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प्रकाश आंबेडकर की पार्टी हुई उद्धव शिवसेना से अलग, गठबंधन को अल्टीमेटम

प्रकाश आंबेडकर की पार्टी हुई उद्धव शिवसेना से अलग, गठबंधन को अल्टीमेटम

महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन में अब तक सीट बँटवारा नहीं हो पाया है और अब गठबंधन के सहयोगियों में दरारें भी आने लगी हैं। जानिए, वंचित बहुजन अघाडी के प्रकाश आंबेडकर ने क्या फ़ैसला लिया।

लोकसभा चुनाव में अब बस कुछ हफ्ते ही बाक़ी हैं और महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन में दरारें दिखने लगी हैं। वंचित बहुजन अघाड़ी यानी वीबीए प्रमुख प्रकाश आंबेडकर ने रविवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) से नाता तोड़ लिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने अब तक सीट-बँटवारे की बातचीत पूरी नहीं करने पर नाराज़गी जताई है और गठबंधन को 26 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है। यानी तब तक सीट बँटवारा नहीं होने पर वीबीए स्वतंत्र रूप से भी चुनाव लड़ सकती है।

उद्धव की शिवसेना के साथ प्रकाश आंबेडकर ने पिछले साल नवंबर में ही भीमशक्ति-शिवशक्ति गठबंधन बनाया था। लेकिन उसने उससे अब अलग होने की घोषणा कर दी है। तो सवाल है कि आख़िर प्रकाश आंबेडकर की नाराज़गी की क्या वजह है? 

इस सवाल का जवाब प्रकाश आंबेडकर ने दिया है। उन्होंने शिवसेना से अलग होने का तो कारण बताया ही, इंडिया गठबंधन को अल्टीमेटम देने की भी वजह बताई है। आंबेडकर ने एमवीए घटक कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) और शिवसेना (यूबीटी) पर उनकी पार्टी की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा है वे अपने खुद के राजनीतिक हितों को आगे बढ़ा रहे हैं।

आंबेडकर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'मैंने एमवीए को 26 मार्च का अल्टीमेटम दिया है। तब तक सीट-बँटवारा पूरा हो जाना चाहिए। यह अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता। हम इस बात से खुश नहीं हैं जिस तरह से चीजें आगे बढ़ रही हैं।'

शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन तोड़ने को लेकर आंबेडकर ने कहा कि यह निरर्थक है क्योंकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी अब एमवीए का हिस्सा है। उन्होंने कहा, 'एमवीए के किसी घटक के साथ व्यक्तिगत साझेदारी का कोई मतलब नहीं है। सभी निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाने चाहिए।' उन्होंने इशारों में कहा कि एमवीए के कामकाज में बहुत अस्पष्टता थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में भाजपा विरोधी, आरएसएस विरोधी मोर्चा बनाने की इच्छुक है।

समझा जाता है कि एमवीए ने आंबेडकर के नेतृत्व वाले संगठन को चार सीटों की पेशकश की है, जिसकी नज़र आठ सीटों पर है। वीबीए का तर्क यह है कि शिवसेना और एनसीपी में विभाजन के बाद पार्टियां काफी कमजोर हो गई हैं और गठबंधन के सभी घटक समान भागीदार हैं।

अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि भीमशक्ति शिवशक्ति गठबंधन राजनीतिक रूप से प्रेरित नहीं था और इसे सामाजिक उद्देश्य के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा कि उद्धव के दादा केशव ठाकरे और वीबीए के प्रमुख दादा डॉ. बीआर आंबेडकर ने जातिवाद के ख़िलाफ़ मिलकर काम किया था। राउत ने कहा, 'हम प्रकाश आंबेडकर से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और भाजपा व उसकी तानाशाही के खिलाफ लड़ाई को एक साझा एजेंडा बनाने की उम्मीद करते हैं।'

बता दें कि 1920 के दशक में केशव ठाकरे ने दादर में पूजा करने के लिए बी आर आंबेडकर के एक सहयोगी को आमंत्रित करके गणेश उत्सव पर 'उच्च जाति की पकड़ को तोड़ने' के लिए एक बड़ा कदम उठाया। इससे हंगामा मच गया और कार्यक्रम को अगले वर्ष रद्द कर दिया गया था। 2022 में शिवसेना में विभाजन के बाद वीबीए तक उद्धव की पहुंच को ओबीसी और दलित वोटों को मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा गया। आंबेडकर ने साफ़ कहा था कि भीमशक्ति-शिवशक्ति गठबंधन का भविष्य कांग्रेस और एनसीपी के संबंध में उद्धव के रुख पर निर्भर करेगा। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख ने कहा कि वीबीए के साथ गठजोड़ उनकी कीमत पर नहीं होगा। 

वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा कि एमवीए का दृष्टिकोण हमेशा समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट करने का रहा है। उन्होंने कहा कि वीबीए एक महत्वपूर्ण सहयोगी है और हम चाहते हैं कि वह एमवीए में बना रहे। 

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