल केंद्र के मातहत है। पंजाब पुलिस कतिपय वजहों से बेबस थी तो बीएसएफ को कहा जा सकता था। लेकिन अजनाला प्रकरण में ऐसा कुछ नहीं किया गया। सवाल मौंजू है कि क्यों ऐसा नहीं किया गया? 

अजनाला पुलिस स्टेशन के सामने से श्री गुरुग्रंथ साहिब की पालकी हटा ली गई थी और अमृतपाल सिंह खालसा थाने के भीतर एसएचओ की कुर्सी पर बैठकर आला पुलिस अधिकारियों से बातचीत कर रहा था। उसी थाने में, जहां उसके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया और उसके एक साथी की गिरफ्तारी हुई। बाद में उसे रिहा भी कर दिया गया। मुकदमे में से अमृतपाल सिंह खालसा का नाम हटाने की कवायद भी जारी है। पुलिस का तर्क यह है कि कोई गवाह सामने नहीं है।                                                   

मैं पागल नहीं हूंः वरिंदर सिंह

जिस मामले को लेकर इतना बड़ा कांड पंजाब में हुआ, वह उस शिकायतकर्ता वरिंदर सिंह की बाबत है जिसे अब पुलिस और अमृतपाल सिंह खालसा 'पागल' करार दे रहे हैं। यानी एकदम सुनिश्चित किया गया कि वरिंदर सिंह 'पागल' है! अब उसने बाकायदा वीडियो जारी करके पूछा है कि उसे किस डॉक्टर ने पागल करार दिया है? उसका कहना है, "मैं अगर पागल हूं तो मेरी बातों को क्यों गंभीरता से लिया गया और इतना बवाल खड़ा किया गया। मैं श्री स्वर्ण मंदिर साहिब में मत्था टेकने गया था और धोखे से मुझे अमृतपाल सिंह खालसा के साथियों ने अगवा कर लिया और बेइंतहा यातनाएं दीं। मेरे ककारों (सिख मान्यता के अनुसार जिन्हें 'संपूर्ण सिख' धारण करता है) की बेअदबी की गई। यह सब इसलिए हुआ कि पहले मैं अमृतपाल सिंह के साथ था और अब अलहदा हूं। मेरे उससे मतभेद हैं। अगर उसकी हाजिरी में मुझे यातनाएं नहीं दी गईं तो वह श्री गुरुग्रंथ साहब के आगे आए और कहे कि उसकी अगुवाई में ऐसा नहीं हुआ।" 

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वरिंदर सिंह

पुलिस भी पलटी

वरिंदर सिंह की बाबत अब पंजाब पुलिस भी पलट गई है जबकि इससे पहले उसने उसी की तरफ से लिखवाई गई एफआईआर के आधार पर अमृतपाल सिंह खालसा और उसके रिहा किए गए निकट सहयोगी तूफान पर मुकदमा दर्ज किया था। इस घटना के बाद पंजाब पुलिस का कहना था कि वह अमृतपाल और उसके साथियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। वरिंदर सिंह के निकटवर्ती बताते हैं कि वह तभी सामने आएगा जब अमृतपाल सिंह खालसा किसी गुरुद्वारे में श्री गुरुग्रंथ साहब के आगे इस पर बात करेगा। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रताड़ित व्यक्ति की बाकायदा मेडिकल जांच के बाद एफआईआर दर्ज की जाती है और उसके बाद दबाव में पुलिस अमृतपाल सिंह खालसा को  क्लीन चिट दे देती है। यह सब किसके इशारे पर हो रहा है? 

मुद्ई वरिंदर सिंह पनाह मांगता फिर रहा है और उसे अमानवीय यातनाएं देने वाले छुट्टा घूम रहे हैं। जिनमें अमृतपाल सिंह खालसा और उसका साथी लवप्रीत सिंह तूफान भी है।            

सरकार की चुप्पी पूरे प्रकरण पर वैसे तो कायम है लेकिन इशारों की भाषा में मान मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्य अमन अरोड़ा ने सिर्फ इतना कहा कि, "अजनाला थाने पर कब्जा नहीं होता अगर वहां श्री गुरुग्रंथ साहिब की पालकी नहीं होती। हमने मर्यादा का पालन किया।" मुख्यमंत्री भगवंत मान अभी भी इस संवेदनशील घटनाक्रम पर खामोश हैं। केंद्र भी। बावजूद इसके की अमृतपाल सिंह खालसा थाने पर कब्जे के बाद वहां मौजूद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कहता है कि उसकी लड़ाई 'खालिस्तान' के लिए है!


मजीठिया के गंभीर आरोप

अलबत्ता शिरोमणि अकाली दल की खामोशी को तोड़ा पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने। उन्होंने कहा कि अमृतपाल सिंह खालसा ने कल जो कुछ किया वह बेहद दुखदायी है और इसकी तह तक जाना चाहिए कि वह किस 'साजिश' का मोहरा है। मजीठिया ने एक वीडियो भी वायरल किया है जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अमृतपाल सिंह खालसा के आगे 'गिड़गिड़ा' रहे हैं। 

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बिक्रम सिंह मजीठिया, अकाली नेता और पूर्व मंत्री

बिक्रमजीत सिंह मजीठिया कहते हैं, "अमृतपाल किन एजेंसियों से ताल्लुक रखता है, यह जल्दी सामने आ जाएगा।" मजीठिया यह भी कहते हैं कि अगर शिकायतकर्ता गलत है तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए और उसकी एफआईआर दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी। 

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