प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को पुणे में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट की ओर से लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। पुणे के एसपी कॉलेज मैदान में आयोजित इस समारोह के मुख्य अतिथि शरद पवार थे। यहां मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के एक तरफ शरद पवार वहीं दूसरी तरफ उनके भतीजे अजित पवार बैठे नजर आए।
वह सुबह 11 बजे पुणे पहुंचे। पुरस्कार समारोह में आने से पूर्व पीएम ने सबसे पहले दगड़ूशेठ हलवाई मंदिर जाकर पूजा-अर्चना की। समारोह में उन्होंने कहा कि दगड़ू सेठ पहले व्यक्ति थे, जो तिलक के आह्वान पर गणेश प्रतिमा की स्थापना में शामिल हुए थे। जो संस्थान सीधे तौर पर तिलकजी से जुड़ा हो, उससे लोकमान्य तिलक सम्मान सौभाग्य की बात है। यह सम्मान अविस्मरणीय है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार के साथ जो धनराशि मुझे दी गई है, वो गंगा जी को समर्पित कर रहा हूं।
उन्होंने कहा कि इस राशि को नमामि गंगे परियोजना के लिए इसे दान देने का फैसला लिया है।पुरस्कार लेने के बाद पीएम ने कहा कि मैं लोकमान्य तिलक नेशनल अवार्ड को 140 करोड़ देशवासियों को समर्पित करता हूं। युवाओं को लेकर कहा कि, लोकमान्य तिलक इस बात को भी जानते थे कि आज़ादी का आंदोलन हो या राष्ट्र निर्माण का मिशन, भविष्य की ज़िम्मेदारी हमेशा युवाओं के कंधों पर होती है।
भारत की आजादी में लोकमान्य तिलक की भूमिका, उनके योगदान को चंद घटनाओं और शब्दों में समेटा नहीं जा सकता है।
तिलक जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की पूरी दिशा ही बदल दी। लोकमान्य तिलक ने कहा स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। भारत के जनमानस ने न केवल खुद आकर उन्हें लोकमान्यता दी बल्कि लोकमान्य का खिताब भी दिया। स्वयं महात्मा गांधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 'व्यवस्था निर्माण से संस्था निर्माण', 'व्यवस्था निर्माण से व्यक्ति निर्माण', 'व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण' की दृष्टि राष्ट्र निर्माण के लिए एक रोडमैप की तरह काम करती है। भारत आज इस रोडमैप का पूरी निष्ठा से पालन कर रहा है।