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जानिए, क्या हैं पंजाब के अहम राजनीतिक समीकरण?

जानिए, क्या हैं पंजाब के अहम राजनीतिक समीकरण?

क्या कांग्रेस पंजाब के अपने सियासी किले को बचाने में कामयाब हो पाएगी या फिर आम आदमी पार्टी यहां सरकार बना लेगी? 

पंजाब में रविवार को वोटिंग हो रही है। पंजाब का चुनाव इस बार बेहद जोरदार इसलिए है क्योंकि दो परंपरागत पार्टियों शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के अलावा एक तीसरी पार्टी यानी आम आदमी पार्टी राज्य में इन दोनों को जबरदस्त टक्कर दे रही है। कई चुनावी सर्वे में तो यह तक कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी राज्य में सरकार बना सकती है। पंजाब के चुनाव नतीजे क्या होंगे इसका पता 10 मार्च को चलेगा लेकिन राज्य की सियासत से जुड़े जातीय-धार्मिक सहित अन्य बेहद अहम आंकड़ों पर नज़र डालनी ज़रूरी है। 

इस खबर में हम पंजाब के मालवा, माझा और दोआबा इलाके के जातीय तथा अन्य समीकरणों पर बात करेंगे।

पहले बात करते हैं माझा और दोआबा की। इन दोनों इलाकों में 8 जिले हैं और 48 सीटें हैं। इनमें माझा इलाके में 25 और दोआबा में 23 सीटें हैं। दोआबा में साठ फीसद हिंदू हैं जबकि 37 फ़ीसदी दलित आबादी है। माझा में 30 फीसद हिंदू हैं और 27 फीसद दलित हैं।

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यहां 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर भी बात करनी जरूरी है। 2012 के विधानसभा चुनाव में माझा में कांग्रेस को 9 सीटें और 41 फीसद वोट मिले थे जबकि अकाली बीजेपी गठबंधन को 16 सीटें मिली थी और 47 फीसद वोट मिले थे। 

दोआबा इलाके में कांग्रेस को 6 सीटें और 37 फीसद वोट जबकि अकाली बीजेपी गठबंधन को 16 सीटें और 41 फीसद वोट मिले थे।

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2014 लोकसभा चुनाव 

2014 के लोकसभा चुनाव में माझा में कांग्रेस को 7 सीटों पर बढ़त और 39 फीसद वोट मिले थे जबकि अकाली बीजेपी गठबंधन को 18 सीटों पर बढ़त और 43 फीसद वोट मिले थे। तब दोआबा इलाके में कांग्रेस को 13 सीटों पर बढ़त और 35 फीसद वोट मिले थे जबकि अकाली बीजेपी गठबंधन को 8 सीटों पर बढ़त मिली थी और 32 फीसद वोट मिले थे।

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2017 विधानसभा चुनाव 

2017 के विधानसभा चुनाव में माझा इलाके में कांग्रेस को 22 सीटों पर जीत मिली थी और 46 फीसद वोट मिले थे जबकि अकाली बीजेपी गठबंधन को 3 सीटें और 35 फीसद वोट मिले थे। आम आदमी पार्टी को यहां 14 फीसद वोट मिले थे लेकिन किसी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी। जबकि दोआबा इलाके में कांग्रेस को 15 सीटों पर जीत मिली थी और 37 फीसद वोट मिले थे और अकाली बीजेपी गठबंधन को 6 सीटों पर जीत मिली थी और 30.5 फीसद वोट मिले थे।

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2019 लोकसभा चुनाव 

2019 के लोकसभा चुनाव में माझा इलाके में कांग्रेस को 17 सीटों पर बढ़त मिली थी और उसने 46 फीसद वोट उसने हासिल किए थे। अकाली बीजेपी गठबंधन को 8 सीटों पर बढ़त मिली थी और उसने 41 फीसद वोट हासिल किए थे। दोआबा इलाके की बात करें तो यहां कांग्रेस को 13 सीटों पर बढ़त मिली थी और उसने 37 फीसद वोट हासिल किए थे जबकि अकाली बीजेपी गठबंधन को 8 सीटों पर बढ़त मिली थी और उसे भी 37 फीसद वोट मिले थे।

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मालवा इलाका

अब बात करते हैं पंजाब के सबसे ताकतवर इलाके मालवा की। इस इलाके में 15 जिले हैं और विधानसभा की सबसे ज्यादा 69 सीटें हैं। इस इलाके में सिख जाट किसानों की संख्या ज्यादा है जो काफी प्रभावशाली हैं और सियासत में भी उनकी पकड़ है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी को यहां 18 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भगवंत मान इसी इलाके की संगरूर सीट से लोकसभा सांसद हैं और माना जा रहा है कि इसका भी फायदा पार्टी को चुनाव में मिल सकता है।

मालवा इलाके में 62 फीसद सिख, 34 फीसद हिंदू और 2.5 फीसद मुसलिम मतदाता हैं। यहां 32 फीसद दलित मतदाता हैं और इनमें भी मुक्तसर, फिरोजपुर, मोगा, फरीदकोट जैसे जिलों में इनकी संख्या 35 से 40 फीसद तक है।

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2012 विधानसभा चुनाव

2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मालवा इलाके में 31 सीटें मिली थी और 40.6 फीसद वोट मिले थे जबकि अकाली बीजेपी गठबंधन को 36 सीटें और 40.3 फीसद वोट मिले थे। 

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2014 लोकसभा चुनाव

2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस को यहां 17 सीटों पर बढ़त मिली थी और 30.6 फीसद वोट मिले थे जबकि अकाली बीजेपी गठबंधन को 19 सीटों पर बढ़त मिली थी और 33 फीसद वोट मिले थे। 

आम आदमी पार्टी ने तब यहां शानदार प्रदर्शन किया था और उसे 31 सीटों पर बढ़त मिली थी और 28.6 फीसद वोट उसने हासिल किए थे।

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2017 विधानसभा चुनाव

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को यहां 40 सीटों पर जीत मिली थी और उसने 36.6 फीसद वोट हासिल किए थे जबकि अकाली बीजेपी गठबंधन को 9 सीटों पर जीत मिली थी और उसने 33 फीसद वोट हासिल किए थे। आम आदमी पार्टी ने 18 सीटें जीतकर 27.1 फीसद वोट हासिल किए थे।

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देखना होगा कि क्या कांग्रेस अपने इस सियासी गढ़ को बचाने में कामयाब हो पाएगी या फिर दिल्ली के बाद पंजाब ऐसा दूसरा राज्य होगा जहां आम आदमी पार्टी अपनी सरकार बनाएगी। या फिर कोई बड़ा उलटफेर होगा और शिरोमणि अकाली दल बीएसपी गठबंधन सत्ता में आ जाएगा।

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