+
पूजा खेडकर की विकलांगता पर इतना विवाद क्यों, जानें सर्टिफिकेट में क्या दावा

पूजा खेडकर की विकलांगता पर इतना विवाद क्यों, जानें सर्टिफिकेट में क्या दावा

यूपीएससी परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 821वीं रैंक हासिल करने वाली पूजा खेडकर को पुणे में सहायक कलेक्टर के पद पर तैनात किया गया था। लगातार विवादों में क्यों? 

प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर लगातार विवादों में घिरती जा रही हैं। पहले वह कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग के लिए विवाद में थीं और अब अपनी विकलांगता के दावे के लिए। रिपोर्ट है कि उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में विकलांगता के आधार पर लाभ लिया। इसके लिए कम से कम 40 फीसदी विकलांगता होना ज़रूरी है। जबकि कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया था कि उनकी 7 फीसदी ही विकलांगता थी। एक और रिपोर्ट सामने आई है जिसमें दावा किया गया है कि खेडकर द्वारा 2007 में एक निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेते समय दिए गए डॉक्टरी प्रमाण पत्र में उन्हें 'चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ' बताया गया था तथा कहा गया था कि उन्हें कोई बड़ी विकलांगता नहीं है।

बहरहाल, अब एक रिपोर्ट में उनकी विकलांगता का प्रमाण पत्र सामने आया है। उस प्रमाण पत्र को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला अस्पताल ने प्रमाणित किया है कि पूजा खेडकर दोनों आँखों में मायोपिक डिजनरेशन के साथ अवसाद से पीड़ित थीं। 

अहमदनगर जिला सिविल सर्जन डॉ. संजय घोगरे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 51 प्रतिशत विकलांगता को प्रमाणित करने वाली रिपोर्ट की एक प्रति जिला कलेक्टर एस सलीमथ को सौंपी गई थी। घोगरे ने कहा, 'रिपोर्ट आज (मंगलवार) नासिक संभागीय आयुक्त को सौंपी जाएगी।' 

अंग्रेजी अख़बार के मुताबिक़, अस्पताल की रिपोर्ट में कहा गया है कि नेत्र शल्य चिकित्सक डॉ. एस वी रस्कर ने 25 अप्रैल, 2018 को खेडकर की जांच की थी और प्रमाणित किया था कि वह '40 प्रतिशत स्थायी विकलांगता के साथ बीई हाई मायोपिया और मायोपिक डिजनरेशन' से पीड़ित थीं। इसी के अनुसार उन्हें विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें एक प्रमाण पत्र जारी किया गया था, जिसमें दोनों आँखों में कम दृष्टि (40 प्रतिशत विकलांगता) और मानसिक बीमारी और मस्तिष्क अवसाद (20 प्रतिशत विकलांगता) दिखाया गया था। ऑटो-जनरेटेड विकलांगता 51 प्रतिशत थी, और इस तरह एक प्रमाण पत्र जारी किया गया था।

2007 में 'मेडिकली फिट' की रिपोर्ट थी

पूजा खेडकर द्वारा 2007 में एक निजी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेते समय जमा किए गए डॉक्टरी प्रमाण पत्र में उन्हें 'चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ' बताया गया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार तब फिटनेस प्रमाण पत्र में कहा गया, 'उन्होंने किसी भी बीमारी का व्यक्तिगत इतिहास नहीं बताया है, जिसके कारण वह पेशेवर पाठ्यक्रम पूरा करने में असमर्थ हों। इसके अलावा, क्लिनिकल ​​जांच में पाया गया है कि वह पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट हैं।'

'चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ' वाले सर्टिफिकेट पूजा खेडकर ने 2007 में एमबीबीएस में प्रवेश लेते समय काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज में जमा किया था।

बता दें कि सिविल सेवा परीक्षा में पूजा खेडकर के एटेम्प्ट के बारे में जो जानकारी सामने आई है उसमें पता चला है कि उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग को पेश हलफनामे में दृष्टिबाधित और मानसिक रूप से बीमार होने का दावा किया था। खेडकर द्वारा बताई गई विकलांगताओं का उपयोग उनके यूपीएससी चयन के दौरान विशेष रियायतें प्राप्त करने के लिए किया गया था। परीक्षा में कम अंक प्राप्त करने के बावजूद इन रियायतों के कारण उन्हें परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफलता मिली।

चयन के बाद यूपीएससी ने उनकी विकलांगता की पुष्टि के लिए उन्हें मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया। लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार खेडकर ने छह अलग-अलग मौकों पर इन परीक्षणों में शामिल होने से इनकार कर दिया।

दिल्ली के एम्स में उनकी पहली निर्धारित चिकित्सा जांच 22 अप्रैल, 2022 को थी, जिसे उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का दावा करते हुए छोड़ दिया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के एम्स और सफदरजंग अस्पताल में 26 और 27 मई को होने वाली अगली अप्वाइंटमेंट को भी छोड़ दिया गया। वह परीक्षणों से बचती रहीं। 1 जुलाई को एक और अप्वाइंटमेंट को छोड़ दिया। हालाँकि वह शुरू में 26 अगस्त, 2022 को एक चिकित्सा जाँच के लिए सहमत हुई थीं, लेकिन वह 2 सितंबर को महत्वपूर्ण एमआरआई के लिए नहीं आई, जिसका उद्देश्य उसकी आँखों की रोशनी का आकलन करना था। बहरहाल, अब इस मामले की जाँच के लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है और रिपोर्ट में सच सामने आ जाएगा!

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें