कोरोना: पीपीई किट, एन95 मास्क की कमी, क्या नर्सिंग स्टाफ़ सुरक्षित हैं?

03:06 pm Apr 08, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

क्या दिल्ली में नर्सों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरे उपाय नहीं किए जा रहे हैं? क्या उन्हें मास्क, कवरॉल से लेकर रहने तक की व्यवस्था सुरक्षित नहीं है? और यदि ऐसा नहीं है तो फिर केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को दिल्ली के मुख्यमंत्री से क्यों कहना पड़ रहा है कि दिल्ली में काम करने वाले केरल के नर्सों की सुरक्षा के समुचित उपाय करें?

दिल्ली में अब तक कम से कम 35 स्वास्थ्य कर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसमें से 20 नर्सिंग स्टाफ़ हैं। दिल्ली के कैंसर इंस्टीट्यूट में नर्सिंग स्टाफ़ सहित 11 स्वास्थ्य कर्मियों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से कई वे हैं जो कोरोना मरीजों का इलाज नहीं कर रहे थे। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि चाहे किसी भी बीमारी का इलाज कर रहे हों, कोरोना संक्रमण का ख़तरा उन पर भी रहता है। यानी सभी स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट जैसे सुरक्षा के उपकरण दिए जाने चाहिए। लेकिन क्या ऐसा हो रहा है?

दरअसल, दिल्ली में सभी नर्सों और सफ़ाई कर्मचारियों को समुचित सुरक्षा के उपकरण मुहैया नहीं कराए जाने की शिकायतें सोशल मीडिया पर आती रही हैं। एक शिकायत यह भी आती रही है कि जो डॉक्टर और नर्स कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे हैं उनसे उनके परिवारों में भी इसके फैलने का ख़तरा रहेगा। तब डॉक्टरों के लिए होटलों में व्यवस्था की गई और इस फ़ैसले की तारीफ भी की गई। कई जगहों पर नर्सों के लिए भी अलग रहने की व्यवस्था की गई, लेकिन इसमें खामियों की शिकायतें आती रही हैं। कई ऐसे भी नर्स हैं जो ऐसी सुविधा नहीं मिलने की शिकायतें कर रहे हैं। 

सबको पीपीई किट नहीं

हालाँकि, दिल्ली में आ रही ये शिकायतें उस तरह की नहीं हैं जैसी देश के दूसरे राज्यों से पहले आई थीं और रिपोर्टों में कहा गया था कि रेनकोट और हेलमेट पहनकर काम चलाना पड़ रहा है। दिल्ली में नर्सों की समस्याओं को लेकर 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने कुछ नर्सों से बातचीत के आधार पर एक रिपोर्ट छापी है और इसमें भी कई खामियाँ उजागर की गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 18 मार्च से कोरोना वार्ड में काम कर रहे दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी का कहना है कि जो कोरोना मरीजों के सीधे संपर्क में आ रहे हैं उन्हें तो पीपीई किट दिए गए हैं, लेकिन दूसरे लोगों को कहा गया है कि सर्जिकल मास्क और ओटी गाउन से काम चलाएँ। हालाँकि वह कहते हैं कि नर्सिंग अफ़सरों को रहने के लिए बिल्डिंग मुहैया कराई गई है लेकिन एक-एक कमरे में कम से कम 8-8 लोगों को रखा गया है और कॉमन वाशरूम है। वह कहते हैं कि इसीलिए उन्होंने वहाँ रहने से इनकार कर दिया और वह हर रोज़ घर जाते हैं। वह कहते हैं कि जैसे ही उन्हें पता चला था कि उनकी ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगेगी उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को क़रीब 250 किलोमीटर दूर अपने घर भेज दिया था। 

निजी हॉस्पिटल में नर्सिंग अधिकारी और यूनाइटेड नर्सेस एसोसिएशन के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष रिंस जोसफ़ ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि जिन प्राइवेट हॉस्पिटलों में कोरोना वार्ड नहीं हैं वे अपने स्टाफ़ को पीपीई किट नहीं मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'स्वास्थ्य कर्मचारियों को पर्याप्त (सुरक्षा) गियर के बिना आग की कतार में खड़ा कर दिया गया है'।

रिपोर्ट में दिल्ली के सरकारी हॉस्पिटल के कोरोना वार्ड में काम करने वाले 25 वर्षीय एक नर्स को अलग रहने की सुविधा नहीं मिली है। हॉस्पिटल से लौटने के बाद वह दो कमरों में रहने वाले 7 सदस्यों के परिवार के साथ समय बिताते हैं। इनमें एक साल की उनकी एक भतीजी भी है। वह कहते हैं, 'मैंने सुना कि डॉक्टरों के लिए परिवारों से दूर होटल में व्यवस्था की गई है, कुछ के लिए हॉस्टल में ताकि संक्रमण न फैले। मैंने भी इसकी माँग की थी, लेकिन मुझे इनकार कर दिया गया। क्या होगा जब मैं संक्रमित हो जाऊँ और परिवार के दूसरे सदस्यों को संक्रमित कर दूँ?' 

एक नर्सिंग कर्मी ने कहा कि समाचार में देखा कि सभी के लिए रहने की व्यवस्था की जाएगी लेकिन अब तक हमारे लिए कुछ भी नहीं हुआ.... शायद डॉक्टरों के लिए है। वह कहते हैं, 'मेरी पत्नी और बच्चे पड़ोसी के घर रहते हैं और मैं अपने घर में अकेला रहता हूँ।'

संक्रमण के ऐसे ही डर से नर्सिंग स्टाफ़ के लिए पर्याप्त सुरक्षा के उपाय किए जाने की माँग की जा रही है। दिल्ली नर्सेस फ़ेडरेशन के महासचिव एलडी राम चंदानी ने कहा कि जो कोरोना मरीजों से सीधे संपर्क में नहीं आ रहे हैं उन्हें कम से कम एचआईवी ड्रेस किट ही दे दिया जाए। वह आरोप लगाते हैं कि नर्सिंग स्टाफ़, सफ़ाई कर्मचारियों को एन95 मास्क भी नहीं दिए गए हैं। 

अब केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने जब इसी सोमवार को अरविंद केजरीवाल से बात की थी तो भले ही वह केरल के कर्मियों और उनके परिवारों की चिंताओं को लेकर आशंकित थे, लेकिन ये आशंकाएँ दिल्ली में काम करने वाले दूसरे स्टाफ़ में भी हैं।