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कर्नाटक में अमूल के विरोध में प्रदर्शन, नंदिनी पार्लर पहुँचे शिवकुमार

कर्नाटक में अमूल के विरोध में प्रदर्शन, नंदिनी पार्लर पहुँचे शिवकुमार

कर्नाटक के बाज़ार में उतरने के अमूल की घोषणा के बाद उठा विवाद थमता नज़र नहीं आ रहा है। जानिए, अमूल के ख़िलाफ़ अब प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं।

बेंगलुरु में दूध और दही की आपूर्ति करने की अमूल की हालिया घोषणा के विरोध में कर्नाटक रक्षणा वेदिके के कार्यकर्ता सोमवार को सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन यानी केएमएफ के नंदिनी ब्रांड के समर्थन में अमूल उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया। उन्होंने शहर के मैसूर बैंक सर्कल पर विरोध प्रदर्शन किया। ब्रुहत बेंगलुरु होटल एसोसिएशन ने राजधानी के होटलों से स्थानीय ब्रांड नंदिनी के उत्पादों का उपयोग करने का आग्रह किया है। यह राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है और इसे कर्नाटक की अस्मिता से जोड़ा जा रहा है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने हासन में नंदिनी मिल्क पार्लर का दौरा किया। यह दौरा गुजरात राज्य दुग्ध सहकारी ब्रांड अमूल के कर्नाटक बाजार में प्रवेश पर विवाद के बीच आया है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि भाजपा द्वारा समर्थित अमूल का प्रवेश कर्नाटक मिल्क फेडरेशन यानी केएमएफ के ब्रांड 'नंदिनी' के लिए खतरा पैदा करेगा।

चुनाव वाले राज्य कर्नाटक में यह विवाद तब उठा जब अमूल ने पाँच दिन पहले ट्वीट किया था, 'बेंगलुरु में दूध और दही के साथ ताजगी की नई लहर आ रही है। अधिक जानकारी जल्द ही।' इसने हैशटैग में लॉन्च एलर्ट यानी शुरू करने की जानकारी दी थी।

यह मुद्दा सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर गरमाया रहा। कर्नाटक के इस मुद्दे ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियाँ बटोरीं।

कन्नड़ समर्थक संगठन के सदस्यों ने विरोध के प्रतीक के तौर पर अमूल उत्पादों को सड़क पर फेंक दिया। उन्होंने गुजरात स्थित अमूल के साथ राज्य द्वारा संचालित सहकारी समिति के विलय के लिए केंद्र सरकार की कथित 'साजिश' की निंदा की।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी धमकी दी कि अगर कंपनी ने बेंगलुरु में दूध और दही बेचने पर जोर दिया तो वे राज्य में सभी अमूल उत्पादों की बिक्री को रोक देंगे। विरोध के दौरान अमूल का पुतला फूंकने की कोशिश की गई जिसको पुलिस ने नाकाम कर दिया और कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया।

अमूल के इस प्रस्ताव के बाद कर्नाटक में विवाद पैदा हो गया है क्योंकि कांग्रेस और जेडीएस जैसे विपक्षी दलों ने राज्य की कंपनियों और बैंकों को 'ख़त्म' करने के प्रयास के लिए भाजपा पर हमला किया है।

अमूल द्वारा बेंगलुरु के बाजार में दूध और दही बेचने की योजना की घोषणा के बाद कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया था। पीएम मोदी के राज्य के दौरे पर कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने पूछा कि क्या उनकी यात्रा का उद्देश्य 'राज्य को लूटना' था।

सिद्धारमैया ने कल कहा था, 'सभी कन्नडिगों को केएमएफ के हड़पने का एकमत से विरोध करना होगा, जिसे देश के किसानों के कल्याण के लिए बनाया गया है। सभी कन्नडिगों को अमूल उत्पादों को नहीं खरीदने का संकल्प लेना चाहिए।' उन्होंने कहा कि राज्य की सीमाओं के भीतर घुसपैठ कर हिंदी थोपने और भूमि राजद्रोह के अलावा अब भाजपा सरकार केएमएफ को बंद करके किसानों को धोखा देने जा रही है, जो लाखों लोगों की आजीविका है।

जेडीएस ने भी कथित तौर पर नंदिनी ब्रांड पर कब्जा करने की कोशिश करने के लिए अमूल की खिंचाई की है। हालाँकि बीजपी ने विपक्ष के दावों को खारिज करते हुए कहा कि आरोप निराधार हैं और दो दुग्ध संघों के विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है।

इधर, गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के प्रबंध निदेशक जयन मेहता ने कहा है कि राज्य के डेयरी बाज़ार में कंपनी का प्रवेश प्रतिस्पर्धा के लिए नहीं बल्कि स्थानीय नंदिनी ब्रांड के साथ मिलकर रहने के लिए है। मेहता ने एक विशेष बातचीत में द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'यह अमूल बनाम नंदिनी के बारे में नहीं है, बल्कि यह अमूल और नंदिनी के बारे में है। दोनों समान हितों पर काम करने वाली किसान-स्वामित्व वाली सहकारी समितियाँ हैं। हम यहां नंदिनी से मुकाबला करने के लिए नहीं हैं।'

'बॉयकॉट अमूल' और 'गो बैक अमूल' जैसी आलोचनाओं और नारों का जवाब देते हुए मेहता ने कहा, 'हम अपने रास्ते में आने वाली प्रतिक्रियाओं पर टिप्पणी या आलोचना नहीं कर सकते। यहाँ तक कि जो हमारा विरोध कर रहे हैं, वे भी हमारे ग्राहक हैं। वे अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन नंदिनी और अमूल के बीच हमारे अच्छे रिश्ते को कोई नहीं बदल पाएगा।'

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