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अमेठी में राहुल की हार को लेकर डरी हुई हैं प्रियंका?

अमेठी में राहुल की हार को लेकर डरी हुई हैं प्रियंका?

बताया जा रहा है कि प्रियंका गाधी इस बात से डरी हुई हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इस बार अमेठी में बुरी तरह फँसे हुए हैं और चुनाव हार भी सकते हैं। 

वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनावी ताल ठोकने से इनकार के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अब अपने भाई और पार्टा अध्यक्ष राहुल गांधी की जीत सुनिश्चित करने के लिए अमेठी में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी से उलझ रहीं हैं। शनिवार रात को अचानक अमेठी पहुँची प्रियंका ने रविवार को स्मृति ईरानी के तूफानी जनसंपर्क अभियान की काट के लिए घर-घर दौरा करके लोगों को समझाना शुरू किया कि वे स्मृति को वोट देने के बजाय राहुल गांधी को ही एक बार फिर अपना वोट दें। 

प्रियंका गाँधी के अचानक इस तरह अमेठी पहुँचकर घर-घर प्रचार करने से इस आशंका को बल मिला है कि अमेठी में स्मृति ईरानी के लगातार सक्रिय रहने से राहुल गांधी की हार का ख़तरा मंडराने लगा है। क़रीब दो हफ़्ते पहले प्रियंका ने अपने दो दिनी अमेठी दौरे पर कार्यक्रताओं की बंद कमरे में बैठक में साफ़ तौर कहा था कि इस बार वह पहले की तरह अमेठी मे ज़्यादा वक़्त नहीं दे पाएँगी, क्योंकि राहुल गांधी ने देश के दूसरे हिस्सों मे प्रचार की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर डाल दी है। लिहाज़ा उन्हें इस बार राहुल को जिताने के लिए कड़ी मेहनत करनी है।  

राहुल की हार का डर

बता दें कि तब 'सत्यहिंद' ने अपने पाठकों के बताया था कि प्रियंका को अमेठी में राहुल की हार का डर सता रहा है। वह भले ही कांर्यकर्ताओं के कंधों पर उन्हें जिताने की ज़िम्मेदारी डाल रहीं हों, लेकिन आख़िरी वक़्त में उन्हें खुद चुनाव प्रचार और चुनाव प्रबंधन की कमान संभालने के लिए मतदान से कुछ दिन पहले डेरा डालना पड़ सकता है। आख़िरी दिनों में अमेठी में मतदान छह मई को होना है। लेकिन चौथे चरण के मतदान से पहले ही अचानक प्रियंका का अमेठी पहुंचना इसी तरफ इशारा कर रहा है कि राहुल की जीत के लिए वह कोई जोखिम नहीं उठाना चाहतीं।  

अमेठी पहुंचते ही प्रियंका ने स्मृति पर तंज़ करते हुए हमला बोला। प्रियंका ने कहा कि अमेठी के लोग ऐसे किसी नेता का समर्थन नहीं करेंगे जो उन्हें भिखारी समझता है। प्रियंका ने यह भी कहा कि कभी वह (स्मृति ईरानी) यहां जूते बाँटतीं हैं तो कभी साड़ियाँ। अमेठी की जनता बड़ी स्वाभिमानी है। यहां के लोग ऐसे नेता का कभी समर्थन नहीं करेंगे, जो उन्हें भिखारी समझते हैं। 

स्मृति ने भी तुर्की ब तुर्की जवाब दिया। स्मृति बोलीं कि प्रियंका को यह भी बताना चाहिए कि 15 साल से अमेठी का सांसद (राहुल गांधी) कहाँ हैं।

ईरानी का पलटवार

प्रियंका गांधी वाड्रा और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के बीच ज़ुबानी जंग तेज़ हो गई है। प्रियंका ने कहा कि 5 साल में स्मृति केवल 16 बार अमेठी आईं हैं। पूरे अमेठी क्षेत्र में भी नहीं घूमीं हैं। इस पर ईरानी ने कहा कि वह इस बात से बेहद ख़ुश हैं कि प्रियंका उनके अमेठी आने का हिसाब रख रही हैं। लेकिन वह लोगों को यह बताने में असमर्थ हैं कि यहाँ से 15 साल से सांसद (राहुल गांधी) कहाँ हैं। प्रियंका को लोगों को इसके बारे में भी बताना चाहिए। अमेठी में 6 मई को मतदान है। 

दलितों तक पहुँचने की कोशिश

प्रियंका शनिवार रात अचानक अमेठी पहुंचकर रात मे ही कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की। रविवार सुबह प्रियंका अमेठी में बसपा नेता जयप्रकाश तिवारी के घर पहुंचकर उनसे मुलाक़ात की। तिवारी बसपा से ब्लाक प्रमुख रह चुके हैं। बता दें कि सपा और बसपा ने अमेठी और रायबरेली में अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। इन दोनों ही सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन ने कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया है। 

प्रियंका सपा-बसपा के नेताओं से उनके घर जाकर मुलाक़ात करके यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि उनके समर्थकों के वोट कांग्रेस के हक में ही पड़ें।

तू डाल-डाल, मैं  पात-पात

प्रियंका के इस तरह घर-घर जाकर लोगों से मिलने की इस मुहिम से लगता है कि उन्हें स्मृति ईरानी के लगातार अमेठी में रहने से कुछ मतदाताओं के खिसकने का ख़तरा महसूस हो रहा है। ख़ासकर पीएम मोदी के नामांकन के वक़्त उमड़े जन सैलाब, एनडीए के तमाम नेताओं की एक मंच पर मौजूदगी और गंगा घाट पर भगवा वस्त्रों में पीएम मोदी का आरती के ज़रिए खुलेआम हिंदू कार्ड खेलने के बाद यह ख़तरा और बढ़ गया है। प्रचार के अख़िरी दिन पिछले चुनाव की तरह इस बार भी पीएम मोदी यहाँ बड़ी रैली कर सकते हैं। इससे निपटने के लिए प्रियंका एंड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहीं हैं।

अमेठी के रास्ते लोकसभा पहुँचने की तैयारी में जुटीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का चुनाव प्रचार और जनसंपर्क अभियान ज़ोरों पर है। रविवार को उनका यहां एक अलग ही अंदाज देखने को मिला। स्मृति मुंशीगंज के पास के इलाके में जनसंपर्क के लिए निकली थीं, तभी उन्हें पड़ोस के गांव पूरबद्वारा में भीषण आग लगने की ख़बर मिली। 

आग लगने की ख़बर पाते ही स्मृति वहाँ पहुँच गईं। वहाँ फायर ब्रिगेड गाड़ी आने में देरी होने पर उन्होंने खुद ही नल से पानी भरकर प्रभावित घरों और खेतों में डलवाना शुरू कर दिया। साथ ही रोती-बिलखती महिलाओं को सांत्वना दी। इस घटना की तसवीरें मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।

यह गांव उसी मुंशीगंज के पास है जहां के मशहूर गेस्ट हाउस में राहुल और प्रियंका ठहरते हैं। इस घटना के बाद स्मृति ईरानी लोगों से कह रहीं है कि आपके सांसद और उनकी बहन जिस यहां ठहरते हैं उसके पास के गांव में आग लगने पर भी दोनों में से कोई भी ख़ैर ख़बर लेने नहीं पहुंचा। अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि प्रियंका गांधी उस गांव में आग से प्रभावित लोगों से मिलने गईं थी या नहीं। इस घटना ने अमेठी में स्मृति और प्रियंका के बीच तू डाल-डाल मैं पात-पात वाले मुक़ाबले के हालात ज़रूर बना दिए हैं।  

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