कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर देश को यह सोचने के लिए मज़बूर कर दिया है कि कश्मीर में आतंकवादी हमले क्यों कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं और क्यों कश्मीरी युवाओं में आतंकवाद को लेकर आकर्षण बढ़ता ही जा रहा है।
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भारत की सुरक्षा एजेंसियों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि आतंकी संगठनों से जुड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे भी ज़्यादा चिंताजनक बात यह है कि कई पढ़े-लिखे युवा भी इन संगठनों में शामिल हो रहे हैं। एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि बाहर से आए आतंकी जैश-ए-मुहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए हैं। अधिकारियों के मुताबिक़, घाटी में 271 आतंकियों ने शरण ली हुई है और इसमें से 65 भारत से बाहर के हैं।
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कक्षा 10 पास हैं 32 फ़ीसदी युवा
जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी की रिपोर्ट के अनुसार, इन आतंकी संगठनों से जुड़ने वाले युवाओं में 32 फ़ीसदी युवा कक्षा 10 पास हैं। इन संगठनों में शामिल अंडर ग्रेजुएट और ग्रेजुएट युवाओं की संख्या 19 फ़ीसदी है। 7 फ़ीसदी पोस्ट ग्रेजुएट युवा इन संगठनों से जुड़े हैं और 7 फ़ीसदी ऐसे लोग हैं जो पढ़े-लिखे नहीं हैं।
चिंताजनक : आतंकवादी घटनाएँ बढ़ी ही नहीं, ज़्यादा घातक भी होती गईं
केंद्रीय गृह मंत्रालय को मिली जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी रिपोर्ट में कश्मीर में आतंकवादी बनने वालों का लेखा-जोखा दिया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़, आतंकी बनने वालों में 65 फ़ीसदी संख्या उन युवाओं की है जो स्वभाव से धार्मिक हैं जबकि 10 फ़ीसदी युवा ऐसे हैं जो वैसे तो धार्मिक नहीं हैं लेकिन कश्मीर में आस-पास के हालात से गुमराह होकर आतंक के रास्ते पर चल पड़े हैं। इन आतंकियों में 3 फ़ीसदी नशेड़ी और 22 फ़ीसदी वे युवा हैं जो खाली बैठे हैं, बेरोज़गार हैं और जिनको आतंकवाद और हथियार आकर्षित करते हैं।
- सीआईडी की रिपोर्ट के मुताबिक़, कश्मीर के युवाओं में हथियारों को लेकर आकर्षण बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक़, कश्मीर में युवाओं का एक तबक़ा ऐसा भी है जो जिंदगी में सिर्फ़ रोमांच के लिए हथियार का इस्तेमाल करना चाहते हैं और अंत में वे रास्ता भटककर आतंकवाद के रास्ते पर चले जाते हैं।
पूरी दुनिया में सोशल मीडिया का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है, कश्मीर भी इससे अछूता नहीं है। कश्मीर के युवाओं में भी सोशल मीडिया का आकर्षण दिनों-दिन बढ़ा है। वह अपनी रोजाना जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा फ़ेसबुक, ट्विटर या फिर इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर गुज़ारते हैं। सीआईडी की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2015 तक कश्मीर में 70 फ़ीसदी युवा सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं।
सोशल मीडिया के जरिये फंसाते हैं युवाओं को
सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पूरी दुनिया में आतंकवादी बनाने का एक बड़ा जरिया बन गया है। जैश-ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठन सोशल मीडिया पर ऐसे युवाओं की तलाश में रहते हैं जिन्हें वे अपने जाल में फंसा सकते हैं और फिर जेहाद के नाम पर उनका ब्रेनवॉश कर उन्हें आतंकवादी बना देते हैं। आदिल अहमद डार और बुरहान वानी जैसे आतंकवादी बड़ी आसानी से जैश के जाल में फंसकर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते हैं।