करनाल: किसानों पर पुलिस का लाठीचार्ज, विरोध में हाईवे-सड़कें जाम
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हरियाणा के करनाल में शनिवार को पुलिस ने जबरदस्त लाठीचार्ज किया। लाठीचार्ज से ग़ुस्साए किसानों ने हाईवे और कई सड़कों को जाम कर दिया। हरियाणा में कई और जगहों पर किसान सड़क पर उतर आए। बता दें कि दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसानों के आंदोलन को 9 महीने पूरे हो चुके हैं।
जाम लगने की वजह से दिल्ली-अमृतसर हाईवे पर यातायात प्रभावित हुआ और कई किमी. लंबा जाम लग गया। पुलिस ने रात को किसानों के गिरफ़्तार साथियों को रिहा कर दिया और इसके बाद किसानों ने भी जाम खोल दिया।
किसान यहां हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष ओपी धनखड़ के काफ़िले का विरोध करने के लिए जमा हुए थे, जैसे ही धनखड़ का काफिला बस्तारा टोल प्लाज़ा पर पहुंचा, आरोप है कि किसानों ने उनकी कार पर हमला किया। किसानों ने उस जगह पहुंचने की कोशिश की, जहां पर धनखड़ बैठक लेने जा रहे थे। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।
जबकि किसानों का कहना है कि वे शांतिपूर्वक बैठे हुए थे लेकिन पुलिस ने बुरी तरह लाठीचार्ज किया, इसमें कई किसानों के सिर फूट गए और सैकड़ों की संख्या में किसान घायल हो गए हैं।
किसान मोर्चा की अपील
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि पुलिस ने क्रूर लाठीचार्ज किया है। मोर्चा ने सभी किसानों से सड़क पर उतरने के लिए कहा है। किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा है कि यह पुलिस और सरकार की गुंडागर्दी है और हमें इसका डटकर विरोध करना है। उन्होंने कहा है कि आसपास के सभी लोग टोल और सड़कों को जाम कर दें।
लाठीचार्ज के सामने आए वीडियो में दिख रहा है कि पुलिसकर्मियों ने लाठियां भांजकर किसानों को दूर तक खदेड़ दिया।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि अब तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सड़कें जाम हैं और इन सरकारों को इस मसले का कोई हल निकालना होगा।
मानसून सत्र में उठा था मुद्दा
किसान आंदोलन को लेकर संसद का मानसून सत्र भी खासा हंगामेदार रहा था और विपक्षी दलों के सांसदों ने पूरे सत्र के दौरान कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ संसद परिसर में प्रदर्शन किया था और सरकार से इन क़ानूनों को वापस लेने की मांग की थी। राहुल गांधी इस मसले पर ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंचे थे और कई विपक्षी दलों के नेताओं ने जंतर-मंतर पर चली किसान संसद में पहुंचकर किसानों को समर्थन दिया था।
बंद है बातचीत
पंजाब से चले किसान 26 नवंबर को दिल्ली के बॉर्डर्स पर पहुंचे थे और बाद में हरियाणा-राजस्थान में भी किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया था। इसके बाद किसानों और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद से सरकार और किसानों के बीच बातचीत बंद है।
मुज़फ्फरनगर में होगी पंचायत
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा अब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव में हुंकार भरने जा रहा है। इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और 6 महीने बाद इन राज्यों में चुनाव होने हैं। किसानों की इस हुंकार की शुरुआत 5 सितंबर को मुज़फ्फरनगर से होगी, जहां इस दिन राष्ट्रीय महापंचायत रखी गई है।महापंचायत के बाद उत्तर प्रदेश के 17 और उत्तराखंड के 2 मंडलों में अक्टूबर व नवंबर में बैठकें होंगी। इसे ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ नाम दिया गया है। मोर्चा ने कहा है कि मोर्चा के नेता इस दौरान लोगों के बीच में पहुंचेंगे।