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सिद्धार्थनगर में पुलिस पर हत्या का आरोप, लेकिन मामला अज्ञात पर

सिद्धार्थनगर में पुलिस पर हत्या का आरोप, लेकिन मामला अज्ञात पर

सिद्धार्थनगर पुलिस पर एक महिला की हत्या का आरोप लगा है। इस मामले को रफादफा करने की कोशिश की जा रही है। पुलिस में केस दर्ज किया गया है लेकिन वो केस भी अज्ञात पुलिस वालों के खिलाफ दर्ज किया गया है।

यूपी के सिद्धार्थनगर में पुलिस जुल्म सारी हदें पार कर गया। बेटे को पुलिस गिरफ्तारी से बचाने के लिए उसकी मां को गोली मार दी गई। उसकी मौत हो गई। पुलिस अधिकारियों ने पूरे थाने के खिलाफ केस दर्ज का ढिंढोरा पीटा लेकिन एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई। अब पूरे मामले को अलग रुख देकर दबाया जा रहा है। पाकिस्तान में दो सिखों की हत्या पर देश के तमाम न्यूज चैनल विशेष शो चला रहे हैं जबकि सिद्धार्थनगर की घटना उनके चैनलों से गायब है। कुछ अखबारों ने इसकी खबर छापी है तो आरोपी को सीधे अपराधी लिख दिया गया है। जबकि पुलिस के पास आरोपी का कोई आपराधिक रेकॉर्ड तक नहीं है। अभी तक पुलिस की वजह से तीन महिलाओं की जान जा चुकी है लेकिन विपक्षी दलों ने चुप्पी साध रखी है।

सिद्धार्थनगर के उबैद-उर-रहमान शादी में शामिल होने के लिए 9 मई को मुंबई से अपने घर आये थे। 22 मई तो बहन की शादी है। 14 मई को की रात में पुलिस उसके घर पहुंची और घसीटते हुए ले जाने लगी,उसकी मां रोशनी (40) ने पुलिस से अपने बेटे को ले जाने की वजह पूछा तो पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर वो अड़ गईं कि बेटे को नहीं ले जाने देंगी। पुलिस वालों ने उस मां के सीने में गोली मार दी। जिसके बाद रोशनी की मौत हो गई है।

पुलिस की कहानी

पुलिस ने कहा कि अधिकारियों की एक टीम शनिवार को गोहत्या की शिकायत पर कोदरा ग्रांट गांव गई थी और रोशनी के बेटे उबैद-उर-रहमान को पकड़ लिया, जिसके बाद परिवार और उनके पड़ोसियों ने पुलिस टीम पर हमला किया। अधिकारियों ने बताया कि इसके बाद ग्रामीणों ने गोलीबारी की जिसमें रोशनी घायल हो गई। बाद में उसकी मौत हो गई। पूर्वी उत्तर प्रदेश के अखबारों ने इस घटना के बारे में सिर्फ पुलिस की बताई हुई कहानी छापी है। वहां के अखबारों ने आरोपी को सीधे-सीधे अपराधी लिख दिया है, जबकि पुलिस के पास उसका कोई आपराधिक रेकॉर्ड ही मौजूद नहीं है। किसी अखबार का पत्रकार गांव में मौके पर जांच के लिए भी नहीं पहुंचा। 

पुलिस की फर्जी कहानी

गांव के लोग और परजिन पुलिस की पूरी कहानी को फर्जी बता रहे हैं। उनका कहना है कि पुलिस के मुखबिर पुलिस वालों को सूचना देते रहते हैं कि कौन किसके घर में बाहर से कमाकर लौटा है। उबैद-उर-रहमान   मुंबई में काम करते थे, बहन की शादी में आए थे। पुलिस वालों ने पैसे ऐंठने के लिए उबैद-उर-रहमान   का अपहरण करना चाहा। उसकी मां ने ऐतराज किया तो मां को ही गोली मार दी। पुलिस वाले हथियार लेकर आए थे, गांव वाले भला उन पर कैसे हमला करते। पुलिस ने गोहत्या की कहानी गढ़ी है। चूंकि परिवार मुस्लिम है, इसलिए यह आरोप सबसे आसान है। जो शख्स मुंबई से अपने घर आया हो, जिसके घर में शादी हो, उसका ध्यान इन सब चीजों पर कहां रहेगा। वैसे भी यह गांव कभी गोहत्या के लिए पुलिस मैप पर आया ही नहीं है।

बहरहाल, उबैद-उर-रहमान की मां रोशनी की हत्या के आरोप में अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस के मुताबिक उसने जांच शुरू कर दी है। आमतौर पर पुलिस जब थाने से किसी जगह रेड करने जाती है तो वो जीडी में अपनी रवानगी डालती है। उनमें वो सारे नाम होते हैं कि कौन कौन पुलिसकर्मी और इंस्पेक्टर मौके पर जा रहा है। इसके बावजूद अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज करना क्या बताता है। जाहिर है कि पुलिस इस मामले को दबाना चाह रही है। उसने गोहत्या की फर्जी सूचना की आ़ड़ लेकर सारे मामले को ही पलट दिया है।

लगातार हो रही हैं हत्याएं

यूपी पुलिस का नाम महिलाओं की हत्या में बदनाम होता जा रहा है। हाल ही में चंदौली में ऐसी ही घटना हुई। पुलिस ने एक कथित अपराधी के घर में दबिश दी और उसकी बेटी से रेप किया, फिर उसकी हत्या कर दी। आधा दर्जन पुलिस वालों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। इस घटना के कई दिन बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव वहां शोक जताने पहुंचे थे। फिरोजाबाद में भी घटना हुई। बुजुर्ग राधा देवी के चार बेटे रिश्तेदारों से मारपीट में जेल गए थे। जब वो जेल से छूटकर आए तो पुलिस उनसे घर पर पूछताछ करने पहुंची। पुलिस पर आरोप है कि उसने वहां परिजनों के साथ दुर्व्यवहार किया और बुजुर्ग राधा देवी को धक्का दे दिया, जिससे उनकी मौत हो गई।

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