जेएनयू में बर्बरता हुई, नक़ाबपोश गुंडे 3 घंटे तक कहर मचाते रहे, छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को बेरहमी से पीटते रहे और फिर वहां से आसानी से चले भी गए। सोशल मीडिया के सहारे इस बर्बरता के वीडियो दुनिया भर तक पहुंचे हैं। भारतीय मीडिया की ही तरह विदेशी मीडिया ने भी इसे कवर किया है। लेकिन केंद्र सरकार ने इस पर भी एतराज जताया है। ब्रिटेन के एक अख़बार ‘फ़ाइनेंशियल टाइम्स’ ने जेएनयू में घुसे इन नक़ाबपोशों को ‘राष्ट्रवादी’ कहकर तंज कसा तो केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर अख़बार पर बरस पड़े। ‘फ़ाइनेंशियल टाइम्स’ ने रविवार रात को जेएनयू में हुए हमले की ख़बर इस हेडिंग के साथ लिखी थी- ‘दिल्ली की सेक्युलर यूनिवर्सिटी में राष्ट्रवादियों की भीड़ ने हिंसा की।’
लेकिन जावड़ेकर इस पर भड़क गए और उन्होंने सोमवार को एक के बाद कई ट्वीट किए और ब्रिटिश अख़बार की आलोचना की। उन्होंने लिखा, ‘आपके लिए भारत को समझना थोड़ा मुश्किल होगा लेकिन आप कोशिश कर सकते हैं। हर मौक़े पर भारत के टूटने की भविष्यवाणी करना बंद करें। भारत विविधताओं वाला देश है और इसने मजबूत होने के लिए हमेशा मतभेदों को आत्मसात किया है।’
जावड़ेकर ने अपने दूसरे ट्वीट में ब्रिटिश अख़बार को टैग करते हुए लिखा है, ‘दुनिया भर के तकनीकी जानकार आपकी तकनीक पाना चाहते होंगे, जो लोग नक़ाबपोश भीड़ को ‘राष्ट्रवादी’ बताते हैं। हमारे देश के सभी विश्वविद्यालय एवं संस्थान धर्मनिरपेक्ष हैं।
दिल्ली पुलिस पर उठे सवाल
मीडिया में आई ख़बरों में जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों के हवाले से कहा गया है कि जब ये नक़ाबपोश बर्बरता कर रहे थे तो पुलिस बाहर खड़ी थी। उनका आरोप है कि दिल्ली पुलिस ने नक़ाबपोशों को रोकने की कोशिश तक नहीं की। इस दौरान ये नक़ाबपोश पत्रकारों को भी धमकाते रहे, उनके साथ मारपीट की और जितनी गुंडई वे कर सकते थे, उन्होंने की। इस गुंडई के ख़िलाफ़ देश भर के कई विश्वविद्यालयों के छात्र सड़क पर उतरे हैं और उन्होंने इसे जेएनयू पर हमला नहीं बल्कि देश के संविधान पर हमला बताया है।