भारतीय प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की बैठक से पहले बराक ओबामा ने भारत में मुस्लिमों की स्थिति का ज़िक्र क्या कर दिया, बीजेपी समर्थकों और नेताओं ने उन पर हमलों की बौछार कर दी है। सोशल मीडिया पर बीजेपी समर्थक तो अनाप-शनाम लिख ही रहे हैं, अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के बाद देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ा आरोप लगाया है।
निर्मला सीतारमण ने रविवार को आरोप लगाया कि जब ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति थे, छह मुस्लिम-बहुल देशों पर 26,000 से अधिक बमों से हमला किया गया था। इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे में उनके दावों पर कैसे विश्वास किया जा सकता है। इतना ही नहीं, निर्मला सीतारमण ने ऐसी टिप्पणी करने के साथ ही यह भी कहा कि वह खुद पर संयब बरत रही हैं क्योंकि वे अमेरिका के साथ दोस्ती को महत्व देती हैं।
निर्मला सीतारमण पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रही थीं। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार सीतारमण ने कहा, '...यह आश्चर्य की बात थी कि जब प्रधानमंत्री अमेरिका के दौरे पर थे तो एक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय मुसलमानों पर बयान दे रहे थे... मैं सावधानी के साथ बोल रही हूँ, हम अमेरिका के साथ दोस्ती चाहते हैं, लेकिन वहाँ से भारत की धार्मिक सहिष्णुता पर टिप्पणियां की गईं। उनके (ओबामा) शासन में छह मुस्लिम बहुल देशों पर बमबारी की गई। 26,000 से अधिक बम गिराए गए... लोग उनकी बातों पर कैसे भरोसा करेंगे?'
मिस्र की पीएम मोदी की मौजूदा यात्रा के दौरान उनको 'ऑर्डर ऑफ द नाइल' से सम्मानित किए जाने के बीच वित्त मंत्री ने कहा कि पीएम को 13 देशों में सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है, जिनमें से छह देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं।
ओबामा की टिप्पणियों की पहले असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने आलोचना की थी। उन्होंने ट्वीट किया था कि देश में कई 'हुसैन ओबामा' हैं और राज्य की पुलिस इस पर कार्रवाई करेगी।
बता दें कि सीएनएन के साथ एक इंटरव्यू में बराक ओबामा से पूछा गया था, 'बाइडन अमेरिका में मोदी का स्वागत कर रहे हैं, जिन्हें ऑटोक्रेटिक या फिर अनुदार डेमोक्रेट माना जाता है। किसी राष्ट्रपति को ऐसे नेताओं के साथ किस तरह से पेश आना चाहिए?' इसी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि यदि वे मोदी से बात कर रहे होते तो क्या कहते। उन्होंने कहा, 'हिंदू बहुसंख्यक भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का उल्लेख किये जाने योग्य है। यदि मेरी मोदी से बात होती तो मेरी दलील होती कि यदि आप अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा नहीं करते हैं तो मुमकिन है कि आगे भारत में अलगाव पैदा हो।'
पीएम मोदी के साथ बाइडेन की मुलाकात से पहले आए इंटरव्यू में बराक ओबामा ने यह भी कहा कि सहयोगियों के साथ मानवाधिकारों के मुद्दों को उठाना हमेशा जटिल रहा है।
यह तो साफ़ नहीं है कि इस मुद्दे को लेकर जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी के बीच बात हुई या नहीं और हुई तो कितनी हुई, लेकिन ओबामा की टिप्पणियों के कुछ घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पीएम मोदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया था। इसमें बाइडेन ने कहा था कि प्रत्येक नागरिक की गरिमा में विश्वास भारत के डीएनए में है।
बाइडेन से यह पूछा गया कि डेमोक्रेटिक पार्टी के कुछ सदस्य सहित कुछ लोग कहते हैं कि उनका प्रशासन प्रधानमंत्री मोदी के देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने और असहमति पर रोक लगाने की अनदेखी कर रहा है। इस पर बाइडेन ने कहा था, 'प्रधानमंत्री और मेरे बीच लोकतांत्रिक मूल्य के बारे में अच्छी चर्चा हुई। और यह हमारे रिश्ते का सबसे अच्छा हिस्सा है। हम एक-दूसरे के प्रति ईमानदार हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।'
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक पत्रकार ने पीएम मोदी से कहा कि भारत लंबे समय से खुद को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में गौरवान्वित बताता रहा है, लेकिन कई मानवाधिकार समूह हैं जो कहते हैं कि उनकी सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव किया है और अपने आलोचकों को चुप करा दिया है। उन्होंने पूछा, 'आप और आपकी सरकार अपने देश में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों में सुधार करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बरकरार रखने के लिए क्या कदम उठाने को तैयार हैं?'
इस पर प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, 'वास्तव में भारत एक लोकतंत्र है और जैसा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने भी उल्लेख किया है, भारत और अमेरिका के लिए, लोकतंत्र हमारे डीएनए में है। लोकतंत्र हमारी आत्मा है। लोकतंत्र हमारी रगों में दौड़ता है। हम लोकतंत्र जीते हैं। और हमारे पूर्वजों ने वास्तव में इस अवधारणा को लिखा है, और वह हमारे संविधान के रूप में है। हमारी सरकार ने लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों को अपनाया है। और उसी आधार पर हमारा संविधान बना है और पूरा देश उसी पर चलता है... हमने हमेशा साबित किया है कि लोकतंत्र परिणाम दे सकता है। और जब मैं कहता हूं कि परिणाम दे सकता है, तो यह जाति, पंथ, धर्म, लिंग की परवाह किए बिना है, भेदभाव के लिए बिल्कुल कोई जगह नहीं है।'