चर्चित डॉ कफील खान के गोरखपुर वाले घर में पुलिस भेजी गई और उनकी बुजुर्ग मां को धमकाया गया। लेकिन अब गोरखपुर पुलिस ने अपनी सफाई में कहा है कि डॉ कफील खान हिस्ट्रीशीटर हैं, इसलिए पुलिस गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ रहे हैं। योगी के शासनकाल में डॉ कफील खान को परेशान किए जाने का इतिहास है।
डॉ कफील खान इस समय केरल में अपनी किताब (‘The Gorakhpur Hospital Tragedy’) का प्रमोशन करने के लिए गए हुए हैं। यह किताब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन के बिना बच्चों की मौत और उन्हें गिरफ्तार करके जेल में डालने, योगी का उनके लिए पूर्वाग्रह रखना आदि बातें किताब में लिखी गई हैं।
डॉ खान का बयान और पुलिस की सफाई
डॉ कफील खान ने उनके गोरखपुर वाले घर में पुलिस जाने का फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है। इसमें उन्होंने कहा कि चुनाव से उनका कोई लेना-देना नहीं है, इसके बावजूद हमारे घर में पुलिस गई और वहां मेरी बूढ़ी मां से अभद्र भाषा में बात की।
सोशल मीडिया पर जब आम लोग गोरखपुर पुलिस और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदले वाला सीएम बताने लगे तो गोरखपुर पुलिस ने अपनी सफाई में कहा कि डॉ कफील खान की वर्तमान समय में थाना राजघाट पर हिस्ट्रीशीट प्रचलित है। आगामी चुनाव के दृष्टिगत समस्त हिस्ट्रीशीटरों के सत्यापन के क्रम में राजघाट थाना पुलिस इनके घर गई थी, जहाँ पर इनके परिवारजनों द्वारा बताया गया कि वह काम से बाहर गए हुए हैं।
सामान्य घटना नहीं
गोरखपुर पुलिस जिस तरह इसे किसी हिस्ट्रीशीटर के सत्यापन के लिए जाने की बात कहकर साधारण बात बता रही है, दरअसल वो इतनी साधारण बात नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डॉ खान के लिए पूर्वाग्रह गोरखपुर की फिजाओं में तैरतीं अब तक सुनी-सुनाई कहानियां थीं लेकिन डॉ कफील खान ने अब उन तमाम कहानियों की पुष्टि करते हुए उन पर अपनी मुहर किताब के रूप में लगा दी है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद डॉ कफील का नाम रातोंरात पूरा देश जान गया था। इस घटना के फौरन बाद जब योगी गोरखपुर गए और बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो उनका पहला सवाल यही था कि ये डॉ कफील खान कौन है। इस पर अस्पताल के अधिकारियों ने डॉ खान को आगे करते हुए कहा कि यही डॉ खान हैं। इस पर योगी ने वहां सभी के सामने डॉ खान से कहा था - अब मैं देखता हूं तुझे डॉक्टर कौन बनाता है।
इस घटना के बाद डॉ खान के खिलाफ उल्टा तमाम आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया। डॉ खान उन दिन चल रहे शाहीनबाग आंदोलन में भाषण देने एएमयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया भी पहुंचे थे। उन भाषणों के आधार पर यूपी पुलिस ने डॉ खान पर काला कानून यूएपीए लगा दिया। उनकी गिरफ्तारी पर अदालतों ने तीखी टिप्पणियां कीं।उनका भाषण अदालत में सुना गया। इसके बाद अदालत ने यूपी पुलिस और वहां के प्रशासनिक अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने उस समय कहा था कि डॉ खान तो देश की एकता, अखंडता की बात कर रहे हैं, पुलिस उन्हें राष्ट्रद्रोही कैसे कह सकती है। इसके बाद उन्हें तमाम अदालतों से जमानत मिल गई थी।
डॉ खान चुनाव में एक फैक्टर तो रहेंगे
गोरखपुर शहर सीट से बीजेपी प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ बहुत आसानी से जीत जाएंगे। यह सीट हमेशा हिन्दू महासभा या फिर बीजेपी के पास रही है। लेकिन अगर गोरखपुर के चार-पांच सौ लोगों ने डॉ कफील खान को बेकसूर मान लिया तो वो लोग योगी को वोट नहीं देेंगे। दरअसल, यह एक तरह का डर है जो बीजेपी में बना हुआ है, जहां बीजेपी योगी की जीत को रेकॉर्ड मतों से सुनिश्चित करना चाहती है।
डॉ खान एक तरह से शहर ही छोड़ चुके हैं। गोरखपुर में अब सिर्फ उनकी मां रहती हैं और छोटा भाई आता-जाता रहता है। डॉ खान ने खुद को पूरी तरह सामाजिक सेवा में झोंक दिया है। वो देशभर में गरीब बस्तियों और गांवों में जाकर बच्चों के इलाज का कैंप लगाते हैं और विभिन्न कंपनियों और एनजीओ से मुफ्त दवा बंटवाते हैं। किताब आने के बाद उनकी लोकप्रियता और बढ़ रही है।