राष्ट्रपति चुनाव: दिग्गजों ने डाला वोट, 21 जुलाई को आएगा परिणाम
देश के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए सोमवार को मतदान हुआ जबकि परिणाम 21 जुलाई को आएगा। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। मतदान सुबह 10 से शाम 5 बजे तक संसद और राज्यों की विधानसभाओं में हुआ। इस दौरान कांग्रेस और सपा के विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग किए जाने की खबर है।
राष्ट्रपति चुनाव में चीफ़ रिटर्निंग अफसर पीसी मोदी ने कहा कि सभी जगह चुनाव शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न हुआ और संसद में कुल 99.18 प्रतिशत मतदान हुआ।
राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा आमने-सामने हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई नेताओं ने संसद भवन में वोट डाला।
उधर, राज्यों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर में, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में स्थित विधानसभा में वोट डाला। इसी तरह अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी वोट डाले गए।
2017 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया था। तब रामनाथ कोविंद को 65.65 और मीरा कुमार को 34.35 फीसद वोट मिले थे।
कुल 4809 मतदाता
राष्ट्रपति के चुनाव में 776 सांसद और 4033 विधायक मिलाकर कुल 4809 मतदाता थे। सांसदों के वोट की कुल वैल्यू 5,43,200 है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू 5,43,231 है और यह कुल मिलाकर 10,86,431 होती है। इसमें से जिस उम्मीदवार को 50 फ़ीसद से ज्यादा वोट मिलेंगे, वह जीत जाएगा। एनडीए के पास इसमें से 5,32,351 यानी 49 फीसदी वोट हैं। विपक्षी दलों के समर्थन के बाद यह आंकड़ा 61 फीसद तक पहुंच गया है।
सांसद के वोट की वैल्यू 700
हर सांसद के वोट की वैल्यू 700 है जबकि विधायकों के वोटों की वैल्यू हर राज्य में अलग-अलग होती है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में हर विधायक के वोट की वैल्यू 208 है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 273 सीटों पर जीत हासिल की है और कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है इसलिए एनडीए के पास इस चुनाव में बढ़त है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के वोटों की कुल वैल्यू 83,824, पंजाब की 13,572, उत्तराखंड की 4480, गोवा की 800 और मणिपुर की 1080 है। तमिलनाडु विधानसभा की वोट वैल्यू 41,184, झारखंड की 14,256, महाराष्ट्र की 50,400, बिहार की 42,039 और आंध्र प्रदेश की 27,825 है।
एनडीए के पास उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा 56,784 वोट हैं। एनडीए उम्मीदवार को बिहार से दूसरे सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे, जहां उसके पास 127 विधायक हैं। बिहार में प्रत्येक विधायक की वोट वैल्यू 173 है और यहां से उसे 21,971 वोट मिलेंगे।
सिक्किम विधानसभा की वोट वैल्यू 224, मिजोरम की 320, अरुणाचल की 480, नागालैंड की 540, मेघालय की 1020 और गोवा की 800 है।
इसी तरह 131 विधायकों के साथ, एनडीए को मध्य प्रदेश से 17,161 वोट, गुजरात के 112 विधायकों से 16,464 वोट और कर्नाटक के 122 विधायकों से 15,982 वोट मिलेंगे।
दूसरी ओर, यूपीए के पास उसके सांसदों के 1.5 लाख से कुछ अधिक वोट हैं और उसे विधायकों से भी लगभग इतने ही वोट मिलेंगे।
राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव में ओपन वोटिंग का कोई प्रावधान नहीं है और यह सीक्रेट बैलेट के जरिए होती है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव में अपना बैलेट किसी को भी दिखाया जाना मना है और राजनीतिक दल वोटिंग के मुद्दे पर अपने सांसदों को व्हिप भी जारी नहीं कर सकते।
कई विपक्षी दल मुर्मू के साथ
द्रौपदी मुर्मू को एनडीए गठबंधन के अलावा कई विपक्षी दलों का भी साथ मिला। बीएसपी, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, तेलुगू देशम पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित कई विपक्षी दल द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में आगे आए।
जबकि कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के साथ कांग्रेस, एनसीपी, टीआरएस, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, सपा, एआईएमआईएम, नेशनल कॉन्फ्रेन्स आदि का समर्थन है।
द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से आती हैं और अगर वह चुनाव में जीत हासिल करती हैं तो भारत की आजादी के बाद पहली ऐसी आदिवासी महिला होंगी जो इस पद पर पहुंचेंगी।
ऐसा लगता है कि राष्ट्रपति चुनाव में अब वोटिंग महज औपचारिकता रह गई है और एनडीए की उम्मीदवार बड़े मार्जिन के साथ इस चुनाव में जीत हासिल कर सकती हैं।
बीते दिनों यह साफ दिखाई दिया कि एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाने के बाद विपक्षी एकता भरभराकर गिर गई है।