प्रयागराज के मनैय्या घाट से प्रियंका गाँधी ने कांग्रेस की नाव गंगा में उतार दी है। उत्तर प्रदेश में पहली बार गंगा किनारे सैकड़ों गाँवों में बसे लोगों से इस पतित पावनी नदी में सफर करते हुए कोई राजनेता उनके सुख-दुख सुनेगा और अपनी कहेगा। गंगा में अपनी नाव उतारने से पहले प्रियंका ने संगम तट पर लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन भी किए। मोदी की ‘मैं भी चौकीदार’ मुहिम पर मुस्कारते हुए कहा कि अमीरों के चौकीदार होते हैं, किसानों का कोई चौकीदार नहीं होता।
गंगा के रास्ते शुरू हुआ प्रियंका का यह सफर इस चुनावी माहौल में प्रयाग, भदोही, बनारस, मिर्जापुर सहित क़रीब छह लोकसभा क्षेत्रों को कवर करेगा और इस दौरान वह सैकड़ों गाँवों के लोगों से मिलते हुए डेढ़ दर्ज़न के क़रीब छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित करेंगी। कांग्रेस की ख़ास नज़र गंगा के किनारे बसने वाली प्रदेश की छोटी-बड़ी पिछड़ी दलित जातियों से संवाद की है।
इंदिरा की तरह मंदिर में पूजा कर शुरू की गंगा यात्रा
रविवार की रात प्रयाग (इलाहाबाद) के अपने पैतृक घर स्वराज भवन में गुजार प्रियंका सोमवार सुबह संगम तट पर दारागंज के प्रसिद्ध लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर पहुँची। ग़ौरतलब है कि 1979 में इंदिरा गाँधी ने भी चुनाव में जाने से पहले इसी जगह लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर में पूजा-अर्चना की थी।
प्रियंका बोलीं- हमका जनती हौ का…
दशकों बाद उसी तर्ज पर बिना किसी ताम-झाम के प्रियंका भी मंदिर में पहुँची और विधिवत पूजा की। मनैय्या घाट पर जहाँ से यात्रा शुरू होने वाली थी, प्रियंका समय से पहले पहुँची और सब तैयारियों को परखा। इस दौरान घाट पर मौजूद औरतों-बच्चों से प्रियंका गाँधी ने बात भी की। महिलाओं से प्रियंका ने ठेठ अवधी अंदाज़ में पूछा...हमका जनती हौ का…
सहज प्रियंका के अंदाज़ से भावुक कई महिलाओं ने उनसे बातचीत की।
गंगा किनारे बसी पिछड़ी जातियों से संवाद पर ज़ोर
उत्तर प्रदेश में बने राजनैतिक सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रियंका की नज़र उन छोटी जातियों पर है जिनकी नुमाइंदगी सत्ता में न के बराबर रही है। अपने अभियान से पहले प्रियंका ने शाक्यों की पार्टी महान दल, कछवाहा-काछी जातियों के दल जन अधिकार पार्टी, कुर्मियों के अपना दल के कृष्णा पटेल वाले ख़ेमे से कांग्रेस का गठबंधन करवाने में सफलता पा ली है। नदी के सहारे जीवन यापन करने वाले निषादों के स्वाभिमान का प्रतीक कही जाने वाली पूर्व दस्यु सुंदरी स्व. फूलन देवी की बहन रुकमिणी देवी से वह इसी यात्रा में मुलाक़ात करेंगी। उम्मीद है कि उन्हें भी कांग्रेस अपने पाले में ले आएगी।
गंगा किनारे गाँवों से जुटने लगे लोग
प्रियंका की यात्रा में कई दिनों तक असमंजस बना रहा। प्रशासन और चुनाव आयोग की सहमति के इंतज़ार में यात्रा का कार्यक्रम रविवार सुबह तक फ़ाइनल नहीं हो पाया था। यात्रा जिन इलाक़ों से गुजरेगी वहाँ कांग्रेस का लंबे समय से कोई ख़ास जनाधार भी नहीं है। इन सबके बावजूद यात्रा शुरू होने के तीन-चार घंटों में ही गंगा किनारे बसे गाँवों के लोग निकल कर नदी तट पर जमा होने लगे। प्रियंका पूरे रास्ते लोगों को देख हाथ हिलाती रहीं और इनके स्टीमर के चल रहे नावों के काफ़िले में मौजूद लोग नारे लगाते रहे।