
पीएम तमिलनाडु मेंः दूर से निशाना साधते रहे मोदी और स्टालिन, डीएमके प्रमुख नहीं पहुंचे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 6 अप्रैल को तमिलनाडु के रामेश्वरम में नए पंबन पुल का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर निशाना साधते हुए कहा, "मुझे पत्र लिखने वाले तमिल की बजाय अंग्रेजी में हस्ताक्षर करते हैं। कहां है उन नेताओं का तमिल प्राइड?"
पीएम का यह बयान हाल ही में स्टालिन द्वारा भाषा के मुद्दे पर बीजेपी और केंद्र सरकार की आलोचना के जवाब में आया है। स्टालिन ने तमिल भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए केंद्र की नीतियों को बार-बार निशाना बनाया था, खासकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और तीन भाषा फॉर्मूले के खिलाफ। स्टालिन पीएम मोदी के कार्यक्रम से दूर रहे।
मोदी के 3 बड़े हमले
- मोदी ने कहा- अगर आपको तमिल पर गर्व है तो अपना नाम तमिल में लिखें
- तमिलनाडु सरकार तमिल में गरीब बच्चों के लिए मेडिकल कोर्स क्यों नहीं शुरू करती
- फंड रोके जाने का दावा खारिज। कहा- एनडीए के कार्यकाल में आवंटन बढ़ा
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केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है कि तमिल भाषा और तमिल विरासत दुनिया के हर कोने तक पहुंचे। कभी-कभी, मुझे हैरानी होती है जब मुझे तमिलनाडु के कुछ नेताओं से पत्र मिलते हैं। उनमें से किसी पर भी तमिल में हस्ताक्षर नहीं होते हैं। अगर हमें तमिल पर गर्व है, तो मैं सभी से अनुरोध करूंगा कि वे कम से कम अपने नाम तमिल में हस्ताक्षर करें।
- प्रधानमंत्री मोदी, 6 अप्रैल 2025 रामेश्वर में सोर्सः एएनआई
स्टालिन की मोदी से मांग
मुख्यमंत्री स्टालिन की गैरमौजूदगी ने राजनीतिक हलकों में तमाम चर्चाओं को जन्म दे दिया। स्टालिन ने अपनी अनुपस्थिति का कारण बताते हुए कहा कि वह नीलगिरी में एक सरकारी कार्यक्रम में व्यस्त थे, जहां उन्होंने 143.69 करोड़ रुपये की लागत से बने 700 बेड के अस्पताल का उद्घाटन किया। इस मौके पर स्टालिन ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह परिसीमन को लेकर तमिलनाडु के लोगों के मन से डर को दूर करे। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को तमिल धरती पर खड़े होकर यह स्पष्ट गारंटी देनी चाहिए कि जनसंख्या नियंत्रण में सफल रहे तमिलनाडु और अन्य राज्यों को आगामी परिसीमन में दंडित नहीं किया जाएगा। उनकी संसदीय सीटों का प्रतिशत वही रहेगा।"
स्टालिन ने कहा कि पीएम को इस वादे को सार्वजनिक रूप से करना चाहिए और संसद में संवैधानिक संशोधन के जरिए इसे लागू करना चाहिए। यह मांग तमिलनाडु में परिसीमन के मुद्दे पर चल रही बहस का हिस्सा है।
स्टालिन और उनकी पार्टी डीएमके का कहना है कि अगर 2026 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ तो दक्षिणी राज्य, खासकर तमिलनाडु, अपनी संसदीय सीटें खो सकते हैं, क्योंकि इन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर प्रदर्शन किया है। स्टालिन ने पहले भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर मुलाकात का समय मांगा था, ताकि वह तमिलनाडु के सांसदों के साथ मिलकर एक ज्ञापन सौंप सकें।
दूसरी ओर, पीएम मोदी के "तमिल प्राइड" वाले तंज को बीजेपी ने स्टालिन पर पलटवार के रूप में देखा। बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, जो इस कार्यक्रम में मौजूद थे, ने कहा कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और पंबन पुल इसका प्रमाण है। बीजेपी का दावा है कि वह तमिलनाडु में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जहां उसका अब तक सीमित प्रभाव रहा है।
यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। परिसीमन और भाषा जैसे मुद्दों ने डीएमके और बीजेपी के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। स्टालिन जहां इसे तमिल अस्मिता और राज्य के अधिकारों की लड़ाई बता रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे राजनीतिक नाटक करार दे रही है। इस बीच, पीएम का दौरा और स्टालिन की अनुपस्थिति तमिलनाडु की सियासत में एक नया अध्याय जोड़ते नजर आ रहे हैं।