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पटना: कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लेफ़्ट का जोरदार प्रदर्शन, लाठीचार्ज

पटना: कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लेफ़्ट का जोरदार प्रदर्शन, लाठीचार्ज

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब से शुरू हुआ आंदोलन देश भर में फैलता जा रहा है। मंगलवार को पटना में वाम दलों से जुड़े लोग सड़क पर उतरे और राजभवन की ओर मार्च किया। 

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब से शुरू हुआ आंदोलन देश भर में फैलता जा रहा है। मंगलवार को पटना में वाम दलों से जुड़े लोग सड़क पर उतरे और राजभवन की ओर मार्च किया। पुलिस ने इन्हें रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन जब लोग आगे बढ़ते गए तो लाठीचार्ज किया गया। 

सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन में बैठे किसानों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए इन लोगों ने सरकार से इन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग की। दूसरी ओर, मसले का हल निकालने के लिए सरकार और किसानों के बीच एक बार फिर 30 दिसंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में बातचीत होने जा रही है। 

कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से किसानों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार खुले मन से मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।

मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस बैठक में तीनों कृषि क़ानूनों और एमएसपी की ख़रीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

बता दें कि इससे पहले कई दौर की बातचीत बेनतीजा साबित हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कई बार कहा जा चुका है कि सरकार कृषि क़ानूनों को तुरंत रद्द करे। 

किसान आंदोलन पर देखिए वीडियो- 

पंजाब में आंदोलन तेज़

मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब में किसानों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर है। किसान आंदोलन का असर भी सबसे ज़्यादा पंजाब में ही है। किसानों ने अंबानी के प्रोडक्ट्स के बहिष्कार का एलान किया हुआ है और इससे मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस खासी परेशान है। 

पंजाब में जियो के नंबर को दूसरे सर्विस प्रोवाइडर में पोर्ट कराया जा रहा है। रिलायंस के पेट्रोल पंप और रिटेल आउटलेट्स के बाहर लंबे वक्त से धरना दिया जा रहा है और अब किसान जियो के टावर्स की बिजली काट रहे हैं। इस वजह से राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं प्रभावित हो रही हैं और लोगों को खासी परेशानी हो रही है। 

टिकरी-सिंघु से लेकर ग़ाजीपुर बॉर्डर तक बड़ी संख्या में इकट्ठा हो चुके किसानों का आंदोलन बढ़ता जा रहा है। आंदोलन में पंजाब-हरियाणा और बाक़ी राज्यों से किसानों का आना जारी है। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसानों ने दिल्ली कूच किया है।

‘किसानों के दरवाजे तक पहुंची सरकार’

किसानों के आंदोलन से हलकान बीजेपी और मोदी सरकार अब तक इस मसले का कोई हल नहीं निकाल पाए हैं, हालांकि किसानों को मनाने की कोशिशें जारी हैं। पीएम मोदी ने हाल में कहा, ‘किसानों को फसल बेचने के लिए बाज़ार मिलना चाहिए। सरकार ने मंडियों को ऑनलाइन किया है। आज देश में 10 हज़ार से ज़्यादा किसान उत्पादक संघ को मदद दी जा रही है। देश भर में कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए सरकार करोड़ों रुपये ख़र्च कर रही है।’

सरकार पर बढ़ा सियासी दबाव

कृषि क़ानूनों के मसले पर तमाम विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार पर ख़ासा दबाव बढ़ा दिया है। किसानों की भूख हड़ताल से लेकर भारत बंद तक के कार्यक्रम को विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। हालांकि किसानों ने अपने आंदोलन को पूरी तरह ग़ैर राजनीतिक रखा है लेकिन मोदी सरकार से लड़ने में ख़ुद को अक्षम पा रहे विपक्ष को किसान आंदोलन से ऊर्जा मिली है और वह खुलकर किसानों के समर्थन में आगे आया है। 

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