राजीव गांधी खेल रत्न का नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार
दशकों बाद टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों के शानदार प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने खेल के क्षेत्र में दिये जाने वाले देश के सबसे बड़े पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार करने की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री ने इसका ज़िक्र करते हुए कहा है कि देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का यह आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए।
I have been getting many requests from citizens across India to name the Khel Ratna Award after Major Dhyan Chand. I thank them for their views.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
Respecting their sentiment, the Khel Ratna Award will hereby be called the Major Dhyan Chand Khel Ratna Award!
Jai Hind! pic.twitter.com/zbStlMNHdq
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मेजर ध्यानचंद भारत के उन अग्रणी खिलाड़ियों में से थे जिन्होंने भारत को सम्मान और गौरव दिलाया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह उचित है कि हमारे देश का सर्वोच्च खेल सम्मान उन्हीं के नाम पर रखा जाए।
मेजर ध्यानचंद सिंह हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर हैं। ध्यानचंद 16 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में शामिल हो गए थे और इसमें भर्ती होने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था। 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक में वह भारत की ओर से सबसे ज़्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे। उस टूर्नामेंट में उन्होंने 14 गोल किए थे। इसके बाद से ही उनको हॉकी के जादूगर के नाम से पुकारा जाने लगा।
हॉकी टीम के लिए नवीन पटनायक आए आगे
प्रधानमंत्री का यह फ़ैसला ऐसे वक़्त में आया है जब हॉकी टीम को स्पॉन्सर करने के लिए ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार की काफ़ी तारीफ़ हो रही है। रिपोर्टें हैं कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम और भारतीय महिला हॉकी टीम को स्पॉन्सर नहीं मिल रहा था तो मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सामने आए और ओडिशा सरकार ने यह ज़िम्मेदारी उठाई। ओडिशा सरकार ने 2018 में ही दोनों टीमों की ज़िम्मेदारी ली और 150 करोड़ रुपए खर्च कर दोनों ही टीमों को पाँच साल के लिए स्पॉन्सर किया।
जब दोनों टीमें ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन कर रही थीं तब नवीन पटनायक अपने कमरे में टीवी स्क्रीन के सामने आँखें गड़ाए अपनी टीम का प्रदर्शन देख रहे थे और बीच बीच में तालियाँ पीट रहे थे।
Well played!
— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) August 1, 2021
Congratulate Indian Men’s #Hockey Team on registering a stunning victory in the quarter-final against Great Britain at #Tokyo2020. May the team continue its momentum & bring much awaited medal for the country. Wish the team all the best.#Cheer4India @thehockeyindia pic.twitter.com/9eBkrlyxY1
बता दें कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम कांस्य पदक नहीं जीत पाई, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने कराड़ों देशवासियों का दिल जीत लिया। ग्रेट ब्रिटेन के सामने हारीं तो क्या, लेकिन ग़ज़ब का खेल दिखाया। आख़िरी वक़्त तक टक्कर देती रहीं। वे कांस्य पदक नहीं जीत पाईं तो क्या उन्होंने सेमीफाइनल में प्रवेश कर पहले ही इतिहास में नाम दर्ज करा लिया था। भारतीय महिला हॉकी टीम इस बार पहली बार सेमीफाइनल में क्वालिफाई किया था।
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर कांस्य पदक जीत लिया। पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में कोई पदक जीता है।
खेल के बजट में कटौती क्यों?
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का ऐसा प्रदर्शन तब है जब हाल में ख़बरें आई हैं कि सरकार ने पूरे खेल के बजट में ही कटौती कर दी है। नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में खेलकूद विभाग के बजट में 230.78 करोड़ रुपए की कटौती कर दी थी।
पहले बजट में खेलकूद के मद में 2826.92 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया था। लेकिन बाद में इसे कम कर 2596.14 करोड़ रुपए कर दिया गया था। केंद्र सरकार ने 'खेलो इंडिया' के बजट को 890.42 करोड़ रुपए से कम कर 660.41 करोड़ रुपए कर दिया था। भारतीय हॉकी टीम को तो 2018 से ही कोई स्पॉन्सर नहीं मिल रहा था, जब ओडिशा सरकार सामने आई थी।