मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने आख़िरकार गुरुवार को अपनी पार्टी के विधायक यूसुफ़ तारीगामी से श्रीनगर में मुलाक़ात की। इसके लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। तारीगामी बीमार हैं और उन्हें नज़रबंद रखा गया है। उनके घर के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। येचुरी ने तारीगामी के घर पर कुछ घंटे बिताए। वह हवाई अड्डे से कार से तारीगामी के घर पहुँचे। मीडिया को उनके पास नहीं जाने दिया गया। इससे पहले येचुरी दोपहर में ही दिल्ली से रवाना हुए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इसकी बुधवार को ही इजाज़त दी है। इससे पहले केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उन्हें वहाँ जाने से रोक दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
येचुरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि उनको जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुआई में बनी तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था, 'कोई नागरिक देश में कहीं भी जा सकता है।' बता दें कि येचुरी अपनी पार्टी के नेता यूसुफ़ तारीगामी का हालचाल जानने के लिए जम्मू-कश्मीर गए थे, पर उन्हें श्रीनगर हवाई अड्डे पर ही रोक दिया गया था। पुलिस ने उन्हें वहाँ से वापस भेज दिया था। तारीगामी को पुलिस ने 5 अगस्त को हिरासत में ले लिया, वह उस समय से ही पुलिस कस्टडी में है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था, 'तारीगामी को ज़ेड कैटगरी सुरक्षा मिली हुई है, ऐसा नहीं है कि वह कहीं गुम हो जाएँगे।' इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'चाहे ज़ेड कैटगरी की सुरक्षा हो या ज़ेड प्लस की, यदि कोई नागरिक देश में कहीं भी जाना चाहे तो उसे वहाँ जाने की छूट होनी ही चाहिए।'
खंडपीठ ने उनसे कहा था, 'येचुरी सिर्फ़ अपनी पार्टी के नेता से मिलने जा सकते हैं, पर इसका इस्तेमाल किसी राजनीतिक मक़सद को साधने में न करें।' बेंच ने कहा कि यदि येचुरी इस मौके का इस्तेमाल किसी राजनीतिक गतिविधि में करते हैं तो इसकी रिपोर्ट अदालत से की जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने प्रशासन से कहा कि येचुरी की यात्रा की व्यवस्था वह करे।
बता दें कि खंडपीठ ने जामिया मिल्लिया इसलामिया के उस छात्र को भी अनंतनाग जाने की इजाज़त देने का आदेश दिया, जिसने याचिका दायर कर कहा था कि वह अपने माता-पिता से मिलने जाना चाहता है, पर उसे इसकी छूट नहीं दी गई है। अदालत ने इस मामले में भी प्रशासन से कहा कि वह उस छात्र की यात्रा की व्यवस्था करे।
बता दें कि केंद्र सरकार ने इसी महीने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में फेरबदल किया था। इससे राज्य को प्राप्त विशेष दर्जा समाप्त हो गया था। राज्य को दो हिस्सों में बाँटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। इस फ़ैसले के बाद से क्षेत्र में पाबंदी लगा दी गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 400 से ज़्यादा नेताओं को गिरफ़्तार किया गया है। इसमें दो पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। भारी संख्या में सशस्त्र बल तैनात किए गए हैं। पूरे क्षेत्र में संचार माध्यम बंद कर दिए गए और आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई। हालाँकि हाल के दिनों में कुछ जगहों पर संचार माध्यमों की बहाली और पाबंदी हटाए जाने की ख़बरें हैं। लेकिन अभी भी वहाँ सामान्य स्थिति बहाल नहीं हुई है और घाटी में तो स्थिति ज़्यादा ही ख़राब है।