कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे राहुल, प्रियंका और सिंधिया

05:39 pm Feb 08, 2019 | कुमार तथागत - सत्य हिन्दी

कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनने के बाद प्रियंका गाँधी का उत्तर प्रदेश का पहला दौरा धमाकेदार होगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के साथ प्रियंका और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी और पार्टी के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया लखनऊ में 11 फरवरी को रोड शो करेंगे। 

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कांग्रेस नेताओं के मुताबिक़, 11 फ़रवरी को ही राहुल, प्रियंका और सिंधिया लखनऊ में प्रेस से बातचीत करेंगे और रोड शो करेंगे। प्रियंका के दौरे का कार्यक्रम तय होने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सक्रियता बढ़ गई है। 

लखनऊ में रोड शो के दौरान प्रियंका, राहुल और सिंधिया का काफ़िला उन इलाक़ों से ख़ास तौर पर गुजरेगा, जहाँ कांग्रेस मज़बूत रही है। रोड शो शहर के पुराने और नए दोनों इलाक़ों से होकर जाएगा।

पुराने कांग्रेसियों को जोड़ने पर फ़ोकस

प्रियंका के दौरे के दिन ही कई दलों के महत्वपूर्ण नेता कांग्रेस में शामिल होंगे। कांग्रेस के दिल्ली कार्यालय से कई पुराने कांग्रेसियों से संपर्क साध कर उन्हें दुबारा पार्टी में सक्रिय होने को कहा जा रहा है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सपा-बसपा के कई दिग्गज नेता प्रियंका की मौजूदगी में पार्टी में शामिल होंगे। उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों पर मज़बूत प्रत्याशी तय करने के साथ ही अन्य दलों के नेताओं से भी कांग्रेस के नेता संपर्क साध रहे हैं।

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पिछड़ों को अहम ज़िम्मेदारी देगी पार्टी 

कांग्रेस में पिछड़ी जाति के नेताओं को सक्रिय करने और उन्हें महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी देने का अभियान भी शुरू किया जाएगा। प्रियंका की टीम में पिछड़ी जाति के ग़ैर यादव नेताओं को तरजीह दी जाएगी। कांग्रेस पार्टी के पिछड़े नेताओं की कतार में राजाराम पाल, बंशी पहाड़िया, चौधरी सत्यवीर, छोटेलाल चौरसिया, ममता मौर्य, ममता चौधरी, उषा मौर्य, प्रतिभा अटल पाल और डॉ. रामजियावन वर्मा तो दलित नेताओं में राजबहादुर, शिवलाल, भगवती चौधरी को ख़ास तौर पर प्रियंका की टीम में लिया जा सकता है।

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35 लोकसभा सीटों पर है नज़र

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रियंका, सिंधिया की नज़र उत्तर प्रदेश की उन 35 लोकसभा सीटों पर है जहाँ 2009 में पार्टी पहले या दूसरे स्थान पर रही थी। इस बार के लोकसभा चुनावों में पार्टी इन्हीं सीटों पर ख़ास ध्यान देगी और मज़बूत प्रत्याशी उतारेगी। कांग्रेस में मजबूत प्रत्याशी न होने की दशा में अन्य दलों से भी नेताओं को आयात किया जा सकता है।