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कांग्रेस को हिमाचल की सत्ता में ला पाएंगी प्रतिभा सिंह?

कांग्रेस को हिमाचल की सत्ता में ला पाएंगी प्रतिभा सिंह?

हिमाचल प्रदेश में चुनाव नजदीक हैं। कांग्रेस के सामने बीजेपी के साथ ही आम आदमी पार्टी से मिल रही चुनौती भी है। गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस क्या फिर से हिमाचल में सरकार बना पाएगी?

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने संगठन में बड़ा बदलाव किया है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी और मंडी से लोकसभा सांसद प्रतिभा सिंह को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

अभी तक कुलदीप सिंह राठौड़ हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर थे और उन्हें बदले जाने की चर्चा बीते कई महीनों से सियासी गलियारों में तैर रही थी।

हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं और इस बार आम आदमी पार्टी भी वहां चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। निश्चित रूप से पंजाब से लगते हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस आम आदमी पार्टी की चुनौती को हल्के में नहीं लेना चाहती।

चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए 

छोटे से राज्य हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पंजाब और उत्तराखंड की तरह यहां भी कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए हैं। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, हर्ष महाजन, राजेंद्र राणा, पवन काजल और विनय कुमार को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि कई नेताओं को वरिष्ठ उपाध्यक्ष और उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है और इसमें जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों का ध्यान भी रखा गया है। 

पंजाब के नतीजे

हिमाचल प्रदेश की बड़ी सीमा पंजाब से लगती है और दोनों राज्यों के लोगों का व्यवसाय और पर्यटन के लिहाज से एक-दूसरे के राज्य में आना-जाना भी है। इसलिए पंजाब की सियासी हवा का थोड़ा बहुत असर हिमाचल में भी हो सकता है। पंजाब में कांग्रेस को करारी हार मिली थी जबकि आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत मिली थी। 

 - Satya Hindi

गुटबाजी से परेशान 

कांग्रेस लंबे वक्त तक हिमाचल प्रदेश की सत्ता में रही है लेकिन वह गुटबाजी से परेशान है। कुलदीप सिंह राठौड़, सांसद प्रतिभा सिंह, वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी, रामलाल ठाकुर और मुकेश अग्निहोत्री के अपने-अपने गुट हैं। 

दूसरी ओर, बीजेपी में भी गुटबाजी है और वहां पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गुट आमने-सामने दिखाई देते हैं।

2017 के विधानसभा चुनाव में 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

उपचुनाव से संकेत  

लेकिन बीते साल 3 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत बेहतर रहा था और यह माना गया था कि कांग्रेस राज्य की सत्ता में फिर से वापसी कर सकती है। 

उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं का दौर शुरू हुआ था लेकिन पार्टी ने जयराम ठाकुर के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से ही आते हैं इसलिए बीजेपी इस राज्य को किसी भी कीमत पर नहीं खोना चाहती। 

बीते दिनों में उसने आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सहित कई बड़े नेताओं को तोड़कर अपनी आक्रामक चुनावी तैयारियों का संकेत दिया है।

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