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चुनाव परिणाम मोदी सरकार के लिए अभूतपूर्व जीत या बड़ा झटका?

चुनाव परिणाम मोदी सरकार के लिए अभूतपूर्व जीत या बड़ा झटका?

महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभा चुनाव और कई दूसरे राज्यों में उपचुनावों का मिलाजुला परिणाम आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने पार्टी की बड़ी जीत बताया। 

महाराष्ट्र व हरियाणा विधानसभा चुनाव और कई दूसरे राज्यों में उपचुनावों में मिलेजुले परिणाम को  प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने पार्टी की बड़ी जीत बताया। प्रधानमंत्री ने दोनों राज्यों में पार्टी के प्रदर्शन को अभूतपूर्व जीत क़रार दिया। उन्होंने दोनों राज्यों में सरकार बनाने की बात कही, हालाँकि बीजेपी को न तो महाराष्ट्र और न ही हरियाणा में अपेक्षा के अनुसार जीत मिली। बीजेपी ने शिवसेना के साथ गठबंधन के बाद 'मिशन 220+' का नारा दिया था। लेकिन उनकी सीटें 160 से भी नीचे रहने की संभावना है। हरियाणा में बीजेपी का 'मिशन 75+' का नारा था, लेकिन पार्टी सिर्फ़ 40 सीटों पर सिमटी दिख रही है। महाराष्ट्र में तो गठबंधन को बहुमत मिल गया, लेकिन हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति है। दूसरे राज्यों में हुए उपचुनावों में भी बीजेपी के लिए अच्छी ख़बर नहीं है। 

इसके बावजूद अमित शाह ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी के ज़बरदस्त प्रदर्शन का दावा किया। मोदी ने कहा कि हरियाणा में बीजेपी का वोट 3 फ़ीसदी बढ़ा है। वह महाराष्ट्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का बचाव करते भी दिखे। उन्होंने कहा कि इसके लिए जितनी तारीफ़ की जाए, उतनी कम है। प्रधानमंत्री ने दोनों मुख्यमंत्रियों के बारे में कहा कि वे दोनों पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, उनको पहले इस तरह का काम करने का अनुभव नहीं था फिर भी ज़बरदस्त काम किया। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों की जनता ने उनमें विश्वास जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता मायने रखती है। 

शिवसेना ने शुरुआती रुझान आने के बाद जो संकेत दिए हैं उससे लगा है कि सरकार बनाने के लिए शिवसेना को मनाना बीजेपी के लिए आसान नहीं है। महाराष्ट्र में जिस तरह की राजनीतिक हलचल तेज़ हुई है, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवसेना आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए ज़बरदस्त दबाव बना सकती है। शिवसेना के साथ सरकार बनाने की संभावना पर एनसीपी नेता शरद पवार ने जो प्रतिक्रिया दी, उससे लगता है कि सरकार बनाने के मामले में शरद पवार की भी भूमिका बड़ी हो सकती है। 

हरियाणा में बीजेपी को इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले झटका लगा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में 47 सीटें जीती थीं, जबकि इस बार वह 40 सीटों पर ही अटकी हुई है। राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन गई है और अब दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी केंगमेकर की भूमिका में आ गई है। यदि कांग्रेस और जेजेपी मिल जाएँ तो बीजेपी की सरकार नहीं बन पाएगी।

उपचुनावों के परिणामों में भी बीजेपी की स्थिति ठीक नहीं दिखती है। देश भर के 18 राज्यों की 51 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। गुजरात में बीजेपी को झटका लगा है। छह सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस 3 सीटों पर तो बीजेपी 3 सीटों पर जीतती दिख रही है। इसमें भी बड़ी बात यह है कि राधनपुर सीट से बीजेपी के प्रत्याशी अल्पेश ठाकोर को कांग्रेस के रघु देसाई ने हरा दिया है। पंजाब में 3 सीटें कांग्रेस के खाते में तो एक अकाली दल के खाते में गई है। इसके अलावा बिहार में बीजेपी को मुँह की खानी पड़ी है जहाँ राजद को 2, एआईएमआईएम को 1 और एक सीट निर्दलीय को मिली है। सिर्फ़ एक सीट पर जदयू का कब्जा हुआ है। राजस्थान में एक सीट पर आरएलपी और एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है। हालाँकि, यूपी में बीजेपी और उसके सहयोगी अपना दल ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि सपा को दो सीटों पर जीत मिली है।

जिस तरह के चुनाव नतीजे आए हैं उससे भारतीय जनता पार्टी के प्रति मतदाताओं की नाराज़गी दिखती है। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने चुनावी रैलियों में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने के लिए अनुच्छेद 370 में किए गए फेरबदल को भी चुनावी मुद्दा बनाया था। प्रधानमंत्री ने तो यहाँ तक कहा था कि जो अनुच्छेद 370 का समर्थन नहीं कर सकते, उन्हें 'डूब मरना चाहिए।' लेकिन लगता है कि इसका असर भी मतदाताओं पर ज़्यादा नहीं हुआ। 

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